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बागपत में नाशपाती की खेती से बदल रही युवा किसानों की किस्मत, 500 क्विंटल तक कर रहे पैदावार

बागपत में नाशपाती की खेती से बदल रही युवा किसानों की किस्मत, 500 क्विंटल तक कर रहे पैदावार

किसान शेखर ने बताया कि नाशपाती की खेती से फल जून के प्रथम सप्ताह से सितंबर के बीच तोड़े जाते है. नजदीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए हरे फल तोड़े जाते है.

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बागपत में नाशपाती की खेती करने वाले सचिन त्यागी और शेखर त्यागी (Photo-Kisan Tak) बागपत में नाशपाती की खेती करने वाले सचिन त्यागी और शेखर त्यागी (Photo-Kisan Tak)

Nashpati ki Kheti: उत्तर के एग्रीकल्चर सेक्टर में काफी तेजी से ग्रो कर रहा है. इस सेक्टर को लेकर सबसे खास बात यह है देश के युवा भी इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में सबसे ज्यादा गन्ना की पैदावार होती है. लेकिन कुछ युवा किसान अब गन्ना के साथ नाशपाती की खेती करके अपनी किस्मत बदल रहे है. आज हम आपको बागपत के दो युवा किसान की कहानी बताने जा रहे है, जो नाशपाती की खेती से सालाना लाखों में कमाई कर रहे हैं. मुबारिकपुर खेकड़ा गांव के रहने वाले सचिन त्यागी एक एकड़ में नाशपाती की खेती कर रहे है. किसान तक से बातचीत में सचिन ने बताया कि वो गन्ने की फसल के साथ नाशपाती की खेती बीते 4 सालों से कर रहे हैं.

नाशपाती की खेती में पानी की खपत कम

उन्होंने बताया कि नाशपाती का फल 4 से 5 साल के बाद आता है. शामली से बीच उन्होंने मंगवाया था. अब धीरे-धीरे नाशपाती की फसल तैयार हो रही है. कुछ दिनों के बाद बेचने के लायक हो जाएगी. युवा किसान सचिन बताते हैं कि सीजन पर 70 से 80 रुपये किलो के हिसाब से खुदरा व थोक में 40 से 50 रुपये में बाग से ही बिक्री हो जाएगी. इसी कड़ी में बागपत जिले के मुबारिकपुर, खेकड़ा गांव निवासी शेखर त्यागी ने बताया कि बीते 20 वर्षों से नाशपाती की खेती कर रहे है. दो एकड़ में नाशपाती की खेती से उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो जाता हैं. ये एक ऐसी खेती है, जिसमें पानी की खपत कम होती है. इससे काफी बचत होती है. नाशपाती में कीटों के लगने की संभावना भी कम होती है और एक बार पौधा लगाने के बाद वह 25-30 साल तक फल देता है.

450 से 500 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन

खेती में कम कीटनाशकों का इस्तेमाल होता है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है. नाशपाती की खेती में लागत कम होने के कारण इसमें अधिक मुनाफा होने की संभावना होती है. युवा किसान शेखर त्यागी बताते हैं कि एक पेड़ से  4-5 क्विंटल नाशपाती की पैदावार होती है. एक सीजन में 450 से 500 क्विंटल नाशपाती का उत्पादन हो जाता है. नाशपाती फिलहाल 70 से 80 रुपये किलो का भाव मार्केट में है, जिससे किसान को और भी अधिक मुनाफा मिल रहा है. 

नाशपाती के तुड़ाई का समय

किसान शेखर ने बताया कि नाशपाती की खेती से फल जून के प्रथम सप्ताह से सितंबर के बीच तोड़े जाते है. नजदीकी मंडियों में फल पूरी तरह से पकने के बाद और दूरी वाले स्थानों पर ले जाने के लिए हरे फल तोड़े जाते है. तुड़ाई देरी से होने से फलों को ज्यादा समय के लिए स्टोर नहीं किया जा सकता है और इसका रंग और स्वाद भी खराब हो जाता है.

लोकल मंडियों में नाशपाती की अच्छी डिमांड

मामले में बागपत के जिला उद्यान अधिकारी दिनेश कुमार अरुण ने बताया कि 90 प्रतिशत यहां गन्ने की खेती होती हैं. वहीं 20 से 25 किसान ऐसे है जो नाशपाती की खेती कर रहे है. उन्होंने बताया कि समय-समय पर सरकार के द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है. वहीं लोकल मंडियों में नाशपाती की अच्छी डिमांड है. किसान इसे बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे है.