
बड़े शहरों में पांच से दस हजार की नौकरी से बढ़िया खेती है. महीने की आखिरी तारीख को दस हजार के इंतजार में पूरे महीने खून और पसीना खपाने से बढ़िया अपनी थोड़ी सी जमीन में खेती है. उसमें भी सब्जी की खेती सबसे अच्छी होती है. ये बातें बिहार के किसान मनोज कुमार कहते हैं जो पटना के रहने वाले हैं. मनोज सिंह पिछले 25 साल से करीब तीन बीघा से अधिक खुद और किराये की जमीन में सब्जी सहित अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं. इससे सालाना प्रति बीघा पचास हजार से अधिक की शुद्ध कमाई करते हैं. वे इसी खेती के बल पर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहें हैं.
मनोज कुमार पटना जिले के बख्तियारपुर प्रखंड के रहने वाले हैं. ये सब्जी की खेती के साथ पशुपालन, बागवानी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. साथ ही अन्य लोगों को भी खेती के लिए प्रेरित करते हैं. वे सब्जी की खेती को सबसे उत्तम मानते हैं. इतना ही नहीं, वे बाजार से भी सब्जी खरीद कर लाते है, उसे बेचते हैं और कमाई करते हैं.
50 साल के मनोज कुमार सिंह का खेती से नाता बचपन से है. लेकिन अपनी उम्र के आधे वक्त यानी 25 साल से पूर्ण रूप से खेती कर रहे हैं. ये सब्जी की खेती में भिंडी, लौकी, नेनुआ, आलू सहित अन्य सब्जियों की खेती करते हैं. इसके साथ ही केला, पपीता और आंवला सहित परंपरागत खेती में मक्का, गेहूं जैसी फसलों की खेती करते हैं. वे खेती के दम पर अपनी किस्मत की बिगड़ी हुई तकदीर को संवारने चले हैं. मनोज कुमार कहते हैं कि वे सब्जी की खेती तो करते ही हैं. इसके साथ ही जब उनकी सब्जी खत्म हो जाती है तो बाजार से सब्जी खरीदकर लाते हैं. उसे बेचते हैं. वे कहते हैं कि सब्जी की खेती सब से बढ़िया है. इसी खेती से तकदीर भी बदलेगी.
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किसान तक से बातचीत के दौरान मनोज कहते हैं कि कृषि से जुड़े कार्यों के लिए अगर कोई किसान यात्रा कर रहा है तो वैसी स्थिति में किसानों को बस या ट्रेन के किराये में सहूलियत मिलनी चाहिए. मनोज कुमार सिंह खेती में नए प्रयोग करते रहते हैं. इन्होंने अपने मक्का के खेत में सब्जी की फसल लगाई है. ये मक्का के साथ सब्जी बेचकर भी अच्छी कमाई कर रहे हैं. सालाना तीन बीघा सब्जी की खेती से ढाई लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं. इसके साथ ही परंपरागत खेती से पचास हजार से अधिक की शुद्ध कमाई करते हैं. इनका मानना है कि अगर कोई खेती को बिजनेस के तौर पर करे तो वह बाहर 10 से 15 हजार रुपये की नौकरी करने नहीं जाएगा.
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