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गांव का उत्पाद शहर में, शहर का पैसा गांव में लाकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं नीलम त्यागी

गांव का उत्पाद शहर में, शहर का पैसा गांव में लाकर महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं नीलम त्यागी

गाजियाबाद के मुरादनगर की नीलम त्यागी ने न केवल खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि हजारों महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाकर उनकी तकदीर बदलने में अहमभूमिका निभाई और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया. आज, नीलम न केवल खुद आत्मनिर्भर हैं, बल्कि वे हजारों महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत और किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए नई सोच देने वाली मार्गदर्शिका बन गई हैं..

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महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं नीलम महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं नीलम

आज महिलाएं देश के विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं और समाज में बदलाव की एक नई लहर ला रही हैं. नीलम त्यागी की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है, जो अपने आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ समाज के अन्य लोगों को भी आर्थिक सशक्तिकरण की राह पर ले जाना चाहती हैं. गाजियाबाद के मुरादनगर की रहने वाली नीलम ने न सिर्फ ख़ुद आर्थिक रूप से सबल बनी हैं, बल्कि हजारों महिलाओं क़ो आत्मनिर्भर बनाते हुए तकदीर बदली हैं और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया है.

नीलम त्यागी का विवाह कक्षा 12वीं पास करने के बाद हो गया था. ससुराल में आने के बाद भी उनके अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा था. शादी के कुछ सालों तक उन्होंने एक निजी इंटर कॉलेज में शिक्षिका के रूप में काम किया. ग्रामीण क्षेत्र से होने के कारण नीलम गांव की महिलाओं की समस्याओं से परिचित थीं और खूद को आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखती थीं. नीलम ने कुछ महिलाओं के साथ मिलकर एक स्वयं सहायता समूह बनाने का विचार किया, जब उन्होंने अपने ससुराल वालों से इस बारे में बात की, तो परिवार वालों ने इसका विरोध किया. लेकिन आत्मनिर्भर बनने का जज्बा और प्रगतिशील सोच को नीलम ने अपने पति के सहयोग से अलग रहकर अपने इस सपने को साकार करने का निर्णय लिया. आज वह खुद आत्मनिर्भर होने के साथ हजारो महिलाओं के लिए नायिका और किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए नई सोच देने वाली गुरू बन गई हैं.

रोज करती हैं 10 टन सब्जी की सप्लाई 

नीलम ने सबसे पहले एक निजी बैंक से संपर्क कर महिलाओं का स्वयं सहायता समूह बनाया. उन्होंने एक एकड़ जमीन लीज पर लेकर गन्ने और हल्दी की खेती शुरू की. उनकी इस मेहनत का नतीजा यह रहा कि उन्हें लगभग एक साल में 1,60,000 रुपये की अतिरिक्त आय हुई. इस सफलता को देखकर अन्य महिलाएं भी प्रेरित हुईं और स्वयं सहायता समूह में शामिल होने लगीं. नीलम ने नाबार्ड के सहयोग से 300 से अधिक स्वयं सहायता समूह बनाए, जिनसे लगभग 4,500 महिलाएं जुड़ गईं.

नीलम ने गांव की महिलाओं को सब्जी उत्पादन के लिए प्रेरित किया और शहरी बाजार से सीधा संपर्क स्थापित किया. नीलम बताती हैं कि हापुड़ में उन्होंने सब्जी उत्पादक महिलाओं के 100 स्वयं सहायता समूह बनाकर 1,500 महिलाओं का एक फ़ेडरेशन रजिस्टर्ड कराया. इसके अवाला नीलम ने सब्जी उत्पादक महिलाओं के समूहों को साहिबाबाद मंडी में लाइसेंस दिलवाया, जिससे वे अपने उत्पाद सीधे बेचकर अधिक मुनाफा कमा सकें.

नीलम ने समूह की महिलाओं द्वारा प्रतिदिन 10 टन सब्जियों की आपूर्ति करवायी गयी ताकि फल और सब्जियां सीधे बेचकर महिलाओं को बेहतर मूल्य मिल सके, जिससे उनको अधिक मुनाफा हुआ. इसके अलावा, आउटलेट भी खोले गए हैं, ताकि स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों को सीधे बाजार में बेचा जा सके. अब ये महिलाएं अपने उत्पाद शहर में बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं. नीलम की प्रेरणा से कई किसानों ने भी गन्ने और हल्दी की खेती शुरू की, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हुई. साथ ही किसान प्रतिदिन पांच टन दूध भी पराग को सप्लाई करते हैं.

गांव के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
गांव के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर

इस फार्मूले से बढ़ाती हैं किसानों की आय

नीलम ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उत्पादों का वैल्यूएडिशन करने पर जोर दिया. उन्होंने एक फ्लोर मिल की स्थापना की, जिसमें एक हजार किसानों से गेहूं खरीदा जाता था. प्रतिदिन पांच टन आटा और दलिया मार्केट में नील राज नाम से सप्लाई किया जाने लगा. इसके साथ ही, नीलम ने नितारा नाम से मिर्च-मसाले, मिलेट्स, मल्टीग्रेन आटा, तेल, बेसन इत्यादि की उत्पादन यूनिट स्थापित की, जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर खुले.

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नीलम ने केवल महिलाओं ही नहीं, बल्कि गांव के युवाओं के लिए भी रोजगार के अवसर सृजित किए. उन्होंने MANAGE हैदराबाद के साथ मिलकर गांव में खेती से संबंधित रोजगार के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए. मशरूम उत्पादन, फूड प्रोसेसिंग, बकरी पालन, और मुर्गी पालन जैसे उद्यमों के लिए युवाओं को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर प्रदान किए गए. इसके अलावा, नीलम ने युवाओं को खेती-बाड़ी से जुड़ी दुकान खोलने के लिए प्रेरित किया और बैंक से लोन दिलाने में भी मदद की.

सरकारी संस्थानों के सहयोग से रोजगार

नीलम ने किसानों की मदद के लिए लक्ष्मी जनकल्याण सेवा संस्थान की स्थापना की. उन्होंने सरकार और अन्य कृषि से संबंधित कंपनियों से सहयोग स्थापित कर किसानों के लिए मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना की, जिससे किसानों को उनकी भूमि के अनुसार खेती करने में मदद मिली. इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि हुई बल्कि लागत में भी कमी आई. नीलम ने अपने व्यवसाय और महिला किसानों के उत्थान के साथ-साथ खूद को भी निरंतर उन्नत किया.

वर्ष 1994 में इंटर पास करने के बाद, उन्होंने अपने काम के साथ शिक्षा को कुछ समय के लिए विराम दिया. ससुराल में उन्होंने अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की और बीए के बाद 2005 में समाजशास्त्र में MA की डिग्री प्राप्त की. नीलम त्यागी के इस अथक प्रयास को समाज में खूब सराहा गया. उन्हें 11 नेशनल पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. 2011 में फरीदाबाद में आयोजित किसान मेले में "बेस्ट कम्युनिटी मोबिलाइजर" अवार्ड 2017 में IARI पूसा, नई दिल्ली में "नेशनल अवॉर्ड फॉर इनोवेशन इन एग्रीकल्चर" और "फेलो फार्मर अवार्ड".2019 में महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा "वुमन एग्री प्रेरणा सम्मान से सम्मानित किया गया.

नीलम का मानना है कि जब एक महिला सशक्त होती है, तो वह न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को आगे बढ़ाने की क्षमता रखती है. नीलम ने गांव का उत्पाद शहर में लाकर और शहर का पैसा गांव में लाकर एक नई सोच को साकार किया. उनका कहना है कि अगर हमारे पास इच्छाशक्ति हो तो हमें मंजिल तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता. नीलम त्यागी आज हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उनके प्रयासों ने साबित किया है कि अगर महिलाएं ठान लें, तो वे अपने परिवार, समाज, और देश के विकास में अहम योगदान दे सकती हैं.