Success Story: मजदूरी करके कमाते थे 10-15 हजार रुपये, अब इस फसल की खेती से कमा रहे लाखों 

Success Story: मजदूरी करके कमाते थे 10-15 हजार रुपये, अब इस फसल की खेती से कमा रहे लाखों 

बोकारो के एक छोटे से गांव के प्रोग्रेसिव किसान गुप्तेश्वर महतो को मंडप मेथड और मल्चिंग टेक्निक के लिए जाना जाता है. इसी टेक्निक की मदद से आज वह 1.5 एकड़ जमीन पर खीरे की खेती कर रहे हैं. इस मॉडर्न तरीकों से अब वह घर बैठे दोगुना प्रॉफिट कमा रहे हैं. एक किसान परिवार से आने वाले गुप्‍तेश्‍वर कई सालों तक महाराष्‍ट्र में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मजदूर के तौर पर काम करते थे.

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Success Story: मजदूरी करके कमाते थे 10-15 हजार रुपये, अब इस फसल की खेती से कमा रहे लाखों खीरे की खेती से अच्‍छा खासा मुनाफा कमा रहे किसान

आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो कभी मजदूरी करके अपनी जीवन बिताते थे. मजदूरी में उन्‍हें 10 से 15 हजार रुपये की ही इनकम होती थी लेकिन अब वह खेती करके लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. यह कहानी है झारखंड के किसान गुप्‍तेश्‍वर महतो की जिनकी स्‍मार्ट खेती के बारे में बाकी किसान तो बात कर ही रहे हैं लेकिन अब बाकी किसानों के लिए प्रेरणा भी बन गए हैं. महतो को यहां के लोग एक प्रोग्रेसिव किसान के तौर पर जानने लगे हैं. 

महाराष्‍ट्र में करते थे मजदूरी 

बोकारो के एक छोटे से गांव के प्रोग्रेसिव किसान गुप्तेश्वर महतो को मंडप मेथड और मल्चिंग टेक्निक के लिए जाना जाता है. इसी टेक्निक की मदद से आज वह 1.5 एकड़ जमीन पर खीरे की खेती कर रहे हैं. इस मॉडर्न तरीकों से अब वह घर बैठे दोगुना प्रॉफिट कमा रहे हैं. एक किसान परिवार से आने वाले गुप्‍तेश्‍वर कई सालों तक महाराष्‍ट्र में कंस्ट्रक्शन सेक्टर में मजदूर के तौर पर काम करते थे. साल 2012 में वह बोकारो लौट आए और उन्‍होंने अपने जिले के खेती-बाड़ी अधिकारियों से संपर्क किया. 

कॉम्‍पटीशन में जीती थी जमीन 

गुप्‍तेश्‍वर महतो ने खेती के लिए जमीन किस तरह से हासिल की, यह भी अपने आप में काफी इंट्रेस्टिंग है. साल 2020 में मकर संक्रांति पर कसमार ब्लॉक के मंजुरा गांव में ऑर्गनाइज में एक अनोखे सालाना कॉम्‍पटीशन में गुप्तेश्वर महतो ने एक साल के लिए खेती की जमीन जीती थी. गांव में एक ट्रेडिशनल तीरंदाजी कॉम्‍पटीशन होता है. इसमें विजेता को एक साल के लिए जमीन के एक टुकड़े पर खेती करने का हक दिया जाता है. इस इवेंट में आस-पास से हजारों लोग आते हैं. 

उस साल कॉम्‍पटीशन में कुल 83 गांववालों ने हिस्सा लिया. लोकल लोगों ने बताया कि भीघा बिंदाना (तीरंदाजी) नामसे होने वाला यह कॉम्‍पटीशन 150 से ज्‍यादा सालों से ऑर्गनाइज किया जा रहा है. यह गरीबी से जूझ रहे लोगों को अपनी जिंदगी बेहतर बनाने का मौका देता है. यह ट्रेडिशन मंजुरा गांव के जमींदार ने शुरू किया था. गुप्‍तेश्‍वर महतो ने .25 एकड़ जमीन दी गई. जमीन उपजाऊ थी इसलिए गुप्‍तेश्‍वर ने सब्जियां उगाते हैं. 

खीरे की खेती में कमाते लाखों 

अधिकारियों ने उन्हें मॉडर्न खेती के फायदे, जैसे ड्रिप इरिगेशन और मौसमी सब्‍जी उगाने के बारे में समझाया. उसके बाद, गुप्तेश्वर ने छोटे पैमाने पर सब्जी की खेती शुरू की और पहली फसल में अच्छी पैदावार मिलने के बाद, वे पूरी तरह से खेती की ओर मुड़ गए. अब वह स्मार्ट खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं और अच्‍छा मुनाफा कमाने लगे हैं. गुप्तेश्वर महतो कहते हैं कि उन्होंने इस साल अक्टूबर से खीरे की बुवाई शुरू की है. फसल 30 से 45 दिनों में बाजार में बिक्री के लिए तैयार हो जाती है. मंडप विधि अपनाने से किसान को अधिक उत्पादन मिलता है, क्योंकि इस विधि में खीरे में बीमारी का खतरा कम होता है और इसे तोड़ना भी आसान होता है. 

बाकी किसानों को दी खास सलाह 

स्कैफोल्डिंग तरीके से 1.5 एकड़ जमीन में खीरे की खेती करने में करीब 50,000 रुपये का खर्च आता है. प्रोडक्शन और वैरायटी के हिसाब से पूरे सीजन में 1.5 एकड़ में 45 से 90 क्विंटल खीरा पैदा होता है. होलसेल मार्केट में खीरे का एवरेज प्राइस 30 रुपये प्रति किलोग्राम है इस तरह किसान एक सीजन में आसानी से 2 लाख रुपये तक का नेट प्रॉफिट कमा सकता है. गुप्तेश्वर महतो सलाह देते हैं कि खीरे की खेती छोटे और बड़े दोनों तरह के किसानों के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन है. किसान कम पूंजी और कम समय में ज्‍यादा इनकम कमा कर आत्मनिर्भर बन सकते हैं. साथ ही घर बैठे इसकी खेती से अच्छा पैसा कमा सकते हैं. 

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