Success Story: बैल निकाल रहे हैं तेल, अमेरिका तक हो रही है सप्लाई, पढ़ें पूरी कहानी

Success Story: बैल निकाल रहे हैं तेल, अमेरिका तक हो रही है सप्लाई, पढ़ें पूरी कहानी

करनाल जिले के रहने वाले पुष्पेंद्र तेल निकालने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल नहीं करके देसी कोल्हू का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके लिए उनके पास दो बैल हैं. वहीं उनकी तेलों की मांग देश के अलावा विदेशों में भी है. पढ़ें सफलता की कहानी-

Advertisement
Success Story: बैल निकाल रहे हैं तेल, अमेरिका तक हो रही है सप्लाई, पढ़ें पूरी कहानीदेसी ‘कोल्हू’ से तेल तैयार कर पुष्पेंद्र विदेशों में कर रहे हैं सप्लाई

करनाल जिले के गांव खानपुर के रहने वाले पुष्पेंद्र ने कुछ अलग कर दिखाया है. मन की इच्छा को पूरी करने के लिए उन्होंने करीब 2 साल पहले पुश्तैनी गांव खानपुर में अपनी जमीन पर देसी कोल्हू से तेल बनाने का काम शुरू किया ताकि लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद की जा सके. इसके लिए उन्होंने किसी आधुनिक मशीन का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि दो देसी बैल हीरा और बादल की मदद ली. ये दोनों बैल दिन रात कड़ी मेहनत कर सरसों, नारियल, मूंगफली, तिलहन व अलसी से तेल निकालते हैं. पुष्पेंद्र ने बताया कि 2 साल में ही वह अमेरिका समेत कई देशों और राज्यों में कई लोगों को इस तरह से निकाले गए तेल की सप्लाई कर चुके हैं. 

'प्राचीन संस्कृति को संजोए रखने के लिए की पहल' 

पुष्पेंद्र के साथ इस काम में उनके छोटे भाई मनीष भी मदद करते हैं. उनका कहना है कि हम आज प्रकृति से दूर होकर जो खान-पान अपना रहे हैं उससे आए दिन नई-नई बीमारियां फैल रही हैं. लोगों के पास पैसा है, डाइटिशियन की सलाह से खाना, हेल्थ के लिए बंद कमरे में एक्सरसाइज करना आदि विकल्प है. बावजूद इसके उन लोगों को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी अपनी चपेट में ले रही है. इसका कारण है हमारा प्रकृति से दूर होना. अपनी प्राचीन संस्कृति को संजोए रखने के लिए ही उन्होंने इस कार्य की पहल की है ताकि अन्य युवा भी संस्कृति को बचाने के लिए कदम उठा सकें. 

इसे भी पढ़ें- Nandi Rath: बैलों को मिला रोजगार, 'फ्री' में कर देंगे सिंचाई, ये है इस पूर्व पुलिस अधिकारी का कमाल

कोल्हू लगाने पर 60 से 90 हजार रुपये आता है खर्च 

मूलरूप से करनाल के गांव खानपुर के रहने वाले पुष्पेंद्र का परिवार काफी समय से इंद्री में रह रहा है. पुष्पेंद्र ने बताया कि जब उन्होंने इस प्रोजेक्ट को लगाने के लिए अपने दोस्तों से बात की तो सभी ने कहा कि यह काम नहीं चलेगा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कड़ी मेहनत, लगन और जुनून के साथ अपना प्रोजेक्ट तैयार किया. उन्होंने आगे बताया कि एक कोल्हू लगाने पर 60 से 90 हजार रुपये के बीच खर्च आता है.

पूरी तरह से ठंडा होता है तेल 

उन्होंने बताया के आधुनिक मशीन से बनने वाला तेल जहां गर्म होता है वहीं कोल्हू में तैयार तेल पूरी तरह से ठंडा होता है. जहां आधुनिक मशीन से हम एक क्विंटल अनाज से 40 प्रतिशत तेल प्राप्त करते हैं वहीं कोल्हू से हमें यह केवल 20 प्रतिशत ही प्राप्त होता है. कई डॉक्टरों ने भी इस तेल को काफी सराहा है. उन्होंने बताया कि यह तेल 100 प्रतिशत हेल्दी होता है. देसी पद्धति से तैयार यह तेल हमारी संस्कृति को भी दर्शाता है. 

इसे भी पढ़ें- 70 साल की मंजू वर्मा का कमाल, छत पर गमलों को खेत बनाकर उगा रहीं हैं फल-सब्ज‍ियां

कोल्हू तेल के होते हैं अनगिनत फायदे

उन्होंने कहा कि कोल्हू से निकले तेल के अनगिनत फायदे हैं. यह कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी से बचाने में भी सहायक है. क्योंकि इस तेल में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. 

कई तिलहनी फसलों का तैयार करते हैं तेल

पुष्पेंद्र अपने दो कोल्हू में सरसों, नारियल, मूंगफली, तिलहन और अलसी का तेल तैयार करते हैं. बैल संचालित वह दो कोल्हू तैयार कर चुके हैं, तीसरा लगाने की तैयारी है. कोल्हू में काम कर रहे देसी बैलों की भी बेहतर परवरिश हो रही है. यहीं नहीं वह अपने बैलों को नाम से पुकारते हैं. उन्होंने कहा इस कार्य में और युवाओं को भी आगे आना चाहिए.

 

POST A COMMENT