
देशभर में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है. ऐसे में अक्सर शहरों में रहने वाले लोग खेती-किसानी से दूर हुए हैं. शहरों में रहने वाले लोगों की शिकायतें होती हैं कि खेती-किसानी के लिए उनके पास जमीन नहीं है, लेकिन ऐसे लोगों को लखनऊ की 70 वर्षीय मंजू वर्मा ने राह दिखाई है. मंजू वर्मा, पिछले 25 सालों से अपनी छत पर खेती कर रही हैं. आलम ये है कि वह 25 साल से अपनी छत पर कई तरह की फसलें उगा रहे हैं. लखनऊ के क्ले स्वायकर उदयगंज कॉलोनी में मंजू वर्मा की छत मोहल्ले की दूसरी छतों से अलग दिखती है. उन्होंने अपनी छत पर कई प्रकार की फल-सब्जियां और औषधीय पौधों लगाए हुए हैं, जिससे उनको उनके परिवार को रोज हेल्दी फल सब्जियां मिल जाती है.
मंजू वर्मा ने अपने बागवानी के शौक को लाख व्यस्तता के बावजूद, ना सिर्फ जिंदा रखा बल्कि जमीन उपलब्ध नहीं थी तो उन्होंने छत पर गमलों को ही खेत बना दिया. उन्होंने अपनी घर की छत पर सैकड़ों गमलों की ऐसी व्यवस्थित श्रृंखला बना ली है, जिसमें वह सीजन के हिसाब से लाल-पीली शिमला मिर्च, हरीमिर्च, पुदीना और ब्रोकली, सेम, बैंगन, पत्तागोभी, सलाद का उत्पादन करती हैं.
दरअसल मंजू वर्मा को बागवानी का शौक विरासत में मिला है. उनके पिता को देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कृषि पंडित से सम्मानित किया था. इसे देखते हुए मंजू वर्मा ने छत पर बागवानी की शुरुआत 25 साल पहले साल 1999 की थी.
ये भी पढ़ें- Natural Farming : बांदा के इस किसान का विदेश तक बज रहा है डंका, जानें पूरी कहानी
मंजू वर्मा ने कहा कि वह खेती से संबधित अपडेट जानकारी वह एग्रीकल्चरल मैगजीन, एक्सपर्ट्स और सेमिनार और बीज खाद की दुकानदारो से जानकारी इकट्ठा करती हैं, फिर कुछ निर्णय खुद करती हैं. इसके अलावा वह रोज सुबह छत पर टहल कर पौधों की देखभाल करती हैं. शाम को 4 से 6 बजे खेती पौध संबधित कृषि में समय देती हैं. मंजू कहती कि वह पौधों में कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट और अलग-अलग तरह की जैविक खादों का इस्तेमाल करती हैं.
मंजू वर्मा बताती हैं कि आज के समय में शहरों में ताजी सब्जियां मिलनी मुश्किल है, दूसरी तरफ बाजार में अधिकतर सब्जियां केमिकल युक्त होती हैं, जो शरीर के लिए हानिकारक है. इसलिए हम अपने परिवार के लिए छत के खाली जगह पर गमलों में पौष्टिक सब्जियां उगाकर जब ताजी सब्जियां तोड़कर खाते हैं. इससे मन को बड़ी राहत मिलती है कि हमारा परिवार हेल्दी फल-सब्जियां खा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी गार्डेनिंग, मन को शांति सुकून के साथ ताजगी तो देती ही है, साथ ही ताजा-फल-सब्जी भी देती है. मंजू वर्मा ने बताया कि अमेरिका में रहने वाले बेटे-बहू, उनकी इस पसंद का खयाल रखते हैं, वहां से सब्जियों की अलग -अलग क़िस्मों के बारे में जानकारी देते हैं.
मंजू वर्मा ने सुझाव दिया कि कोई अगर अपने परिवार और खुद की अच्छी सेहत चाहता है तो बहुत कम खर्च में अपने घर की छत पर रोजना के लिए खाने के लिए जैविक फल और सब्जियां उगा सकता है. इससे एक तो शुद्ध ताजा फल-सब्जियां खाने को मिलगी, जिससे सेहत अच्छी रहेगी. वहीं दूसरी पैसे की बचत होगी.उन्होंने कहा कि शहरी महिलाएं अगर ऐसी गार्डेनिंग पर टाइम दें, तो कहीं ज्यादा फायदे में रहेंगी.
यहीं नहीं मंजू वर्मा ने जिस लगन से गमलों में खेती कर हाई क्वालिटी और बड़े आकार वाली सब्जियां उपजाई हैं. उसकी चर्चा दूर-दूर तक है. उन्होंने बताया कि राज्यपाल भवन से आयोजन होने वाले फल सब्जी प्रर्दशनी में 25 साल से वह भाग ले रही हैं. उनको कई बार राज्यपाल की तरफ से पूरस्कार प्राप्त हुआ है. इस साल फरवरी माह राजभवन से आयोजित फल सब्जी प्रर्दशनी में राज्यपाल आंनदी बेन पटेल ने सम्मानित किया था, जिन्हें याद कर, वह गर्व से भर उठती हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today