ग्रामीण परिवेश में बकरी पालन अब एक रोजगार बनते जा रहा है. बकरी पालन का काम ग्रामीण क्षेत्रों में बीते कई दशक से चलते आ रहा है, लेकिन वर्तमान समय में बकरी पालन एक कारोबार के रूप में विकसित हो रहा है. वहीं छोटे तौर पर बकरी पालन में महिलाएं तेजी से जुड़ रही हैं. ऐसी ही एक बिहार की महिला जमीला खातून हैं, जिनकी किस्मत बकरी पालन ने बदल दिया है. दरअसल बकरी पालन करने से जमीला खातून साल में 15 से 20 बकरे बेचती हैं, जिसमें उन्हें एक बकरे का तकरीबन 20 से 30 हजार रुपये की कमाई होती है. इन्हें बेचकर वह न केवल परिवार का पूरा खर्च निकालने में सफल रहती हैं, बल्कि उस से अच्छी खासी बचत भी कर लेती हैं. आइए जानते हैं जमीला के बकरी पालन की कहानी.
पूसा प्रखंड के हरपुर गांव की रहने वाली जमीला खातून ने बताया कि वह कई वर्षों से पारंपरिक रूप से बकरी पालन का काम करती आ रही थीं. लेकिन बकरी पालन और टीकाकरण से जुड़ी सही जानकारी न होने के चलते उन्हें अक्सर नुकसान का सामना करना पड़ रहा था. इस वजह से उन्होंने बकरी पालन का काम छोड़ दिया. उसके बाद उनकी मुलाकात आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम के कार्यकर्ताओं से हुई और उन्होंने अपनी समस्या उनको बताई.
इसके बाद एकेआरएसपीआई के कार्यकर्ताओं ने जमीला खातून को बकरी पालन की सही जानकारी देने का आश्वासन दिया और वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन के लिए उन्हें जरूरी संसाधन भी बताया. इसके बाद उन्होंने बकरी पालन छोड़ने का इरादा बदलते हुए बताए गए वैज्ञानिक तरीके से बकरी पालन को नए सिरे से शुरू किया.
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जमीला खातून ने बकरी पालन के व्यवसाय को मुनाफे में बदलने के लिए सबसे पहले उन्नत नस्ल की बकरियों का चुनाव किया, जिसमें उन्होंने ब्लैक बंगाल जैसी प्रजाति को पालना शुरू किया. बकरियों की ये नस्ल बिहार की जलवायु के लिए ज्यादा अनुकूल होती है. साथ ही जमीला ने ट्रेनिंग में बताए गई बातों को ध्यान में रख कर बांस की फट्टियों से बकरी घर बनाया. बांस के बनाए गए बकरी घर में बकरियों को रात में भी रहने के लिए सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर जलवायु, ठंड, धूप आदि से बचाया जा सकता है. उन्होंने बांस से बनने वाले बकरी घर के लिए एक सूखी और ऊंचाई वाली जगह को चुना. साथ ही, यह भी ध्यान रखा कि बकरियों को रहने के लिए अंदर पर्याप्त जगह भी मिले.
जमीला ने बताया कि वे बकरियों को अनाज, सब्जियां, बेकिंग सोडा, चुकंदर का गूदा, काले तिल, सूरजमुखी के बीज के अलावा घास या चारा, चावल, गेहूं का चोकर और जई या मक्के का मिश्रण खिलाती हैं. साथ ही बकरी घर की प्रतिदिन सफाई का खास खयाल रखती हैं ताकि बकरियों को कोई बीमारी न हो. इसके अलावा समय-समय पर बकरियों का टीकाकरण भी करवाती हैं.
जमीला खातून ने बताया कि वे एक बकरी को 20 से 30 हजार रुपये में बेच लेती हैं. इस तरह साल भर में औसतन वह 15 से 20 बकरियां बेचती हैं. ऐसे में वो साल भर में 03 से 04 लाख रुपये की कमाई करती हैं. साथ ही बकरियों को बेच कर वह न केवल परिवार का पूरा खर्चा चलाती हैं, बल्कि उस से अच्छी खासी बचत भी कर लेती हैं. वहीं बकरी पालन से न केवल परिवार की हालत में सुधार हो रहा है, बल्कि घर का माहौल भी बदल रहा है.
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