
Fish Farming in UP: खेती-किसानी के साथ-साथ मछली पालन भी अच्छा व्यवसाय बनते जा रहा है. यही कारण है कि जिन खेतों से पहले मामूली आमदनी हो पाती थी, उन्हीं में तालाब खुदवा कर किसान मछली पालन कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं. इसी क्रम में सोनभद्र जिले (Sonbhadra News) के युवा किसान आज मछली पालन में लाखों का मुनाफा भी कमा रहे हैं. रॉबर्ट्सगंज ब्लॉक के लखनवार गांव के निवासी अमित यादव और रामेश्वर सिंह आज मछली पालन करके न सिर्फ आत्मनिर्भर बन रहें है, बल्कि दूसरे किसानों के लिए नजीर बने है.
अमित यादव ने इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में बताया कि उन्होंने मत्स्य विभाग की नीली क्रांति योजना के तहत वर्ष 2018 में 3 लाख रुपये का अनुदान लेकर मछली के बीज का पालन शुरू किया था. लेकिन हम लोगों को बहुत नुकसान हुआ था, क्योंकि देखभाल हम लोग ठीक से नहीं कर पाएं. अमित बताते हैं कि मछलियों को मेंढक और सांप खा जाते था. ऐसे में पहली में बहुत घाटा हुआ. लेकिन हम हिम्मात नहीं हारे. उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग द्वारा उन्हें तालाब खोदने के लिए 60% का अनुदान दिया गया था. वर्ष 2019 में कोलकाता के हावड़ा से प्यासी मछली का बीज मंगाकर मछली पालन करने लगे.
इसके लिए विभाग से उन्हें समय-समय पर तकनीकी सहायता भी दी गई, मछली पालन करने वाले किसान अमित यादव का कहना है इस कार्य में तालाब बनाने के बाद लगभग दो लाख की लागत लगाने पर 8 महीने बाद उन्हें लगभग 4 लाख रुपये की बचत हो जाती है, आज 5 बिस्वा में 4 तलाब खुदवाकर हम मछली पालन कर रहे है. जिससे खर्चा निकालने के बाद सालाना आय 16 लाख रुपये के करीब हो जाती है.
युवा किसान अमित यादव का कहना है, गांव के बेरोजगार युवा मछली पालन के माध्यम से रोजगार प्राप्त कर सकते हैं उन्हें गांव से बाहर जाकर नौकरी करने की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए मत्स्य विभाग पूरी मदद करता है. उधर, अन्य किसान रामेश्वर सिंह मौर्य का कहना है कि उन्हें इस कार्य से अच्छा मुनाफा हो रहा है और वह अब आत्मनिर्भर भी हैं. रामेश्वर सिंह का कहना है कि उन्होंने मछली पालन के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य विभाग के द्वारा 20 लाख रुपये के लिए आवेदन किया था, जिसमे से 12 लाख रुपये का अनुदान उन्हें विभाग द्वारा दिया गया है, 8 बिस्वा में उन्होंने मछली पालन के लिए तालाब बनाया है, और 1500 वर्ग फीट में मछली बेचने के लिए स्थान बनाया है और घर से ही मछली की बिक्री करते हैं.
किसान रामेश्वर सिंह ने बताया कि मछली पालन के दौरान कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती है. अगर सावधानियों को ध्यान में रखते हुए मछली पालन करते हैं, यह कारोबार आपको हमेशा फायदा ही पहुंचाएगा. उन्होंने बताया कि नए लोग मछली पालन तो शुरू कर लेते हैं, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं होने की वजह से उन्हें कभी-कभी घाटा भी सहना पड़ता है. वे बताते हैं कि मछली पालन के लिए सबसे अधिक सावधानी ठंड के मौसम में बरतनी पड़ती है. क्योंकि पानी के अंदर और बाहर के टेंपरेचर का भी ध्यान देना पड़ता है. रामेश्वर बताते हैं कि वे 8 बिस्वा तालाब में मछली का पालन करते हैं.
मत्स्य विभाग द्वारा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और नीली क्रांति योजना के तहत अनुदान और तकनीकी सहायता उपलब्ध कराया जाता है. मछली के अंडों से बीज विकसित करने और तालाब बनाकर मछली पालन दोनों ही योजनाओं को विभाग प्रोत्साहित करता है, ज्यादा अनुदान देकर महिलाओं को इस कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से लाभार्थियों का चयन किया जाता है और निदेशालय के माध्यम से उनका आवेदन भारत सरकार के पास भेजा जाता है इसके बाद उन्हें अनुदान का लाभ उपलब्ध कराया जाता है.
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