बैंगन की खेती से कोई कितनी कमाई कर सकता है? आपका जवाब होगा, जैसा खेत का आकार वैसी कमाई. ये भी कर सकते हैं कि हजारों में कमाई होगी. लेकिन अगर कोई कहे कि बैंगन की खेती से लाखों में कमाई हो सकती है, तो आप शायद भरोसा न करें. पर ये सच है. दरअसल, पुणे के दौंड तालुका में एक किसान परिवार ऐसा है जो बैंगन की खेती से लाखों में कमाई कर रहा है. आज हम इसी किसान परिवार की सफलता की कहानी के बारे में बताएंगे.
दौंड तालुका के एक दंपति हैं जिनका नाम प्रशांत और प्रिया जगताप है. इन दोनों ने एक एकड़ खेत में बैंगनी बैंगन की सफलतापूर्वक खेती करके नया प्रयोग किया है. शहर के होटलों में भारी मांग वाली इस किस्म की कीमत वर्तमान में बाजार में 15 से 25 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है. इसका स्वाद बाकी बैंगन की किस्मों से अलग है, इसलिए मांग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है.
प्रशात जगताप और उनकी पत्नी प्रिया जगताप ने खेती में 2 लाख रुपये का निवेश किया है और उन्हें 50 टन उपज की उम्मीद है. अगर मौजूदा बाजार भाव बना रहे तो उन्हें 8 लाख रुपये का शुद्ध लाभ होने की उम्मीद है.
दौंड तालुका को मुख्य रूप से अपने गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है. लेकिन जगताप परिवार ने यहां सब्जियों के खेती में बड़ा नाम कमाया है. यहां जगताप ने अपने 19 एकड़ के खेत में गन्ने के साथ पत्तेदार सब्ज़ियों और फलों के बाग लगाए हैं जिसकी पैदावार दिल खुश करने वाली है. उन्होंने पड़ोस के नारायणगांव से 7 रुपये प्रति पौधे की दर से 3,200 बैंगन के पौधे खरीदे थे और उसे खेतों में लगाए हैं.
सिंचाई की जरूरतें एक निजी कुएं के ज़रिए पूरी की जाती हैं, जहां ड्रिप सिंचाई पाइप से हर पौधे को पानी पहुंचाया जाता है. बैंगन के पौधों को सहारा देने के लिए बांस की छड़ियों, तारों और धागों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें महिला मजदूरों की मदद ली जाती है.
जगताप के खेतों में 1 दिसंबर को कटाई शुरू हुई और हर तीन दिन में औसतन 1.5 से 2 टन उपज मिली. अब तक 10 कटाई पूरी हो चुकी है. उपज को मुंबई के वाशी और पुणे के गुलटेकड़ी जैसे प्रमुख बाजारों में भेजा जाता है, प्रत्येक बैंगन का वजन 300 से 400 ग्राम के बीच होता है.
जगताप बैंगन की खेती में अपनी सफलता का श्रेय परिवार के सहयोग और गुरु कैलास ताकावाले और विकास मोरे के गाइडेंस को देते हैं. प्रशांत जगताप ने चुनौतियों के बावजूद कृषि को आधुनिक बनाने के महत्व पर जोर दिया और अपनी उपलब्धियों का श्रेय परिवार सहयोग को दिया.
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