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मल्चिंग और ग्राफ्टिंग तकनीक से उपज बढ़ी, किसान सुदर्शन बोले- अब दोगुनी हो गई है मेरी कमाई 

मल्चिंग और ग्राफ्टिंग तकनीक से उपज बढ़ी, किसान सुदर्शन बोले- अब दोगुनी हो गई है मेरी कमाई 

ओडिशा के भुवनेश्वर के खोरदा जिले के प्रगतिशील किसान सुदर्शन बेहेरा ने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, ग्राफ्टिंग जैसी उन्नत तकनीकों को अपनी खेती के तरीके में अपना लिया है. इससे वर्तमान समय में वह फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अच्छी आय हासिल कर रहे हैं.

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ओडिशा के भुवनेश्वर के खोरदा जिले के प्रगतिशील किसान सुदर्शन बेहेरा. ओडिशा के भुवनेश्वर के खोरदा जिले के प्रगतिशील किसान सुदर्शन बेहेरा.

केंद्र सरकार किसानों को उन्नत खेती विधियों को अपनाने पर जोर दे रही है. इससे उपज तो बढ़ती ही और क्वालिटी में भी सुधार होता है. जबकि, कृषि लागत भी घट जाती है. जबकि, अच्छी क्वालिटी होने से उपज की कीमत भी बेहतर मिलती है. ओडिशा के किसान सुदर्शन बेहेरा ने उन्नत खेती विधि ग्राफ्टिंग, मल्चिंग और ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीक का इस्तेमाल करके अपनी लागत को घटा लिया है और उत्पादन बढ़ाने में सफलता पाई है. उन्होंने कहा कि पहले वह खेती से केवल 1 लाख रुपये कमा पाते थे, जबकि अब वह दोगुनी से ज्यादा कमाई कर रहे हैं. 

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार ओडिशा के भुवनेश्वर के खोरदा जिले के प्रगतिशील किसान सुदर्शन बेहेरा ने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग, ग्राफ्टिंग जैसी उन्नत तकनीकों को अपनी खेती के तरीके में अपना लिया है. इससे वर्तमान समय में वह फसल उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अच्छी आय हासिल कर रहे हैं. किसान सुदर्शन ने बताया कि पहले उनके पिता एकल विधि से खेती करते थे, मतलब एक ही फसल को उगाते थे. जबकि, उन्होंने एक साथ एक खेत में एक से ज्यादा फसलों की खेती की तकनीक अपनाई है, जिससे पहले जितनी लागत में अधिक उपज और मुनाफा मिलना शुरू हो गया है. 

केवीके से मिली ट्रेनिंग 

प्रगतिशील किसान सुदर्शन बेहेरा ने बताया कि उन्होंने 2014 से खेती से पूरी तरह जुड़े थे और स्थानीय तरीके से 2 एकड़ में खेती कर रहे थे. उन्होंने कहा कि खेती करने की मेरे पास कोई तकनीक नहीं थी और आई आइडिया नहीं था. उन्होंने बताया कि ब्लॉक में कृषि विभाग के कार्यालय से 2015 में संपर्क हुआ तो वह अपने जिले खोरदा के कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़ गए. वहां पर उन्हें आत्मा योजना के तहत फसलों की उन्नत और मॉडर्न तकनीक के बारे में ट्रेनिंग दी गई. 

कृषि लागत घटी 

किसान सुदर्शन ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र में ट्रेनिंग के दौरान उन्हें सरकारी योजनाओं पर सब्सिडी के बारे में और फसलों में ड्रिप सिंचाई और उसमें सही अंतराल की जानकारी मिली, जिससे उनकी कृषि लागत में कमी आई. इसके साथ ही उन्हें मल्चिंग तकनीक के जरिए बागवानी और सब्जी फसलों को उगाने की ट्रेनिंग मिली. कृषि विज्ञान केंद्र से ट्रेनिंग लेकर उन्होंने खेती की नए सिरे से शुरुआत की. 

दोगुनी हो गई कमाई 

प्रगतिशील किसान ने कहा कि 2014 में वह 2 एकड़ खेत में फसलें उगाते थे और अब वह 5 एकड़ जमीन पर उन्नत किस्मों की मॉडर्न तकनीक के साथ खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले उनकी कमाई करीब 1.18 लाख रुपये थी जो अब डबल इनकम में बदल गई है. वह अब खेत में मल्टीक्रॉप विधि के जरिए कई फसलों को उगाते हैं. इसके साथ ही पशुपालन भी करते हैं. 

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