कहते हैं कि जहां चाह होती है वहीं राह होती है. कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. ऐसा ही कर दिखाया पंजाब के जिला फ़रीदकोट के संधवां गांव निवासी एक नौजवान किसान ने. जो गेहूं और धान के पारंपरिक फसली चक्र से अलग सोच के साथ कम मेहनत में ज्यादा फायदा ले रहा है. मनजिंदर सिंह इंग्लैड से वापस पंजाब आ कर कलकत्ता और मध्य प्रदेश से फूलों के बीज खरीद के लाया. फिर फ़रीदकोट में ही अपने 6 एक़ड जमीन में फूलों की खेती कर कामयाबी की नई कहानी लिख दी.
अब वो हर महीने अच्छी कमाई कर रहा है. धान और गेहूं के मुकाबले काफी अधिक पैसा उसे मिल रहा है. फूलों की खेती से इस किसान की जिंदगी महक रही है. इस किसान को देख के आस पास के और किसान भी गेहूं और धान की खेती के चक्र से बाहर निकलने की सोच रहे है. इस किसान की खेती की मिसाल खुद खेती बाड़ी विभाग भी दूसरे किसानों को दे रहा है. इस खेती के फायदे गिना रहा है. क्योंकि अगर कोई किसान फूलों की खेती करता है तो इसके कई फायदे होते हैं. कम लागत, रोज की इनकम, दूसरी फसलों से तीन गुना मुनाफा, पानी की बचत और पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं. एक फसल चक्र बदलने से किसान को इतना फायदा हुआ.
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मनजिंदर सिंह ने बताया के वह कुछ समय पहले इंग्लैड से वापस अपने गांव आए थे. अब उनकी फूलों की खेती वाली सफलता देखकर कृषि विभाग के अधिकारी भी उनकी तारीफ कर रहे हैं. इस किसान की मिसाल दूसरे किसानों को दे रहे हैं. कृषि विभाग में आत्मा प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डॉ. अमनदीप केशव ने बताया कि हम किसानों को गेहूं और धान की फसल से अलग दूसरी खेती करने को प्रेरित करते हैं. उसी के तहत यह भी एक अच्छा विकल्प है कि फूलों की खेती की जाए. क्योंकि इस खेती में कम लागत और मुनाफा अधिक होता है. हमने देखा है के मनजिंदर सिंह ने मिसाल कायम की है.
वहीं मनजिंदर के फूलों की फसल और उसके मुनाफे को देख कर कई और गांवों के किसान धान और गेहूं की जगह फूलों की खेती करने की सोच रहे हैं. सिंह ने बताया कि वह पहले सब्जियों की खेती करता था. जिसमें उसकी मेहनत बहुत लगती थी. रात रात को उठ कर पानी देना औऱ सुबह 3 बजे मंडी लेके जाना. बहुत मेहनत का काम था. लेकिन फायदा नहीं होता था. मगर फूलों की खेती में मेहनत कम है और मुनाफा अधिक. फूलों की मांग पूरे साल बनी रहती है. इससे इसका दाम कभी कम नहीं होता. ऐसे में किसान को लागत पर अच्छा खासा मुनाफा मिल जाता है.
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