
बिहार में आधुनिक तकनीक के जरिए खेती से किसान अपनी आय को बढ़ा रहे हैं. साथ ही इन दिनों प्रदेश में कई ऐसे भी किसान हैं, जो औषधीय खेती की मदद से अपनी आर्थिक पक्ष मजबूत कर रहे हैं और अन्य किसानों को भी खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं. बिहार सरकार द्वारा भी औषधीय खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं पटना जिले के रहने वाले कृष्णा प्रसाद करीब 25 साल से औषधीय पौधे की खेती कर रहे हैं और बेहतर कमाई के साथ बिहार सहित अन्य राज्यों के किसानों से खेती करा रहे हैं.
कृष्ण प्रसाद करीब 30 बीघा में औषधीय फसलों की खेती करते हैं. वह कहते हैं कि औषधीय पौधे की खेती करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके फसल को छुट्टा पशु नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. आज कृष्ण प्रसाद के साथ करीब चार हजार से अधिक किसान जुड़कर औषधीय पौधे की खेती करते हैं.
किसान परिवार से तालुक रखने वाले कृष्ण प्रसाद किसान तक से बात करते हुए बताते हैं कि बचपन से ही कुछ अलग करने की चाहत थी. मेडिकल की पढ़ाई में सलेक्शन होने के बाद भी दाखिला नहीं लिया. वह आगे कहते हैं कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद औषधीय खेती की ओर रुख किया. वहीं कन्नौज में एफ.एफ.डी.सी और उद्यमिता विकास संस्थान से प्रशिक्षण लेने के बाद औषधीय पौधों की खेती करना शुरू किया.
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आज करीब 30 बीघा से अधिक जमीन में लेमनग्रास, मेंथा, तुलसी, सर्पगंधा, कालमेघ, बच, हल्दी, तुलसी सहित अन्य पौधों की खेती कर रहे हैं. वह कहते हैं कि ये खुद खेती करने के साथ अन्य किसानों से भी खेती करवाते हैं और उनके उत्पाद को एक बेहतर बाजार दिलाने का काम करते हैं.
कृष्णा प्रसाद कहते हैं कि वह औषधीय पौधे की खेती से करीब 5 लाख से अधिक सालाना कमाई करते हैं. उनके अनुसार कोई किसान अगर एक बीघा भी इसकी खेती करता है तो सभी खर्च काटकर 50 हजार रुपए तक की कमाई कर सकता है. चाहें वह किसी भी औषधीय पौधे की खेती करे. अन्य किसानों को सलाह देते हुए कहते हैं कि अगर कोई किसान परंपरागत तरीके से खेती करता हैं तो वह किनारे में मेंथा, लेमन ग्रास, तुलसी और हल्दी सहित अन्य औषधीय पौधे की खेती कर सकते हैं. इन खेती में खर्च का तीन गुना कमाई है. अब बाजार के लिए भी किसानों को भटकना नहीं पड़ेगा. क्योंकि अब कंपनिया किसानों से सीधे संपर्क कर रही हैं.
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औषधीय एवं सुगंधित पौधों उत्पादक संघ बिहार की मदद से ये कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत किसानों से खेती करवाते हैं. वह कहते हैं कि आज बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों के करीब चार हजार से अधिक किसान औषधि खेती कर रहे हैं. हम दो तरह के पौधों की खेती करते हैं. पहला जिससे तेल प्राप्त होता है. वहीं दूसरा उनके पत्ते और जड़ों की खेती करते हैं. वह कहते हैं कि यह औषधीय पौधे से तेल आसवन सयंत्र की मदद से तेल निकालते हैं. अगर कोई किसान मेंथा की खेती करता है. वह एक बीघा से 60 से 70 हजार रुपए की कमाई कर सकता है. जहां एक बीघा में खेती करने के दौरान 15 हजार रुपए खर्च आता है. वहीं 60 से 70 किलो तेल निकल जाता है और बाजार में 1000 रुपए लीटर भाव है. मार्च महीना इसकी खेती की लिए सबसे सही समय है.
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