जमशेदपुर से करीब 60 से 70 किलोमीटर दूर घाटशिला और चाकुलिया के बीच एक गांव पड़ता है. इसक गांव का नाम है- गोहला. इस गांव में दो युवा शिमला मिर्च की खेती से बढ़िया कमाई कर रहे हैं. इससे उन्हें हर महीने 70 हजार से 1 लाख रुपये की कमाई का अनुमान है. हालांकि, अभी उनकी लागत निकल रही है. इनमें से एक युवा दिनेश शर्मा आईटी इंजीनियर है. कोरोना काल के दौरान नौकरी जाने पर दिनेश वापस घर लौट आए और अपने दोस्त अनु कुमार दास के गांव में रहने लगे. दिनेश ने बताया कि जॉब जाने के बाद उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे अब आगे क्या करे. लेकिन साथ ही दोनों क्षेत्र में होने वाली खेती को लेकर इंटरनेट पर खोजबीन किया करते थे.
दिनेश ने बताया कि बहुत दिनों तक छानबीन करने पर पता चला कि इस इलाके में शिमला मिर्च की खेती काफी अच्छी हो सकती है और इससे बढ़िया मुनाफा हासिल किया जा सकता है. क्षेत्र में गर्मियों के दौरान तापमान बहुत ज्यादा (45-48 डिग्री सेल्सियस) होने के कारण लोग यहां शिमला मिर्च की खेती नहीं करते हैं. लेकिन, दोनों दोस्तों ने मिलकर शिमला मिर्च की खेती का मन बनाया और इसकी पूरी प्लानिंग की.
दिनेश ने बताया कि उन्होंने जॉब के दौरान कुछ पैसे बचाकर रखे थे और उन्हीं को खेती में लगा दिया. प्लानिंग के तहत दोनों दोस्तों ने सबसे पहले खेत में बोरिंग खुदवाया और पानी की व्यवस्था की. दिनेश ने बताया कि सौभाग्य से गांव में ग्राउंडवाटर लेवल काफी अच्छा है. इसलिए इसमें परेशानी नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने फसल को तेज धूप और विपरीत मौसम परिस्थितियों से बचाने के लिए 900 स्क्वायर फीट जमीन पर नेटहाउस कॉटेज तैयार की.
दिनेश ने बताया कि उन्होंने 2 रुपये के रेट से शिमला मिर्च के लगभग 5 हजार पौधे मंगवाए थे. लेकिन महीनों मेहनत करने के बाद इनमें से करीब 2500 से 3000 पौधे ही सुरक्षित बचे. हालांकि, जब बचे हुए पौधों में शिमला मिर्च उगना शुरू हुई तो उन्होंने पाया कि उपज की क्वालिटी काफी अच्छी है.
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दोनों को पहली तुड़ाई में लगभग 60 से 70 किलो उपज हासिल हुई, जब उन्होंने उपज बाजार में बेची तो उन्हें 70 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव मिला. इसके बाद दोनों ने खेत में और मेहनत बढ़ा दी और अब उन्हें और अच्छी पैदावार मिल रही है. अब दोनों दोस्त हर तीन-चार दिन में लगभग एक क्विंटल उत्पादन हासिल कर रहे हैं. इस फसल को बाजार में बेचकर उन्हें लगभग हर महीने लाख रुपये की बचत होने का अनुमान है.
दोनों दोस्तों ने बताया की नौकरी जाने के बाद वे काफी हताश हो चुके थे. उन्हें लग रहा था कि हम क्या करें, लेकिन हमारा झुकाव खेती की तरफ था तो हम लोगों ने एक प्रयास किया. हमें एक जमीन मालिक ने खेती के लिए जमीन दी और खेती के लिए प्रोत्साहित किया. अभी मात्र 3 महीने ही हुए हैं. हम लोगों ने शिमला मिर्च की अच्छी पैदावार हासिल की है और बाजार मूल्य भी काफी अच्छा मिल रहा है. इससे हमें काफी प्रोत्साहन मिला है और अब हम आगे ज्यादा मात्रा में शिमला मिर्च की खेती करेंगे, क्योंकि पूरे पूर्वी सिंहभूम में शिमला मिर्च की खेती नहीं होती है.
अनूप कुमार दास ने ने बताया कि वह नेटहाउस की हर दिन मॉनिटरिंग करते हैं. हमने पाया कि करीबन डेढ़ महीने के अंतराल के बाद ही इसमें फसल आ गई और काफी अच्छी उपज मिल रही है. यह इलाका काफ़ी गर्म इलाके में आता है. यहां का तापमान करीबन 46 डिग्री रहता है. इसलिए हम लोगों ने इसको धूप से प्रोटेक्ट किया है. उन्होंने कहा कि वे पहली बार खेती कर रहे हैं, इससे पहले उन्हें इसकी खेती का कोई अनुभव नहीं था.
वहीं, दोनों दोस्तों को खेती के लिए जमीन देने वाले गुनुमय मिश्रा ने कहा कि हमने इन लड़कों को अपने गांव की जमीन दी है. इन लड़कों ने आकर हमें बताया कि कोरोना काल में इनकी नौकरी चली गई और अब हम खेती करना चाहते हैं. हमारे पास जमीन थी तो हमने इन्हें खेती करने के लिए दे दी. अब ये लोग शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं और इसमें काफी सफल हैं. (अनूप सिन्हा की रिपेार्ट)
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