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औषधीय पौधों की खेती ने बदल दी हरियाणा के इस किसान की जिंदगी, जानिए सफलता की कहानी

औषधीय पौधों की खेती ने बदल दी हरियाणा के इस किसान की जिंदगी, जानिए सफलता की कहानी

सोनीपत के प्रगतिशील किसान श्याम सिंह ने खेती के प्रति बदल दी सोच. परंपरागत खेती छोड़ औषधीय पौधों से तैयार कर रहे हैं हर्बल प्रोडक्ट. लिख रहे हैं बदलाव की कहानी. अब 17 लोगों को दे रहे हैं रोजगार. खेत में ही बनाया हुआ है आउटलेट, वहीं पहुंच रहे खरीददार. प्रगति मैदान के व्यापार मेले में मिली जगह.

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खेती घाटे का सौदा नहीं है. यदि समय के साथ बदलाव किया जाए तो कृषि में आय बढ़ सकती है. बस किसानों को नजरिया बदलकर परंपरागत खेती की जगह बागवानी को अपनाने की देर है. पारंपरिक फसलों के मुकाबले बागवानी फसलों में अच्छा मुनाफा मिल रहा है. बागवानी किसान अपने उत्पादों को प्रोडेक्ट के रूप में प्रस्तुत कर किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) बनाकर खुद भी मार्केटिंग कर सकते हैं. नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में हरियाणा मंडप में ऐसे किसानों के स्टॉल हैं, जो औषधीय पौधों से हर्बल प्रोडक्ट तैयार कर बदलाव की कहानी के नायक बने हैं. ऐसे ही किसानों में श्याम सिंह भी हैं.

खेती से खुद के साथ दूसरों को रोजगार की सोच के साथ आगे बढ़ रहे सोनीपत के एमपी माजरा निवासी श्याम सिंह ने बागवानी से अपने ही प्रोडेक्ट तैयार किए हैं. हरियाणा मंडप के स्टॉल पर उन लोगों की अधिक भीड़ देखी जा रही है जो हर्बल प्रोडक्ट खरीदने में रुचि रखते हैं. श्याम सिंह कुछ वर्ष पहले तक अन्य किसानों की तरह ही परंपरागत खेती करते थे लेकिन उनके पिता करण सिंह ने उन्हें औषधीय पौधों की खेती के लिए प्रेरित किया.

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आंवला से मिला खेती को प्रोत्साहन

श्याम सिंह ने बताया कि उनके पास 18 एकड़ जमीन है. उन्होंने सबसे पहले आंवला 2 एकड़ में लगाया और उसके बाद आवंला की खेती के बीच में ही हल्दी, सरसों, मूंगफली व सौंफ की खेती करने लगे. बागवानी में बड़ा बदलाव 2014 के बाद आया जब उन्होंने आंवला से अलग-अलग प्रोडेक्ट बनाने शुरू किये और अब वे 5 एकड़ में आंवला की खेती कर रहे हैं.

लोगों को रोजगार दे रहा यह किसान

श्याम सिंह ने बताया कि उनके यहां आंवला, बेलगिरी, सौंफ, धनिया, मोरिका, सरसों, गुलाब की खेती करने के साथ इनके हर्बल प्रोडेक्ट भी तैयार किए जा रहे हैं. शुरू में उनके पास आंवला के कुछ प्रोडक्ट तैयार होते थे लेकिन अब वे 35 प्रकार के प्रोडक्ट तैयार कर रहें हैं. जिनमें आंवला कैंडी, आंवला अचार, लड्डू, मुरब्बा, बर्फी, पाउडर, जूस, गुलाब से गुलाबजल व गुलकंद प्रमुख हैं. उन्होंने बताया कि अब उनके यहां 17 लोगों को रोजगार मिला हुआ है.

खेत में ही आउटलेट, वहीं पहुंच रहे खरीददार

प्रगतिशील किसान श्याम सिंह ने बताया कि काम शुरू करने के समय मार्केटिंग की कुछ समस्या आती है. जैसे ही लोगों को उत्पादों के बारे में जानकारी हासिल होती है तो वे खरीददारी के लिए आने लगते हैं. उन्होंने खुद अपने खेत में आउटलेट बनाया हुआ है, जहां लोग उनके द्वारा निर्मित प्रोडक्ट खरीदने पहुंचते हैं. वो कई जिलों में अपने प्रोडक्ट सप्लाई कर रहे हैं.

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