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मिश्रित खेती का कमाल, हर साल 15 लाख की आय कमाते हैं भोपाल के श्याम सिंह 

मिश्रित खेती का कमाल, हर साल 15 लाख की आय कमाते हैं भोपाल के श्याम सिंह 

श्‍याम सिंह ने सिर्फ नौ एकड़ की जमीन से हर महीने सवा लाख की आमदनी से हर किसी को हैरान कर दिया है. श्‍याम सिंह, भोपाल के करीब के गांव गोलखेड़ी के रहने वाले हैं और उन्‍होंने मिश्रित खेती से यह सफलता हासिल की है. श्‍याम सिंह को मिश्रित खेती में जो सफलता मिली है, उससे आसपास के किसानों को भी प्रेरणा मिली है.

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भोपाल के श्‍याम सिंह बने बाकी किसानों की प्रेरणा (प्रतीकात्‍मक फोटो) भोपाल के श्‍याम सिंह बने बाकी किसानों की प्रेरणा (प्रतीकात्‍मक फोटो)

मिश्रित खेती यानी खेती करने का वह तरीका जिसमें फसलें उगाने के अलावा पशुपालन भी शामिल होता है. इस तरह की खेती पूरे एशिया के अलावा भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, चीन, मध्य यूरोप, नॉर्डिक देशों, कनाडा और रूस जैसे देशों में काफी पॉपुलर है. आज हम आपको मध्‍य प्रदेश के किसान श्‍याम सिंह के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्‍होंने इसी मिश्रित खेती के जरिए हर साल लाखों रुपये की आय कमाने में सफलता हासिल की है. आज श्‍याम सिंह की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा है और शायद इसी वजह से मध्य प्रदेश के कृषि विभाग की तरफ से भी उनकी सफलता के बारे में लोगों को बताया जा रहा है. 

बाकी किसानों की प्रेरणा 

श्‍याम सिंह ने सिर्फ नौ एकड़ की जमीन से हर महीने सवा लाख की आमदनी से हर किसी को हैरान कर दिया है. श्‍याम सिंह, भोपाल के करीब के गांव गोलखेड़ी के रहने वाले हैं और उन्‍होंने मिश्रित खेती से यह सफलता हासिल की है. श्‍याम सिंह को मिश्रित खेती में जो सफलता मिली है, उससे आसपास के किसानों को भी प्रेरणा मिली है.

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उन्‍होंने एक साल में 15 लाख रुपये से ज्‍यादा की आय कमाकर सबको हैरान कर दिया है. श्‍याम सिंह ने बताया कि उन्‍होंने 'आत्‍मा' प्रोजेक्‍ट में ऑर्गेनिक और कृषि  विविधिकरण की मदद से अपनी नौ एकड़ की जमीन पर खेती की. दो एकड़ जमीन पर श्‍याम सिंह ने सब्‍जी, 4 एकड़ में अनाज और दो एकड़ की जमीन पर फल लगाए. बाकी बची हुई जमीन पर ऑर्गेनिक खाद बनाई जाती है. 

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पॉली हाउस में उगाईं सब्जियां 

श्‍याम सिंह ने कृषि विभाग की मदद से पॉली हाउस तैयार किया. इस पॉली हाउस में उन्‍होंने सब्जियों की खेती की जिससे उन्‍हें बहुत ज्‍यादा फायदा हुआ. उन्‍होंने पालक की खेती की थी जिससे उन्‍हें काफी फायदा हुआ. श्‍याम सिंह को दो एकड़ की जमीन पर 100 से 125 क्विंटल तक पत्‍तेदार सब्जियों की फसल मिल रही है. श्‍याम सिंह कुशवाहा ने बताया, 'उनका गांव राजधानी के करीब है जिसकी वजह से ऑर्गेनिक सब्जियों की काफी डिमांड है. स्‍थानीय गैर सरकारी  संस्‍थाओं  की वजह से ऑर्गेनिक सब्जियां सीधे ग्राहकों  को मिलती हैं जिसकी वजह से उन्‍हें इनकी अच्‍छी कीमत मिल जाती है. 

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पशुपालन से भी फायदा 

श्‍याम सिंह खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं. इस वजह से उन्‍हें रोजाना 60 से 70 लीटर दूध भी गांव में बेच लेते हैं. उन्‍हें इससे हर महीने करीब 1 लाख 26 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है. श्‍याम सिंह ने वैज्ञानिकों की मदद से ऑर्गेनिक खाद बनाने की ट्रेनिंग भी ली हुई है. इस वजह से वह मटका खाद और 10 पत्‍ती काढ़ा बनाने में सफल हुए हैं. वर्मी कंपोस्‍ट, वर्मी वाश के प्रयोग से फसलों में डीएपी और बाकी केमिकल्‍स की जरूरत नहीं पड़ती है.