भूसा बनाकर की 150000 रुपये की कमाई, इस मशीन ने अलीगढ़ के किसान की बढ़ा दी आमदनी

भूसा बनाकर की 150000 रुपये की कमाई, इस मशीन ने अलीगढ़ के किसान की बढ़ा दी आमदनी

दीपक तिवारी ने सब्सिडी का लाभ लेते हुए 232000 रुपये में रीपर मशीन खरीद ली. तिवारी के खेतों में कंबाइन मशीन से गेहूं कटाई के बाद पर्याप्त मात्रा में फसल अवशेष निकालता था. तिवारी ने इस फसल अवशेष से भूसा बनाने का काम शुरू किया. उन्होंने 800 रुपये में एक ट्रॉली भूसा बनाने का काम शुरू किया. इससे उन्हें लगभग 150000 रुपये की आमदनी हुई.

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भूसे से की 150000 रुपये की कमाई, पढ़ें अलीगढ़ के किसान की Success Storyअलीगढ़ के सफल किसान

ये कहानी यूपी के सफल किसान दीपक तिवारी की है. दीपक तिवारी अलीगढ़ जिले के नदरोई गांव के रहने वाले हैं. दीपक ने खेती में ऐसा काम करके दिखाया है, जैसा काम कोई किसान करने के बारे में कम ही सोचता है. दरअसल, दीपक तिवारी ने भूसा से अच्छी कमाई की है. भूसा को अवशेष माना जाता है और शायद ही लोगों को इससे कमाई का खयाल आता है. लेकिन दीपक तिवारी ने इसी भूसे से एक बार में 1.5 लाख रुपये की कमाई की है. आइए इनकी सफलता की कहानी के बारे में जान लेते हैं.

दीपक तिवारी के पास नदरोई में 2 एकड़ जमीन है जिसमें वे अलग-अलग फसलों की खेती करते हैं. सिंचाई के लिए बिजली नलकूप का इस्तेमाल करते हैं. तिवारी बताते हैं कि उनकी खेती का रकबा बहुत कम है, इसलिए उन्हें बेहतर लाभ मिलने की गुंजाइश कम थी. वे हमेशा अपनी खेती को लाभप्रद बनाने के बारे में सोचा करते थे. इसी बीच उन्हें अखबार में यूपीडास्प योजना के बारे में कुछ पढ़ने को मिला. यह योजना यूपी के किसानों की मदद करने के लिए है.

क्या किया दीपक तिवारी ने

जानकारी हासिल कर दीपक तिवारी यूपीडास्प से जुड़ गए. इसी योजना में उन्हें स्ट्रॉरीपर मशीन के बारे में पता चला. चूंकि प्रदीप तिवारी के पास गेहूं के फसल अवशेष की कमी नहीं थी, लेकिन वे उससे कोई लाभ नहीं कमा पा रहे थे. ऐसे में स्ट्रॉरीपर मशीन उनके लिए चमत्कारी साबित होती दिखी. मशीन महंगी थी, इसलिए खरीदने के लिए पैसे नहीं थे. लिहाजा सब्सि़डी लेने के लिए दीपक तिवारी ने यूपीडास्प के दफ्तर से संपर्क किया और वहीं हाथोंहाथ इसका फॉर्म भर दिया. जांच के बाद विभाग की ओर से रीपर मशीन की सब्सिडी मिलने का रास्ता साफ हो गया.

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इसके बाद दीपक तिवारी ने सब्सिडी का लाभ लेते हुए 232000 रुपये में रीपर मशीन खरीद ली. तिवारी के खेतों में कंबाइन मशीन से गेहूं कटाई के बाद पर्याप्त मात्रा में फसल अवशेष निकालता था. तिवारी ने इस फसल अवशेष से भूसा बनाने का काम शुरू किया. उन्होंने 800 रुपये में एक ट्रॉली भूसा बनाने का काम शुरू किया. इससे उन्हें लगभग 150000 रुपये की आमदनी हुई. इसमें 60,000 रुपये का खर्च डीजल और मजदूरी आदि पर आया. खर्च काटकर दीपक तिवारी को एक सीजन में 90,000 रुपये का मुनाफा हुआ.

दीपक तिवाही बताते हैं कि रीपर मशीन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे उनकी आय में वृद्धि होती है. इस मशीन की मदद से किसान थोड़े समय में उचित और अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं. रीपर मशीन के भूसा बनाने की क्वालिटी अच्छई है जिसको किसान पसंद भी खूब कर रहे हैं. यहां तक कि रीपर मशीन से बने भूसे को किसान बहुत चाव से खाते हैं. इससे दूध का उत्पादन भी बढ़ता है.

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