बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में शुरू हुई केसर की खेती, इस किसान ने अपनी मेहनत से सबको चौंकाया

बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में शुरू हुई केसर की खेती, इस किसान ने अपनी मेहनत से सबको चौंकाया

किसान रूपेश दास ऐसे मुर्शिदाबाद के बेलडांगा के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने गांव में केसर की खेती है. उनका कहना है कि रोपाई करने के 40 दिन बाद केसर के पौधों में फूल भी आने लगे हैं. उनके खेत में लगे केसर के देखने के लिए दूर- दूर से लोग आ रहे हैं.

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बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में शुरू हुई केसर की खेती, इस किसान ने अपनी मेहनत से सबको चौंकायापश्चिम बंगाल में केसर की खेती. (सांकेतिक फोटो)

केसर का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में सबसे पहले कश्मीर का नाम उभर कर सामने आता है. लोगों को लगता है कि भारत के अंदर केसर की खेती सिर्फ कश्मीर में ही होती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. अब पूरे देश में किसान केसर की खेती कर रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई भी हो रही है. उत्तर प्रदेश, पंजाब और बिहार के बाद पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में भी केसर की खेती कर एक किसान ने सबको चौंका दिया है. इस किसान का नाम रूपेश दास है और वे पेशे से शिक्षक हैं. लेकिन वे बच्चों को बढ़ाने के साथ- साथ खेती भी करते हैं. खास बात यह है कि रूपेश दास वैज्ञानिक तरीके से खेती करते हैं. वे हमेशा अपने खेत में रिचर्स करते रहते हैं. इस बार उन्हें केसर उगाने में सफलता पाई है.

किसान रूपेश दास ऐसे मुर्शिदाबाद के बेलडांगा के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने गांव में केसर की खेती है. उनका कहना है कि रोपाई करने के 40 दिन बाद केसर के पौधों में फूल भी आने लगे हैं. उनके खेत में लगे केसर को देखने के लिए दूर- दूर से लोग आ रहे हैं. वहीं, कई लोग रूपेश दास से केसर की खेती करने की बारीकी भी सीख रहे हैं. ऐसे केसर अपनी खुशबू के लिए प्रसिद्ध है. मार्केट में इसका रेट लाखों रुपये किलो होता है. किसान रूपेश का कहना है कि यहां की जलवायु में केसर की पैदावार संभव है. केसर की पैदावार के लिए 17 से 24 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अच्छा होता है. हालांकि, यहां केसर के उत्पादन के लिए देखभाल और रखरखाव की आवश्यक है.

इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाएगी

इससे पहले बिहार के गिया जिले में खबर सामने आई थी कि इंजीनियर आशीष कुमार सिंह कश्मीर में होने वाली केसर की खेती कर रहे हैं. उनके केसर में पौधों में फूल भी खिलने लगे हैं. इसके साथ ही उन्होंने अंजीर की खेती करके किसानों को नई राह दिखाई है. किसान तक से बातचीत करते हुए आशीष कुमार ने कहा था कि इंजीनियरिंग कॉलेज में वाइस प्रिंसिपल की नौकरी से कहीं ज्यादा खेती अलग पहचान दिला रही है. उनकी माने तो उन्होंने केसर की खेती अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की है. फरवरी तक सही रिजल्ट मिलने के बाद इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाएगी. 

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सौ ग्राम केसर निकलने की उम्मीद है

वैसे तो आशीष 35 बीघा में खुद की जमीन में परंपरागत फसलों के साथ आधुनिक विधि से भी खेती कर रहे हैं.लेकिन खेती में नए प्रयोग के लिए टिकारी प्रखंड के गुलरिया चक गांव में पांच एकड़ जमीन रिजर्व रखा है. वहीं, उन्होंने बिहार में पहली बार करीब एक हजार स्क्वायर फीट जमीन में साढ़े तीन सौ केसर के कंद लगाए हुए हैं. वह बताते हैं कि अभी पायलट प्रोजेक्ट पर इसकी खेती शुरू की है, जिसका सफल रिजल्ट आना शुरू हो गया है. दिसंबर के महीने में केसर का पत्ता और फूल दोनों आने शुरू हो चुके हैं. वहीं आने वाले दिनों में फूलों की संख्या बढ़ी तो करीब साढ़े तीन सौ कंद से सौ ग्राम केसर निकलने की उम्मीद है.

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