scorecardresearch
यूपी में सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर क्यों पसरा सन्नाटा, क्या खरीद का लक्ष्य हासिल कर पाएगी सरकार!

यूपी में सरकारी गेहूं क्रय केंद्रों पर क्यों पसरा सन्नाटा, क्या खरीद का लक्ष्य हासिल कर पाएगी सरकार!

यूपी में गेहूं खरीद की गाड़ी बहुत धीमी चल रही है. लगभग हर जिला इसमें पिछड़ता जा रहा है. यहां तक कि कृषि मंत्री के गृह जिला देवरिया में भी गेहूं की खरीद बहुत पीछे है. किसानों से पूछने पर वे बताते हैं कि क्रय केंद्र पर गेहूं बेचने का क्या फायदा जब उन्हें बाजार में ही बंपर रेट मिल रहा है. यहां पढ़िए कुछ जिलों का सूरत-ए-हाल.

advertisement
यूपी में गेहूं खरीद का काम बहुत पीछे चल रहा है यूपी में गेहूं खरीद का काम बहुत पीछे चल रहा है

उत्तर प्रदेश में सरकार ने किसानों के गेहूं को खरीदने के लिए सरकारी केंद्र तो खोल दिए गए हैं. लेकिन इन गेहूं खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है. वजह ये है कि किसान अपना गेहूं सरकारी क्रय केंद्रों पर बेचने के बजाय व्यापारियों को ही बेच दे रहे हैं. किसानों की मानें तो इसके पीछे का कारण यह है कि सरकार द्वारा निर्धारित गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि किसानों का कहना है कि व्यापारी उनके घर पर आकर गेहूं खरीद ले रहा है. खास बात ये कि सरकार से ज्यादा रेट भी दे रहा है. आलम यह है कि उत्तर प्रदेश में 15 जून तक गेहूं की सरकारी खरीद होनी है. लेकिन 25 मई तक सरकारी खरीद लक्ष्य से बहुत ही पीछे है.

अगर हम पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश में इस साल गेहूं की सरकारी खरीद के लिए 60 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया था. कल की तारीख (25 मई, सुबह नौ बजे तक) तक 51931 किसानों से महज 2.13 लाख मीट्रिक टन ही खरीद हो पाई है. 'आजतक' की टीम ने चंदौली, देवरिया, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत और मुजफ्फरनगर सहित उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पड़ताल की. इसमें सरकारी गेहूं खरीद को लेकर हर जगह का हाल बेहाल मिला. आइए जानते हैं कि किस जिले में सरकारी गेहूं खरीद का क्या हाल है. किसान अगर सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं तो इसके पीछे की वजह क्या है.

चंदौली:

पूर्वी उत्तर प्रदेश का चंदौली धान का कटोरा तो है ही, इसके साथ ही यहां पर गेहूं की भी बहुत अच्छी पैदावार होती है. गेहूं की खरीद के लिए सरकार ने कुल 60 क्रय केंद्र बनाए हैं. लेकिन कमोबेश सभी क्रय केंद्रों का यही हाल है. क्रय केंद्र पर अपना गेहूं बेचने के लिए किसान नहीं पहुंच रहे हैं और हर एक क्रय केंद्रों पर इसी तरह का सन्नाटा पसरा दिखाई दे रहा है. चंदौली में तकरीबन एक लाख हेक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई थी. 

ये भी पढ़ें: UP News: कृषि मंत्री के गृह जिले में धीमी पड़ी गेहूं की सरकारी खरीद, रेट कम मिलने से किसान नाराज

विभाग ने इस बार 83000 टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था. लेकिन इसके सापेक्ष पूरे चंदौली जनपद में 24 मई तक महज 1252.91 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है. हालांकि गेहूं बेचने के लिए जिले के कुल 5032 किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया था. लेकिन अब तक सिर्फ 469 किसानों ने ही जिले के अलग-अलग गेहूं खरीद केंद्रों पर अपने गेहूं की बिक्री की है. जब 'आजतक' की टीम ने इसकी वजह जानने की कोशिश की तो जो जमीनी हकीकत सामने आई वह काफी चौंकाने वाली थी. चंदौली क़े किसानों ने बताया कि उन्होंने अपने गेहूं की उपज सरकारी खरीद केंद्र पर न बेचकर व्यापारियों और आढ़तियों को बेच दिया. ऐसा इसलिए क्योंकि उनको सरकारी रेट से ज्यादा कीमत व्यापारियों ने दी.

चंदौली के किसान केदार यादव और जोगिंदर की मानें तो प्राइवेट में गेहूं बेचने पर उनको अच्छी कीमत मिली. दूसरी ओर सरकार द्वारा प्रति क्विंटल गेहूं की कीमत 2125 रुपये निर्धारित की गई है. किसानों ने यह भी बताया कि उनको घर बैठे 2300 सौ रुपये प्रति क्विंटल गेहूं की कीमत मिल गई. इससे उनको आर्थिक फायदा तो हुआ ही, साथ ही साथ ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बच गया. उधर चंदौली की नवीन मंडी में स्थित गेहूं खरीद केंद्र के प्रभारी राजेश कुमार से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि किसानों को सरकारी रेट से ज्यादा रेट प्राइवेट में मिल जा रहा है. इसकी वजह से वे खरीद केंद्रों पर नहीं आ रहे हैं.

पीलीभीत:

अनाज का कटोरा कहे जाने वाले पीलीभीत को इस बार गेहूं खरीद में दो लाख 31 हजार मीट्रिक टन का टारगेट मिला था. इसके एवज में अब तक 90 परसेंट खरीद ही हो सकी है. जनपद में गेहूं खरीद के लिए कुल छह एजेंसियों ने 141 क्रय केंद्र खोले थे. इन केंद्रों पर अभी तक मात्र 401 किसानों ने ही अपना गेहूं बेचा जबकि 2075 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया था. टारगेट से बहुत पीछे होने पर विभाग के अधिकारी खुद केंद्रों पर गेहूं खरीद के लिए उतरे तो बमुश्किल अब तक 2078 मीट्रिक गेहूं खरीदा जा सका. 

पीलीभीत के डिप्टी आरएमओ विजय कुमार शुक्ला ने बताया कि गेहूं खरीद का इस बार लक्ष्य दो लाख 31 हजार मीट्रिक टन है और अब तक 2076 मीट्रिक टन गेहूं खरीद 401 किसानों से हुई है. इस बार गेहूं खरीद इसलिए कम रही क्योंकि सरकारी रेट कम है और आढ़त पर गेहूं को ऊंचे दाम मिल रहे हैं.

लखीमपुर:

लखीमपुर में भी सरकारी खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसरा दिखाई दिया. कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार लखीमपुर खीरी जिले में एक लाख 93 हजार 581 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती होती है और जिसका संभावित उत्पादन आठ लाख 52 हजार मीट्रिक टन होता है. इसके सापेक्ष लखीमपुर खीरी जिले को एक लाख 88 हजार मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य मिला था. लेकिन अब तक जिले में अलग-अलग विभागों द्वारा लगाए गए गेहूं खरीद खरीद सेंटरों पर सिर्फ 1435 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है.

लखीमपुर नवीन मंडी स्थल में गेहूं बेचने आए किसान रविंद्र सरकार बताते हैं कि मंडी में बेचने के लिए सेंटर के भाव कम हैं और दाम 2125 रुपये है और समय से पैसा नहीं मिलता है. लखीमपुर खीरी जिले में तैनात डिप्टी आरएमओ संतोष कुमार पटेल बताते हैं कि 
इस बार शुरू से ही बाजार में गेहूं का रेट एमएसपी से काफी ऊपर रहा है. इसकी वजह से किसान सरकारी खरीद केंद्र पर नहीं आ रहे हैं. किसानों को समझाने का प्रयास चल रहा है और जनपद के अन्य विभाग के अधिकारी भी किसानों को समझा रहे हैं कि वे सरकारी खरीद केंद्रों पर ही अपना गेहूं बेचें.

देवरिया:

उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के गृह जनपद देवरिया में गेंहू खरीद का लक्ष्य एक लाख दो हज़ार मीट्रिक टन रखा गया है. लेकिन अभी खरीदारी मात्र दो हज़ार मीट्रिक टन हुई है. किसानों की मानें तो सरकारी रेट से ज्यादा रेट प्राइवेट में व्यापारी दे रहे हैं और घर से गेहूं भी खरीद ले रहे हैं. सभी किसानों को गेहूं के सरकारी रेट से आपत्ति है. इसके अलावा क्रय केंद्रों का मनमाना रवैया, तालाबंदी भी गेहूं नहीं बिकने की वजह हैं. 

ये भी पढ़ें: गेहूं से खत्म होगा भूख का संकट, 100 फीसदी खाद्यान्न सुरक्षा के ल‍िए गेहूं को बढ़ावा देने की पहल

इस बारे में जिला विपणन अधिकारी भीमचंद गौतम ने कहा कि गेहूं की एमएसपी 2125 रुपया प्रति क्विंटल है जबकि मार्केट रेट 2300 रुपये प्रति क्विंटल है. व्यापारी खेत से ही इसी दाम पर गेहूं खरीद रहे हैं. इस साल गेहूं पर मौसम की मार पड़ी है. गेहूं भीगने से दाना पतला रह गया है और क्वालिटी गिर गई है. इस वजह से सरकारी केंद्रों पर खरीद में कई परेशानियां हैं. दूसरी ओर व्यापारी इस गेहूं का भी अच्छा रेट दे रहे हैं. किसान भविष्य में अच्छे रेट के लिए अपने गेहूं को रोक कर भी रख रहे हैं. इससे भी खरीद केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है.

मेरठ:

मेरठ मंडल में भी किसान सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने नहीं आ रहे हैं क्योंकि क्रय केंद्र पर रेट कम है जबकि मार्केट में रेट ज्यादा है. आरएमओ मेरठ मंडल कौशल देव ने बताया कि मेरठ मंडल में गेहूं खरीद का इस बार टारगेट 313000 मीट्रिक टन तय किया गया है. इसमें अब तक 5432.96 मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा गया है. मेरठ मंडल में 253 क्रय केंद्र बनाए गए हैं. सभी जगह खरीद की जा रही है. मेरठ में रहने वाले किसान गौरव ने बताया कि सरकार का रेट कम है इसलिए किसान उनको बेचने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. सरकार का रेट 2125 रुपये है जबकि मार्केट में 2500 से 2600 का रेट है. इसलिए लोग मार्केट में दे रहे हैं और पैसा भी हाथों-हाथ मिल रहा है.

अलीगढ़:

अलीगढ़ के गेहूं किसान जिले की सरकारी मंडियों में बने अनाज क्रय केंद्रों पर अपना अनाज नहीं बेच रहे हैं. इसकी वजह से सरकारी MSP के अनुसार खरीद कर रहे अधिकारियों को बेहद निराशा का सामना करना पड़ रहा है. एक लाख मीट्रिक टन से अधिक का टारगेट इस बार अलीगढ़ में MSP के जरिए गेहूं की खरीद का मिला हुआ था. लेकिन इसमें वे कुछ प्रतिशत ही खरीद कर पाए हैं. इसके पीछे प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि गेँहू किसान सरकारी MSP पर नहीं बेच रहे हैं क्योंकि उसका जो मूल्य है वह कम है. बाहर जो मूल्य उनको मिल रहा है वह बहुत ज्यादा है. 

हर दिन मंडी में 2200 रुपये से 2300 रुपये क्विंटल के बीच रेट खुल रहा है. वहीं जो सरकारी MSP का रेट है वह 2125 रुपये है. इससे ज्यादा पर खरीद सरकारी केंद्रों पर हो नहीं सकती, बोली इससे ज्यादा की लग रही है. इसलिए किसान सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेच नहीं रहा है. अलीगढ़ को 169000 मीट्रिक टन अनाज खरीद का टारगेट मिला हुआ था. लेकिन अभी तक सिर्फ 8558 मीट्रिक टन गेहूं की MSP पर खरीद हो पाई है.

फ़िरोज़ाबाद:

फिरोजाबाद जिले में गेहूं खरीदने के लिए 64 खरीद केंद्र बनाए गए थे. पूरी व्यवस्था की गई थी और सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं की 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदारी की कीमत भी तय की गई थी. लेकिन किसान सीधे आढ़तियों के माध्यम से 2200 रुपये प्रति क्विंटल में गेहूं बेच रहे हैं. किसानों को इससे लाभ हो रहा है, इसलिए किसान सरकारी गेहूं क्रय केंद्र पर नहीं पहुंच रहे हैं.

हालत ऐसी है कि फिरोजाबाद जिले का 67 हजार मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य रखा गया था. लेकिन अभी तक 750 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो पाई है. आलम यह है कि अधिकारी भी सकते में हैं और केंद्र प्रभारी और किसानों के घर पहुंच कर उनसे केंद्र में गेहूं बेचने का आग्रह कर रहे हैं. डांडियामई के किसान राममोहन कहते हैं कि उन्हें सीधे फसल को बेचने पर लाभ हो रहा है. इसलिए वे सीधे आढ़तियों के माध्यम से ही फसल बेच रहे हैं.

ये भी पढ़ें: किसान ने गेहूं की खड़ी फसल को जलाया, बिजली विभाग के सुस्त रवैये से खेत में लगाई आग

वहीं जिला खाद्य और विपणन अधिकारी गोरखनाथ यादव ने बताया कि इस साल गेहूं की खरीद काफी कम हुई है क्योंकि बाजार में गेहूं की सरकारी खरीद से अधिक है. किसान अधिक लाभ कमाने के लिए बाजार में गेहूं बेच रहे हैं. फिर भी हम किसानों से सीधे संपर्क कर रहे हैं.

अगर हम पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो 25 मई तक उत्तर प्रदेश में लक्ष्य क़े सापेक्ष सबसे कम खरीद आगरा में हुई है. सबसे अधिक खरीद महोबा में रिकॉर्ड की गई है. आगरा में कुल 48 हजार मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य था जबकि यहां पर महज 211.25 मीट्रिक टन ही खरीद हो पाई है. इसी तरह लक्ष्य क़े सापेक्ष सबसे अधिक खरीद महोबा मे हुई है. महोबा में 38000 मिट्रिक टन क़े लक्ष्य क़े सापेक्ष 11251.55 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है. इस साल गेहूं की खरीद की आखिरी तारीख 15 जून है. लेकिन अभी तक लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं की सरकारी खरीद बहुत ही कम हुई है. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि 15 जून तक सरकारी गेहूं की खरीद का आंकड़ा कितने मीट्रिक टन तक पहुंच पाता है. (मेरठ से उस्मान चौधरी, फिरोजाबाद से सुधीर शर्मा और अलीगढ़ से अकरम खान का इनपुट)