यूपी की योगी सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में शामिल फसलों का बीमा कराने पर किसानों द्वारा दी जाने वाली प्रीमियम की राशि तय कर दी है. चालू खरीफ सीजन के लिए किसान 31 जुलाई तक बीमा करा सकेंगे. सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि किसानों को पिछली दरों के अनुरूप प्रीमियम देना होगा. इस बीच सरकार फसल बीमा के दायरे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाने के लिए जागरूकता अभियान सहित अन्य हर संभव उपाय कर रही है. इसमें Climate Change की चुनौती का सामना करने में सक्षम श्री अन्न की खेती को बढ़ावा देने के मद्देनजर सरकार ने अब मोटे अनाज में शुमार ज्वार और बाजरा को भी Insurance Cover में शामिल कर लिया है. सरकार की इस पहल का असर यूपी में बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके में फसल बीमा कराने वाले किसानों की संख्या में साल दर साल इजाफा होने के रूप में भी दिख रहा है.
योगी सरकार ने चालू खरीफ सीजन में किसानों को बेमौसम बारिश जैसी संभावित घटनाओं को देखते हुए किसानों को PMFBY के तहत फसल बीमा के प्रीमियम की दरों को यथावत रखकर बड़ी राहत दी है. यूपी में Kharif Season की मुख्य फसल धान के अलावा बुंदेलखंड इलाके में अरहर और मूंगफली भी, इस सीजन की मुख्य फसल है.
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प्रीमियम की पिछली दरों को ही लागू रखने के आधार पर किसानों को अरहर और मूंगफली का बीमा कराने पर सबसे ज्यादा प्रीमियम देना पड़ेगा. अरहर के लिए किसानों को 1444 रुपये प्रति हेक्टेयर और मूंगफली के लिए 1266 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से प्रीमियम देना पड़ेगा. वहीं, सबसे कम प्रीमियम मक्का के लिए 320 रुपये प्रति हेक्टेयर और उड़द के लिए 374 रुपये प्रति हेक्टेयर है. अन्य मोटे अनाज में ज्वार का प्रीमियम 850 रुपये और बाजरा का प्रीमियम 748 रुपये प्रति हेक्टेयर देना होगा. बीमा के दायरे वाली शेष फसलों में मूंग का प्रीमियम 424 रुपये, तिल का 442 और सोयाबीन का 746 रुपये प्रति हेक्टेयर निर्धारित है. इन फसलों पर प्रीमियम की शेष राशि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बीमा कंपनी काे दी जाती है.
PMFBY के तहत किसानों को फसल खराब होने पर बीमित फसल का मुआवजा देने के लिए प्राकृतिक आपदा के अलावा कुछ अन्य आधार तय किए गए हैं. इसके तहत ओलावृष्टि, जलजमाव और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदा से Crop Damage होने पर किसानों को नुकसान की मात्रा के एवज में पूर्व निर्धारित दरों से क्षतिपूर्ति दी जाती है.
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इसके अलावा तापमान असंतुलन या अन्य वजहों से किसी फसल का Seed Germination न होने पर भी फसल बीमा का लाभ किसान को मिलेगा. इन सभी आधारों पर फसल नष्ट होने या नुकसान होने की सूचना किसान को आपदा के 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी को देनी होगी.
सरकार बीमा के दायरे में आने वाले किसानों की संख्या को बढ़ाने पर भी जोर दे रही है. इसके तहत बैंक आदि के कर्जदार या कर्जमुक्त, दोनों तरह के किसान फसल बीमा का लाभ उठा सकते हैं. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारक किसान का फसल बीमा अनिवार्य रूप से इस योजना के दायरे में शामिल हैं.
बुंदेलखंड में किसानों को फसल बीमा के प्रति लगातार जागरूक किए जाने के कारण फसल का बीमा कराने वाले किसानों की संख्या पिछले दो सालों में बढ़ी है. झांसी के कृषि उप निदेशक एमपी सिंह ने बताया कि साल 2022-23 में रबी सीजन के दौरान महज 16,295 किसानों ने फसल बीमा कराया था. खरीफ सीजन में यह संख्या बढ़कर 1.43 लाख हो गई. जबकि 2023-24 के खरीफ सीजन में जिले के 2.43 लाख किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराया था. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस साल यह संख्या गुणात्मक रूप से बढ़ेगी.
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