यूपी में गन्ने की लगातार बढ़ती उपज के अनुरूप राज्य में चीनी मिलों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए इन्हें उन्नत किया जा रहा है. इसके तहत यूपी की योगी सरकार ने अमरोहा जिले के गजरौला में स्थित सहकारी चीनी मिल काे अत्याधुनिक तकनीक से लैस कर इसका कायाकल्प करने का फैसला किया है.
इसका मकसद चीनी मिल की गन्ना पेराई क्षमता को दोगुना करने के अलावा इसी मिल परिसर में डिस्टलरी लगाकर बायो फ्यूल के रूप में इथेनॉल और कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट लगाना है. योगी सरकार ने हाल ही में मेरठ की मोहिउद्दीन में सहकारी चीनी मिल को उन्नत कर इसमें डिस्टलरी लगाने को मंजूरी दी है.
यूपी सरकार के गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग की ओर से गजरौला चीनी मिल का कायाकल्प करने की कार्ययोजना के बारे में बताया गया कि इससे गन्ना की मांग बढ़ेगी. सरकार का दावा है कि इसके फलस्वरूप इलाके के 40 हजार गन्ना किसानों की उपज की वाजिब दामों पर समय से खरीद सुनिश्चित हो सकेगी.
विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि सरकार ने गन्ना किसानाें के हित में गजरौला की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर काॅम्पलेक्स की स्थापना करने का निर्णय लिया है. इसमें गन्ना पेराई कर रिफाइंड चीनी उत्पादन के अलावा सी हैवी एवं बी हैवी केन जूस से 1 लाख लीटर इथेनाॅल प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाली डिस्टलरी तथा प्रेसमड से कम्प्रेस्ड बायाे गैस प्लान्ट की स्थापना भी की जायेगी.
उन्होंने बताया कि चीनी मिल में गन्ना से बनने वाले बाई प्राेडक्ट्स के रूप में शीरा, बैगास और प्रेसमड का बेहतर उपयोग कर आय के अतिरिक्त स्राेत अर्जित किए जाएंगे. इससे गन्ना किसानों को उनकी उपज की खरीद का समय से मूल्य भुगतान सुगमता से हाे सकेगा. साथ ही शुगर कॉम्प्लेक्स में आधुनिक तकनीक का ब्वाॅयलर लगाया जाएगा. इससे पर्यावरण पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा.
भूसरेड्डी ने कहा कि इस मिल की जगह आधुनिक शुगर काॅम्पलेक्स के बनने से इसकी गन्ना पेराई क्षमता लगभग दो गुनी तक हो जाएगी. गौरतलब है कि अभी इस मिल की गन्ना पेराई क्षमता 2500 टन प्रतिदिन है. चीनी मिल की क्षमता बढ़ने से एक पेराई सत्र में लगभग 80 से 90 लाख कुंंतल गन्ने की पेराई हाेगी.
उन्होंने बताया कि मिल की पेराई क्षमता के विस्तार से 20 किमी की परिधि में निकटवर्ती गांवों के लगभग 40 हजार गन्ना किसान लाभान्वित हाेंगें. इससे किसानों की आय लगभग दोगुनी करने का लक्ष्य प्राप्त करते हुये गन्ना किसानों के परिवार के लगभग 2 लाख सदस्यों को रोजगार एवं अन्य सुविधायें मिल सकेंगी.
भूसरेड्डी ने बताया कि इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्पलेक्स में चीनी मिल, डिस्टलरी, कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लान्ट की स्थापना से स्थानीय लोगों के लिये रोजगार के 1500 प्रत्यक्ष तथा 6,000 अप्रत्यक्ष अवसर उपलब्ध होंगे. जिससे क्षेत्र के लोगाें का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान हाेगा. इसके अलावा काॅम्प्लेक्स परिसर के कारण आसपास के इलाकाें में बाजार की अन्य सुविधाएं भी मुहैया होने से क्षेत्रीय विकास का रास्ता खुल सकेगा.
भूसरेड्डी ने कहा कि प्रेसमड से कम्प्रेस्ड बायाे गैस का उत्पादन करने से प्रेसमड का निस्तारण सुगमता से हाे सकेगा. इससे चीनी मिल काे अतिरिक्त आय होगी और इस मिल से अब तक हो रहे पर्यावरण प्रदूषण में भी कमी आयेगी. उन्होंने बताया कि चीनी मिल से बनने वाले बाई-प्राेडक्ट, प्रेसमड एवं डिस्टलरी के स्पेन्टवाॅश का उपयोग कर कम्प्रेस्ड बायोगैस का उत्पादन किया जायेगा. इसका उपयोग वाहनों के ईंधन के रूप में हाेगा. इससे क्रूड ऑयल की खरीद में कमी आने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी.
उन्हाेंने बताया कि डिस्टलरी के ब्वाॅयलर की राख से पोटाश ग्रेन्युअल बनाये जायेगे. जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी. गौरतलब है कि कम्प्रेस्ड बायाे गैस एक हरित ईंधन (ग्रीन फ्यूल) है. इसके इस्तेमाल से पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलेगी. उन्होंने बताया कि इस मिल का कायाकल्प होने से इसके सालाना राजस्व में 30 करोड़ रुपये का इजाफा होगा.
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