यूपी में बुंदेलखंड जैसे पठारी इलाकों की जलवायु एवं भौगोलिक परिस्थितियां बकरी पालन के लिए मुफीद मानी गई है. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय पशुधन मिशन यानी National Livestock Mission (एनएलएम) के तहत यूपी सरकार ने बुंदेलखंड क्षेत्र में 100 से 500 बकरी तक पालने की बड़ी यूनिट लगाने के लिए युवाओं को प्रोत्साहन देने की पहल की है. इसके लिए यूपी सरकार के पशुपालन विभाग ने इस मिशन के तहत बुंदेलखंड में 100 यूनिट लगाने काे मंजूरी दी है. बकरी पालन के लिए अनुकूल हालात के मद्देनजर इसे बुंदेलखंड के लिए सौगात माना जा रहा है. बकरी पालन को किसानों के लिए बढ़ता हुआ धन माना जाता है. इसके मद्देनजर सरकार ने 5 श्रेणियों में इस योजना को पशुपालकों के लिए शुरू किया गया है.
एनएलएम के अंतर्गत बकरी पालन की इस योजना का मकसद बकरी नस्ल सुधार करना है. इसके लिए सरकार द्वारा इस योजना के तहत उन्नत किस्म के बकरे एवं बकरी दिए जाते हैं. योजना के अनुसार पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा 100 से 500 बकरी की 5 तरह की यूनिट लगाने पर अधिकतम 50 प्रतिशत तक का अनुदान देने का प्रावधान है.
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मिशन के तहत 300 बकरियों और 15 बीजू बकरे की यूनिट की परियोजना लागत 60 लाख रुपये पर 30 लाख रुपये अनुदान, 400 बकरियों और 20 बीजू बकरे की 80 लाख रुपये तक की लागत वाली यूनिट लगाने पर अधिकतम अनुदान 40 लाख रुपये दिया जाएगा. वहीं, 500 बकरियों और 25 बीजू बकरे की यूनिट की परियोजना लागत 1 करोड़ रुपये मानते हुए इस पर 50 लाख रुपये का अनुदान देने की व्यवस्था की गई है.
इस योजना के तहत किसान अकेले या समूह में बकरी पालन की यूनिट लगा सकते हैं. एकल किसान के रूप में कोई भी पुरुष या महिला इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. एकल किसानों को बकली पालन की यूनिट लगाने के लिए पर्याप्त जमीन एवं अन्य जरूरी इंतजाम होने के प्रमाण, आवेदन करने के समय प्रस्तुत करने होंगे.
इसके अलावा जाे किसान समूह में इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, वे स्वयं सहायता समूह या कृषि उत्पादक संगठन यानि एफपीओ बनाकर भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं. इतना ही नहीं सरकार ने किसान सहकारी समितियों, किसानों के संयुक्त देयता समूहों एवं कंपनी कानून की धारा 8 के तहत गठित कंपनी को भी इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र घोषित किया है.
एकल किसान या समूह को इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन करते समय उस जमीन के दस्तावेज (खसरा खतौनी) के अलावा बैंक की पासबुक, आधार एवं पैन कार्ड लगाना अनिवार्य है. अगर जमीन लीज पर ली गई है तो लीज एग्रीमेंट की कॉपी और योजना की लागत के लिए यदि बैंक से लोन लिया गया है तो बैंक का सहमति पत्र भी आवेदक को लगाना होगा.
इसके अलावा जिस श्रेणी में यूनिट लगानी है, उसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट यानी डीपीआर और बकरी पालन का प्रशिक्षण लेने का प्रमाण पत्र भी लगाना होगा. सरकार की दलील है कि इस योजना में बकरी पालन की बड़ी यूनिट लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है, इसलिए इस योजना के तहत बकरी पालन के प्रशिक्षण को अनिवार्य किया गया है.
एनएलएम की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करते समय इन सभी दस्तावेजों को अपलोड करने के साथ ही आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी. इसके बाद पशुपालन विभाग के अधिकारी दस्तावेजों के आधार पर जमीन और अन्य संसाधनों का भौतिक सत्यापन करेंगे. सत्यापन के बाद आवेदन काे स्वीकृति मिलने पर काम के आधार पर किस्तों में अनुदान मिलना शुरू हो जाएगा.
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यूपी के बुंदेलखंड इलाके में बकरी पालन कर रहे प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह ने बताया कि किसानों के लिए सही मायने में बकरी, बढ़ता हुआ धन है. उन्होंने कहा कि 5 बकरी और 1 बकरे से शुरु की गई छाेटी यूनिट का आकार महज 3 साल में 4 बकरी तक पहुंच जाता है. बकरी से दूध और बकरे को सीधे बाजार में बेचकर किसान दोहरा लाभ कमा सकते हैं.
उन्होंने बताया कि 5 बकरी की छोटी यूनिट लगाने पर एक साल में पशुधन की संख्या बढ़कर कम से कम 15 हो जाती है. बाजार में बकरे की कम से कम 5 हजार रुपये कीमत मिल जाती है. उन्होंने बताया कि एक साल में ऐसी स्थिति आ जाती है, जब पशुपालक महीने में दो बकरे बेच कर औसतन 10 हजार रुपये कमा सकते हैं. इसके अलावा प्लेटलैट्स बढ़ाने में कारगर माना गया बकरी का दूध भी बाजार में कम से कम 100 रुपये प्रति लीटर की कीमत पर बिकता है. ऐसे में बकरी पालन हर लिहाज से किसानों के लिए मुनाफे का काम है.
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