मखाना की खेती करने वाले किसानों की बढ़ेगी आय, योगी सरकार ने लॉन्च की नई स्कीम, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

मखाना की खेती करने वाले किसानों की बढ़ेगी आय, योगी सरकार ने लॉन्च की नई स्कीम, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

Makhana cultivation: मखाना की खेती तालाब या औसतन तीन फीट पानी भरे खेत में होती है. नवंबर महीने में इसकी नर्सरी डाली जाती है और चार माह बाद (फरवरी-मार्च में) इसकी रोपाई की जाती है. 

Advertisement
मखाना की खेती करने वाले किसानों की बढ़ेगी आय, योगी सरकार ने लॉन्च की नई स्कीम, यहां पढ़ें पूरी डिटेलयूपी के 18 जिलों के किसानों को मिलेगा 40 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान (File Photo)

योगी सरकार ने मखाने की खेती को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू की है. इसके तहत तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये का अनुदान दिया जाएगा. प्रदेश के 18 जिलों में योजना की शुरूआत की गई है. इसमें उद्यान विभाग द्वारा एकीकृत बागवानी विकास मिशन के नवान्मेषी कार्यक्रम के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है. योजना का उद्देश्य रोजगार सृजन के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि करना है.

किसानों को कराना होगा पंजीकरण 

योगी सरकार के उद्यान, कृषि विपणन, कृषि विदेश व्यापार एवं कृषि निर्यात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि मखाना खेती की विभाग द्वारा अनुमन्य इकाई की लागत 80 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर है. इसमें सरकार 50 प्रतिशत यानी 40 हजार रुपये का अनुदान देगी. इसके लिए किसानों को जिला उद्यान अधिकारी के पास पंजीकरण कराना होगा.

इन जिलों में 10 हेक्टेयर मखाना उत्पादन का लक्ष्य 

योजना के तहत प्रत्येक चिह्नित जनपदों में 10 हेक्टेयर मखाना उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. इससे प्रदेश में कुल 180 हेक्टेयर में मखाने की खेती होगी. उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, सीतापुर, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाजीपुर, बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बलिया, कुशीनगर, महाराजगंज, मिर्जापुर, बरेली में इस योजना को लागू किया जा रहा है. इन जिलों में मखाने की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और संसाधन उपलब्ध हैं. यहां तालाबों और निचले क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति मखाना उत्पादन के लिए अनुकूल है.

10 महीने में तैयार हो जाती है मखाने की फसल

मखाना की खेती तालाब या औसतन तीन फीट पानी भरे खेत में होती है. नवंबर महीने में इसकी नर्सरी डाली जाती है और चार माह बाद (फरवरी-मार्च में) इसकी रोपाई की जाती है. रोपाई के करीब पांच महीने बाद पौधों में फूल लगने लगते हैं. अक्टूबर-नवंबर में इसकी कटाई शुरू होती है. नर्सरी डालने से लेकर कटाई तक कुल 10 माह का समय फसल तैयार होने में लगता है. मखाना की खेती उन किसानों के लिए तो और भी फायदेमंद है जो पहले से अपने निजी तालाबों में मछली पालन करते हैं.

सुपरफूड के रूप में बढ़ रही मखाना की डिमांड

पोषक तत्वों का खजाना होने का कारण मखाना की ख्याति एक सुपरफूड के रूप में बढ़ रही है. कोरोना के बाद लोगों में स्वास्थ्य और प्रतिरक्षण प्रणाली को मजबूत करने के लिए जागरूकता काफी बढ़ी है और इसके चलते मखाना की मांग में भी काफी तेजी से वृद्धि हुई है. लो कैलोरी होने के साथ मखाना में प्रोटीन, फॉस्फोरस, फाइबर, आयरन और कैल्शियम भरपूर पाया जाता है. इसका सेवन पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ हृदय, उच्च रक्तचाप और मधुमेह नियंत्रण के लिए मुफीद माना जाता है.

 

POST A COMMENT