यूपी में पीएम किसान योजना (PM Kisan Scheme) के तहत पंजीकृत कुल किसानों में से लगभग 20 परसेंट किसान अपने दस्तावेजों को राज्य सरकार द्वारा वेरिफाई कराने में नाकाम रहे हैं. इस वजह से अब इन किसानों को पीएम किसान स्कीम के तहत मिलने वाली 6,000 रुपये की वार्षिक किस्त नहीं मिल पाएगी. दूसरी ओर, यूपी सरकार इस स्कीम से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ना चाह रही है और उसके लिए कई तरह की तैयारियां की जा रही हैं. यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि योजना के तहत पंजीकृत 2.6 करोड़ से अधिक किसानों में से अब तक केवल 2.05 करोड़ ने ही अपने बैंक खाते और आधार कार्ड वेरिफाई कराए हैं. बाकी या तो अपने दस्तावेज़ जमा करने में नाकाम रहे हैं या उनके आधार कार्ड और लैंड रिकॉर्ड में खामियां हैं.
पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा फरवरी 2019 में लॉन्च की गई पीएम किसान योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए सबसे प्रतिष्ठित योजनाओं में से एक है. सरकार नवंबर में पात्र किसानों को 2,000 रुपये की 15वीं किस्त जारी करने वाली है. आपको बता दें अब तक देश के सभी पात्र किसानों को इस योजना के तहत 14 किस्तें दी जा चुकी हैं. किसानों को आधार कार्ड या पैन कार्ड जैसे पहचान दस्तावेज प्रस्तुत करना आवश्यक है. इसके अलावा उन्हें भूमि रिकॉर्ड, बैंक खाते से संबंधित जानकारी, एक पासबुक और विवरण भी जमा करना होगा.
कृषि मंत्री शाही ने कहा कि डेटा को सटीकता के लिए लगातार अपडेट किया जाता है. उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई के बीच दो महीने की लंबी ड्राइव के दौरान 10 लाख से अधिक किसानों ने अपने दस्तावेज जमा किए या सत्यापित कराए. उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य आने वाले दिनों में पीएमकेएसएनवाई के साथ-साथ सभी जिलों को पूरा करना है." लेकिन इसके लिए किसानों को अपनी जानकारी सत्यापित कराने के महत्व के बारे में अधिक जागरूक करने की आवश्यकता है ताकि योजना का लाभ उन तक पहुंच सके.
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किसानों को जागरूक करने और उन तक इस योजना का लाभ पहुंचाने के लिए कृषि विभाग ने 15 अक्टूबर तक योजना के तहत अधिकतम संख्या में पात्र किसानों को कवर करने के लिए एक नया अभियान शुरू किया है. सभी जिला मजिस्ट्रेटों, सीडीओ के लिए सरकारी आदेश जारी किया गया है. मुख्य सचिव (कृषि) देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि किसानों के लिए एक कुशल तंत्र 'ई-केवाईसी और आधार सीडिंग को लागू करना आवश्यक था. इसके अतिरिक्त, अधिकारियों को पात्र किसानों को प्रमाणित करने के लिए घर-घर सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि यह अभियान ग्राम स्तर के सम्मेलनों और 'किसान पाठशालाओं' में भी चलाया जा सकता है.
विभाग ने राजकीय कृषि बीज केंद्रों पर हेल्पडेस्क लगाने का भी निर्णय लिया है. जिन किसानों के भूमि अभिलेख सत्यापित (land records verified) नहीं हुए हैं, उन्हें तहसील स्तर से सत्यापन कराना होगा. यह काम डीएम, एसडीएम और तहसीलदारों की निगरानी में किया जाएगा. सूत्रों ने कहा कि किसानों का ई-केवाईसी पूरा करने के लिए कृषि विभाग अपने अधिकारियों को विभिन्न सामान्य सेवा केंद्रों पर तैनात कर रहा है.
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