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किसानों को आधार की तरह मिलेगी फार्मर आईडी, फसल से लेकर लैंड रिकॉर्ड तक की जानकारी होगी दर्ज

किसानों को आधार की तरह मिलेगी फार्मर आईडी, फसल से लेकर लैंड रिकॉर्ड तक की जानकारी होगी दर्ज

फार्मर आईडी आधार कार्ड की तरह होगी. इस कार्ड के जरिए देश के किसानों को एक विश्वसनीय डिजिटल पहचान उपलब्ध कराया जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2024-25 में देश के छह करोड़ किसानों तक यह कार्ड पहुंच जाए. इसमें कृषि से जुड़ी कई जानकारियां दर्ज होंगी.

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किसानों को मिलेगा किसान कार्ड (सांकेतिक तस्वीर) किसानों को मिलेगा किसान कार्ड (सांकेतिक तस्वीर)

देश के किसानों को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से लगातार पहल की जा रही है. इसी पहल के तहत अब देश के किसानों को आधार कार्ड की तर्ज पर यूनिक किसान आईडी कार्ड (Farmer ID) देने की तैयारी चल रही है. सरकार का प्रयास है कि अगले तीन साल तक यह यूनिक फार्मर कार्ड सभी किसानों को मिल जाए. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2024-25 में देश के छह करोड़ किसानों तक यह कार्ड पहुंच जाए. यह कार्ड अलग-अलग राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा बनाए जाएंगे और मॉनिटरिंग की जाएगी. इस कार्ड से संबंधित किसान की जमीन का रिकॉर्ड रहेगा. साथ ही उसके पास कितने मवेली हैं और उसने किस फसल की खेती की है, इसकी पूरी जानकारी रहेगी. 

इस कार्ड के जरिए देश के किसानों को एक विश्वसनीय डिजिटल पहचान उपलब्ध कराया जाएगा. यह देश के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विशेषता होगी. इसे डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के रूप में डिज़ाइन किया गया है, ताकि किसानों को फसल बीमा और फसल लोन जैसी सेवाओं का लाभ उठाने में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े. किसानों के यूनिक कार्ड  में उनकी रजिस्ट्री के अलावा उनके गांव के जमीन के नक्शे की जानकारी, उनके द्वारा बोई गई फसल की जानकारी दर्ज होगी. 

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11 करोड़ किसानों का डेटा है सरकार के पास

बता दें कि डिजिटल कृषि मिशन नामक योजना के तहत केंद्र सरकार ने पहले देश के 11 करोड़ किसानों का डिजिटल पहचान बनाने की योजना बनाई है. सरकार का प्रयास है कि अगले साल मार्च तक छह करोड़ किसानों को यह सुविधा मिल जाए जबकि तीन करोड़ किसानों को यह सुविधा 2025-26 के दौरान और बाकि बचे दो करोड़ किसानों को 2026-27 तक यह सुविधा मिल जाएगी. सरकार के पास पहले से ही देश के 11 करोड़ उन किसानों का डेटा है जो पीएम किसान योजना से जुड़ कर उसका लाभ ले रहे हैं. 

राज्यों के जिलों में चलाया गया पायलट प्रोजेक्ट

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी ने बताया कि किसान यूनिक कार्ड की शुरुआत करने से पहले ही इसकी क्षमता का आकलन करने के लिए देश के छह राज्यों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण के नाम पर पायलट प्रोजेक्ट चलाए जा चुके हैं. यह काफी सफल भी रहा है. इन छह राज्यों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा पंजाब और तमिलनाडु शामिल हैं. डिजिटल फसल सर्वेक्षण के तहत किसानों द्वारा बोई गई फसलों को प्रत्येक बुवाई के मौसम में मोबाइल-आधारित ग्राउंड सर्वे के माध्यम से रिकॉर्ड किया जाएगा जिससे उपज का अनुमान मिल जाएगा.

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उत्पादन का मिलेगा सटीक अनुमान

डिजिटल फसल सर्वेक्षण से जो डाटा प्राप्त होगा, किसान उसका इस्तेमाल वैज्ञानिक रूप से फसलों की कटाई के लिए कर सकेंगे ताकि उत्पादन का सटीक अनुमान मिल सके. इससे कृषि उत्पादन की सटीकता बढ़ेगी. इसका एक फायदा यह भी होगा की प्राकृतिक आपदा के दौरान हुए फसल नुकसान का भी सटीक आकलन किया जाएगा. इसका जमीनी सर्वेक्षण करने का खर्च बचेगा और किसानों को सही समय पर नुकसान की भारपाई भी की जाएगी. साल 2024-25 के दौरान 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण पूरा किया गया और बाकि जिलों में 2025-26 में कर लिया जाएगा.