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तमिलनाडु सरकार की बड़ी पहल, केमिकल फ्री खेती के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लॉन्च

तमिलनाडु सरकार की बड़ी पहल, केमिकल फ्री खेती के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लॉन्च

ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में भारत का स्थान पूरी दुनिया में पांचवां है जहां 2.66 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में ऑर्गेनिक विधि से खेती की जाती है. भारत में तमिलनाडु का स्थान 14वां है जहां 31,629 हेक्टेयर में ऑर्गेनिक फार्मिंग की जा रही है. इस खेती में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है जबकि महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर काबिज हैं.

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तमिलनाडु सरकार ने ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लॉन्च की तमिलनाडु सरकार ने ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लॉन्च की

खेती-किसान के क्षेत्र में तमिलनाडु सरकार ने बड़ी पहल की है. यहां की सरकार ने प्रदेश में रासायन मुक्त (केमिकल फ्री) खेती को बढ़ावा देने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लॉन्च की है. इसका पूरा मकसद मिट्टी की सेहत को सुधारना और खेती में विविधता को लागू करना है. सरकार का कहना है कि केमिकल फ्री खेती के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग पॉलिसी लागू किए जाने के बाद लोगों को शुद्ध और सुरक्षित भोजन मिल सकेगा. मंगलवार को मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस नई पॉलिसी की शुरुआत की. 

इस पॉलिसी की मदद से प्रदेश के लोगों को सुरक्षित, सेहतमंद और पर्यावरण अनुकूल भोजन मुहैया कराने का लक्ष्य है. ऑर्गेनिक फार्मिंग के क्षेत्र में भारत का स्थान पूरी दुनिया में पांचवां है जहां 2.66 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में ऑर्गेनिक विधि से खेती की जाती है. भारत में तमिलनाडु का स्थान 14वां है जहां 31,629 हेक्टेयर में ऑर्गेनिक फार्मिंग की जा रही है. इस खेती में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है जबकि महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक क्रमश: दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर काबिज हैं.

2020-21 में भारत ने तकरीबन 3.48 मिलियन मीट्रिक टन सर्टिफाइड ऑर्गेनिक प्रोडक्ट का उत्पादन किया जिनमें तिलहन, अनाज, मिलेट्स, कॉटन, दाल आदि शामिल हैं. निर्यात के लिहाज से देखें तो सबसे अधिक प्रोसेस्ड फूड (ऑर्गेनिक खेती से उपजाए गए उत्पाद) का उत्पादन हुआ जिसकी मात्रा 45.87 परसेंट रही. उसके बाद तिलहन 13.25 परसेंट और अनाज 7.61 परसेंट उगाया गया.

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'PTI' की एक रिपोर्ट बताती है, 2020-21 में तमिलनाडु ने 4223 मीट्रिक टन ऑर्गेनिक फूड का निर्यात किया जिससे 108 करोड़ रुपये की कमाई हुई. निर्यात के अलावा ऑर्गेनिक फार्मिंग के कई लाभ हैं जिनमें मिट्टी की उर्वरकता बनाए रखने, फसलों पर केमिकल का असर कम करने और भोजन को संतुलित-सेहतमंद बनाए रखना शामिल है. 

तमिलनाडु के पॉलिसी डॉक्युमेंट में कहा गया है, "जैविक खेती (आर्गेनिक फार्मिंग) फसल उत्पादन और पशुपालन के बीच संतुलन बनाती है और प्राकृतिक माहौल में अच्छी जिंदगी जीने की सुविधा प्रदान करती है. यह खेती में आत्मनिर्भरता और स्थिरता का भी समर्थन करती है." 

ऑर्गेनिक फार्मिंग को क्यों बढ़ावा दिया जा रहा है, इस बारे में भी पॉलिसी डॉक्युमेंट में जानकारी दी गई है. इसमें कहा गया है, पूरी दुनिया में एग्रो-केमिकल के इस्तेमाल से कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां देखी जा रही हैं. यह सिद्ध हो चुका है कि कीटनाशकों की वजह से इंसानों और पशुओं में कई तरह के स्वास्थ्य से जुड़े खतरे सामने आ रहे हैं. 

इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन 'वन हेल्थ' अभियान को प्रमोट कर रहा है जिसमें मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए ऑर्गेनिक फार्मिंग को जरूरी बताया जा रहा है. तमिलनाडु सरकार का कहना है कि दुनिया में ऑर्गेनिक प्रोडक्ट की डिमांड पूरी करने के लिए तमिलनाडु में पूरी क्षमता है. 

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ऑर्गेनिक फार्मिंग से मिश्रित खेती और इंटीग्रेटेड खेती को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही सीजन आधारित खेती-बाड़ी को भी बढ़ने का मौका मिलेगा. पॉलिसी के मुताबिक, पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाजरा, दालों और सब्जियों जैसी पोषक फसलों को प्रोत्साहित किया जाएगा. अकार्बनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की खरीद की लागत को कम करने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को बढ़ावा दिया जाएगा.

पॉलिसी डॉक्युमेंट कहती है, मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय टीम सहित विभिन्न समितियों का गठन हर पांच साल में ऑर्गेनिक फार्मिंग नीति की समीक्षा करने के लिए किया जाएगा और जैविक खेती नीति को लागू करने और योजनाओं को अंतिम रूप देने की निगरानी के लिए एक संचालन समिति का गठन किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि एक कलेक्टर की अध्यक्षता में एक जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें विभिन्न विभागों और संस्थानों के सदस्य होंगे.