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किसानों से 70 लाख टन गेहूं खरीदेगी मध्यप्रदेश सरकार, 25 मार्च से शुरू होगी खरीद

किसानों से 70 लाख टन गेहूं खरीदेगी मध्यप्रदेश सरकार, 25 मार्च से शुरू होगी खरीद

मध्यप्रदेश के फूड और सिविल सप्लाइज डिपार्टमेंट के प्रधान सचिव उमाकांत उमाराव ने बताया कि इस बार 15 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. एक अनुमान के मुताबिक इस बार 70 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद होने की संभावना है. प्रदेश का खाद्य वितरण निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से गेहूं की खरीद करेगा.

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मध्यप्रदेश में 25 मार्च से शुरू होगी गेहूं की सरकारी खरीद मध्यप्रदेश में 25 मार्च से शुरू होगी गेहूं की सरकारी खरीद

मध्यप्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होगी. देश में गेहूं उत्पादन और सरकारी स्टॉक में गेहूं देने के मामले में मध्यप्रदेश का दूसरा स्थान है. पहले स्थान पर पंजाब का नाम आता है. इस बार भी मध्यप्रदेश में गेहूं के बंपर उत्पादन की संभावना है. यहां के कई इलाकों में गेहूं की कटनी शुरू भी हो गई है. इस हिसाब से 2023-24 मार्केटिंग सीजन के लिए 25 मार्च से गेहूं की खरीद शुरू की जाएगी. इसके बारे में प्रदेश के खाद्य वितरण विभाग के सचिव ने जानकारी दी.

मध्यप्रदेश के फूड और सिविल सप्लाइज डिपार्टमेंट के प्रधान सचिव उमाकांत उमाराव ने बताया कि इस बार 15 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया है. एक अनुमान के मुताबिक इस बार 70 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद होने की संभावना है. प्रदेश का खाद्य वितरण निगम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से गेहूं की खरीद करेगा. सरकारी क्रय नीति के मुताबिक किसानों से गेहूं की खरीद की जाएगी.

उमाकांत उमाराव ने 'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' से कहा, प्रदेश के कुछ इलाकों में कटनी पूरी हो गई है. बाकी जगहों पर अगले कुछ हफ्तों में इसमें तेजी देखी जाएगी. उमाराव के मुताबिक इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है और सामान्य तापमान के बढ़ने से पैदावार पर कोई असर दिखने की संभावना नहीं है. पिछले कुछ हफ्तों में तापमान में बढ़ोतरी देखी गई है, मगर गेहूं पर इसका असर होता नहीं दिख रहा.

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आधिकारिक तौर पर एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होती है, पर इस साल 25 मार्च से इसकी शुरुआत की जा रही है. पिछले साल फरवरी में अचानक तापमान बढ़ने से गेहूं के मिल्किंग स्टेज में ही मौसम की मार पड़ गई थी. बाद में लू चलने से भी पैदावार मारी गई. लगभग सभी राज्यों में यही हाल देखा गया. पिछले साल के मार्केटिंग सीजन (अप्रैल-जून) में मध्यप्रदेश में मात्र 46 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी. उससे पहले 2020-21 में यह खरीद रिकॉर्ड 113 लाख टन पर पहुंच गई थी.

पिछले साल फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) और राज्य सरकारों की एजेंसियों ने 56 परसेंट से भी कम गेहूं की खरीद की थी और यह मात्रा 18.8 मिलियन टन रही थी. उससे पहले वाले साल यह खरीद 43.3 मिलियन टन रही थी. सरकार ने पिछले साल गेहूं खरीद का लक्ष्य 44 मिलिनय टन रखा था. मौजूदा साल के मार्केटिंग सीजन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू की जाएगी.

इस महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार और प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों के खाद्य मंत्रियों के बीच एक बैठक हुई थी. बैठक में इस बात की संभावना जताई गई कि देश के 10 प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में 34.15 मिलियन टन गेहूं की खरीद हो सकती है. गेहूं खरीद में तेजी आने से एफसीआई का स्टॉक फिर से बढ़ने की संभावना है जिसके एक अप्रैल तक 9.6 मिलियन टन तक गिरने की आशंका है. हालांकि एफसीआई का बफर स्टॉक 7.6 मिलियन तक बनाए रखने का नियम है. लेकिन हर साल इसकी मात्रा बफर स्टॉक से ज्यादा रहती है.

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देश में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लोगों को अनाज बांटने के लिए एफसीआई का स्टॉक हमेशा बनाए रखना होता है. आने वाले सीजन में एफसीआई और राज्य सरकार की एजेंसियों को 30 मिलियन टन गेहूं की खरीद करनी है ताकि गेहूं का स्टॉक बनाए रखा जा सके. एक जुलाई तक एफसीआई को 27.57 लाख टन गेहूं का बफर स्टॉक तैयार करना है. इस सीजन में गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्लिंटल निर्धारित है. इसी दर पर प्रदेश सरकारें किसानों से गेहूं खरीदेंगी.