हरियाणा में इस साल कम हुईं पराली जलाने की घटनाएं, 60 फीसदी तक गिरावट दर्ज

हरियाणा में इस साल कम हुईं पराली जलाने की घटनाएं, 60 फीसदी तक गिरावट दर्ज

15 सितंबर से 23 अक्टूबर तक हरियाणा में 21 अक्टूबर को केवल दो, 22 अक्टूबर को 10 और 23 अक्टूबर को 15 घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें आग लगने वाले कुल स्थान 680 दर्ज हुए. इनमें कैथल (129), कुरुक्षेत्र (98) और अंबाला (74) में सबसे अधिक संख्या थी.

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हरियाणा में इस साल कम हुईं पराली जलाने की घटनाएं, 60 फीसदी तक गिरावट दर्जहरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी

पराली जलाने के खिलाफ हरियाणा सरकार के सख्त कदमों का असर राज्य में दिखने लगा है. अभी तक का डेटा बताता है कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है. 2021 की तुलना में अभी पराली की घटनाएं 60 परसेंट तक कम हुई हैं. सितंबर और अक्टूबर के महत्वपूर्ण पांच हफ्तों में राज्य में 680 सक्रिय आग स्थान (AFL) दर्ज किए गए, जबकि 2021 में यह संख्या 1,726 थी. पहली बार हरियाणा में उत्तर प्रदेश की तुलना में भी कम घटनाएं दर्ज की गई हैं, जहां खेतों में आग लगने की 808 घटनाएं हुईं, जबकि पंजाब में 1,638 एएफएल दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में 73 परसेंट कम है. 2021 में पराली में आग लगाने की 6,058 घटनाएं दर्ज की गई थीं.

इस साल हरियाणा ने पराली के खिलाफ कई बड़े कदम उठाए हैं. राज्य भर में 93 एफआईआर में 13 किसानों को गिरफ्तार किया गया है और दोषी किसानों के खिलाफ 380 रेड एंट्री दर्ज की गई हैं. इसके अलावा 420 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है, जो पिछले साल की तुलना में बड़ी वृद्धि है.

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मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से जुड़ी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का पक्षा रखा, जहां उन्होंने कानून के आधार पर किसानों के लिए दंड और इंसेंटिव की बात रखी. 

पराली के कितने मामले दर्ज

15 सितंबर से 23 अक्टूबर तक हरियाणा में 21 अक्टूबर को केवल दो, 22 अक्टूबर को 10 और 23 अक्टूबर को 15 घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें आग लगने वाले कुल स्थान 680 दर्ज हुए. इनमें कैथल (129), कुरुक्षेत्र (98) और अंबाला (74) में सबसे अधिक संख्या थी. इसकी तुलना में, राज्य में 2020 में 1,560, 2021 में 1,726 और 2022 में 1,110 घटनाएं हुईं. साल-दर-साल, 2022 में लगभग 36 परसेंट, 2023 में 33 परसेंट और इस साल 8.5 परसेंट एएफएल की कमी दखी जा रही है. इसके पीछे सरकार के कड़े कदमों को जिम्मेदार माना जा रहा है.

'दि ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 21 अक्टूबर तक 328 किसानों का चालान किया जा चुका है, जिसमें कुल 8.35 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है. कैथल में सबसे अधिक जुर्माना लगाया गया, जहां 62 किसानों पर 1.60 लाख रुपये का जुर्माना हुआ. उसके बाद कुरुक्षेत्र में 58 किसानों पर 1.45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जबकि करनाल में 40 किसानों पर 1.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

एफआईआर और गिरफ्तारियां

इस साल पहली बार पराली जलाने के खिलाफ 93 एफआईआर में 13 गिरफ्तारियां हुई हैं. हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा, "अगर सुप्रीम कोर्ट सख्त है, तो हमें भी सख्त होना चाहिए. हालांकि, इस बार खेतों में आग लगने की घटनाएं कम हैं. दिल्ली का वायु प्रदूषण के कई अन्य कारण हैं."

पिछले सालों में किसानों के खिलाफ कोई रेड एंट्री नहीं की गई है. हालांकि, इस साल 380 रेड एंट्री की गई हैं, जो किसानों को अगले दो सीजन के लिए ई-खरीद पोर्टल के जरिए मंडियों में अपनी फसल बेचने से रोकती हैं. हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में 2021 में सिर्फ चार, 2022 में शून्य और 2023 में तीन अधिकारियों को निलंबित किया था. 

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इस साल कृषि विभाग के 24 और हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) के दो अधिकारियों को निलंबित किया गया है. इसके अलावा 11 अधिकारियों को चार्जशीट का सामना करना पड़ रहा है और 383 अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. कुल 420 अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई चल रही है, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है.

 

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