देश के रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने सरकार से इस क्षेत्र में रिसर्च से जुड़े काम को बढ़ावा देने और किसानों के साथ-साथ प्रोसेसिंग उद्योगों के विकास के लिए ‘गेहूं बोर्ड’ बनाने की मांग की है. आपको बता दें कि हालिया बजट में सरकार ने बिहार में मखाना बोर्ड बनाने का फैसला किया है. उससे पहले हल्दी बोर्ड बनाने का रास्ता साफ हुआ था. इसी तरह अब रोलर फ्लोर मिलर्स ने सरकार से गेहूं बोर्ड बनाने की मांग उठाई है.
गेहूं उद्योग की क्षमता और बाजार पहुंच को बढ़ाने के लिए आरएफएमएफआई ने सरकार से गेहूं के आटे और चोकर के निर्यात की अनुमति देने का भी आग्रह किया. मौजूदा नीति केवल पूरे गेहूं के आटे के आयात के खिलाफ निर्यात को बैन करती है और डीजीएफटी से परमिट की आवश्यकता वाले गेहूं के चोकर के निर्यात को बैन करती है. यह बैन कई महीनों से जारी है. इससे जुड़े मुद्दे पर रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया 3-4 मार्च को गोवा में दो दिन का अंतरराष्ट्रीय गेहूं मिलिंग कॉन्क्लेव का आयोजन कर रहा है.
रबी सीजन (सर्दियों में बोया जाने वाला) में उगाया जाने वाला गेहूं एक महत्वपूर्ण खाद्यान्न है. भारत की खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए गेहूं की फसल से जुड़े हर तरह के इकोसिस्टम को दुरुस्त रखना जरूरी है. गेहूं की फसल की कटाई आम तौर पर मार्च के अंत से शुरू होती है.
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रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नवनीत चितलांगिया ने कहा, "इस साल के बजट में सरकार ने मखाना बोर्ड बनाने की घोषणा की है जो इस सुपर फूड उत्पाद के विकास के लिए एक बहुत अच्छा निर्णय है. हम सरकार से गेहूं के लिए भी इसी तरह का बोर्ड बनाने पर विचार करने का आग्रह करते हैं." उन्होंने कहा, "एक गेहूं बोर्ड इस क्षेत्र में जरूरी रिसर्च, पॉलिसी बनाने और बाजार को बढ़ाने का मौका देगा."
आरएफएमएफआई रोलर फ्लोर मिलर्स का 85 साल पुराना संगठन है जिसके देशभर में 1800 से ज्यादा सदस्य हैं. रोलर फ्लोर मिलर्स सालाना 350-400 लाख टन गेहूं पीसते हैं और सप्लाई करते हैं. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेंद्र जैन ने कहा, "मौजूदा नीति केवल आयात के मुकाबले निर्यात को रोकती है, जिससे कुछ बड़ी कंपनियों के लिए अवसर सीमित हो जाते हैं. अधिक खुली निर्यात नीति से उद्योग की क्षमता और बाजार पहुंच में काफी वृद्धि होगी."
जैन ने आगे कहा, बाजार में अस्थिरता और अटकलों को खत्म करने के लिए सरकार को जून में इस साल के खरीद सीजन के खत्म होने के बाद गेहूं पर आयात शुल्क कम करना चाहिए. फिलहाल गेहूं पर 40 फीसदी आयात शुल्क है. जैन ने कहा, "मौजूदा शुल्क ढांचे में गेहूं का आयात फिलहाल संभव नहीं है. वास्तविक फसल के आंकड़ों के आधार पर खरीद सीजन के बाद आयात शुल्क पर विचार मांग-आपूर्ति में बैलेंस बनाए रखने के लिए जरूरी है."
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फेडरेशन ने मिलिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों पर जीएसटी में कटौती की भी मांग की है. रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष रोहित खेतान ने कहा, "वर्तमान में, मिलिंग मशीनरी पर जीएसटी 18% है, जो लागत में काफी वृद्धि करता है, क्योंकि अंतिम उत्पाद (गेहूं का आटा और गेहूं का चोकर) काफी हद तक जीएसटी से मुक्त हैं. हम सरकार से उद्योग को बढ़ाने और आधुनिकीकरण का समर्थन करने के लिए 5% की पिछली दर पर वापस जाने का आग्रह करते हैं."
फेडरेशन ने भंडारण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले औजारों पर कस्टम ड्यूटी और जीएसटी में कटौती की भी मांग की. सम्मेलन में 500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया. अमेरिका, जर्मनी, तुर्की, नेपाल और श्रीलंका जैसे देशों से लगभग 50 विदेशी प्रतिनिधियों ने भी इसमें भाग लिया.
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