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PMFBY: बीमा कंपन‍ियों को फसल खराब होने की जानकारी देने के ल‍िए क‍िसानों को 10 द‍िन का समय देने की मांग

PMFBY: बीमा कंपन‍ियों को फसल खराब होने की जानकारी देने के ल‍िए क‍िसानों को 10 द‍िन का समय देने की मांग

Crop Loss Compensation: चढूनी ने कहा क‍ि जिस दिन से प्रदेश में फसल बीमा योजना लागू की गई है तब से अब तक बीमा कंपनियों की तरफ 800 करोड़ रुपये के क्लेम अभी बकाया हैं. बीमा कंपनियां कई कई साल किसानों को क्लेम जारी नहीं करतीं, जिससे किसान नुकसान में रहता है. 

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इस साल कई राज्यों में बाढ़ से बड़े पैमाने पर हुआ है फसलों का नुकसान (Photo-Kisan Tak).  इस साल कई राज्यों में बाढ़ से बड़े पैमाने पर हुआ है फसलों का नुकसान (Photo-Kisan Tak).

भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में कवर क‍िसानों को फसल खराब होने की स्थ‍िति में शिकायत करने के लिए कम से कम 10 दिन का समय देने की मांग की है. उनका तर्क है क‍ि 72 घंटे में कितनी फसल खराब हुई है या होगी, इसका आकलन नहीं किया जा सकता. जब प्राकृत‍िक आपदा आती है तब क‍िसान खुद को बचाएं या फ‍िर बीमा कंपनी को श‍िकायत करें. फसल बीमा योजना से संबंध‍ित क‍िसानों की मांग को लेकरचढूनी ने कृषि विभाग, हर‍ियाणा के सलाहकर अमरजीत सिंह मान और अन्य अध‍िकार‍ियों से मुलाकात की है. ज‍िसमें बताया गया क‍ि इस योजना में क‍िसान क‍िन-क‍िन समस्याओं का सामना कर रहे हैं. 

चढूनी ने कहा क‍ि बीमा कंपनियों का क्लेम देने की समय सीमा तय हो. क‍िसानों को पता हो क‍ि फसल खराबे की शिकायत से लेकर क्लेम के पैसे खाते में आने तक क‍ितना समय लगेगा. आज ज्यादातर प्रदेशों में किसान इसी पहलू को लेकर आंदोलित हैं.बीमा कंपनियां कई कई साल किसानों को क्लेम जारी नहीं करतीं, जिससे किसान नुकसान में रहता है. उसकी फसल भी खराब हो गई, प्रीमियम का पैसा भी गया और क्लेम भी समय पर नहीं मिला. जिस दिन से प्रदेश में फसल बीमा योजना लागू की गई है तब से अब तक बीमा कंपनियों की तरफ 800 करोड़ रुपये के क्लेम अभी बकाया हैं.  

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बीमा कंपन‍ियों पर ऐसे कसी जाए नकेल 

  • चढूनी ने कहा क‍ि बीमा कंपनी क्लेम देने में देरी करे तब किसानों को 2 फीसदी ब्याज दिलाया जाए. प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना से मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रज‍िस्ट्रेशन की शर्त हटाई जाए. 
  • फसल खराब की निरीक्षण रिपोर्ट कॉपी किसान को मौके पर ही लीगल सबूत के दौर पर दी जाए. ताकि किसान को पता हो क‍ि कमेटी ने क‍ितने प्रत‍िशत नुकसान बताया है.
  • किसान के खाते से पैसा कटते ही फोन पर मैसेज भेजा जाए क‍ि बीमा प्रीमियम कंपनी को मिल गया है. बैंक ने किसान की किस-किस फसल का व किस-किस रकबे का प्रीम‍ियम कंपनी को द‍िया है इसकी सूचना दी जाए. 
  • बीमा कंपनी को प्रीमियम मिलते ही वो बीमा पॉलसी के लीगल दस्तावेज किसान को जारी करे, ताकि किसान को पता हो क‍ि कंपनी व किसान के बीच किन-किन शर्तों और नियमों को लेकर बीमा किया गया है. 
  • सरकारी विभाग खुद बीमा कंपनी बनाए और खुद प्रदेश के किसानों की फसल का बीमा करे, ताकि सरकार का व‍ित्तीय फायदा हो और किसानों को समय पर बीमा क्लेम मिले. 
  • बीमा मौजूदा फसल का होना चाहिए न क‍ि बैंक आधारित दस्तावेजों पर. क्योंकि बैंक किसान से 5 साल में एक बार रबी व खरीफ में किसमें क्या बि‍जाई की हुई है, इसके दस्तावेज लेता है, जबकि किसान फसल हर साल बदल लेता है. इसलिए बीमा मौके पर बुआई गई फसल का होना चाहिए. 

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खाते में गड़बड़ी से 111 करोड़ फंसे 

गुरनाम स‍िंह चढूनी ने कृष‍ि सलाहकार को बताया क‍ि सोनीपत जिले में उनके सामने एक ऐसा मामला आया है जिसमें बीमा कंपनी ने आधे किसानों को बीमा का क्लेम दे दिया और आधे को छोड़ दिया है. कारण बताया गया क‍ि बाकी किसानों ने मेरी फसल मेरे ब्यौरा पोर्टल पर रज‍िस्ट्रेशन नहीं किया है. पॉल‍िसी की खामियों का फायदा उठाकर बीमा कंपनियां किसानों को क्लेम देने से मना करती हैं. 

कृषि विभाग के सलाहकर अमरजीत सिंह मान ने कहा क‍ि यदि किसी बैंक ने किसान का प्रीमियम काट लिया और उसने बीमा कंपनी को लेट प्रीमियम दिया है तो उस सूरत में विभाग किसान को क्लेम दिलाएगा. प्रदेश में 111 करोड़ रुपये का इस प्रकार कलेम बकाया पड़ा है जिसमें किसानों के खाते और IFSC कोड सही नहीं हैं. क‍िसान बैंक खातों को ठीक करवा लें तो पैसा र‍िलीज कर द‍िया जाएगा.