भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में कवर किसानों को फसल खराब होने की स्थिति में शिकायत करने के लिए कम से कम 10 दिन का समय देने की मांग की है. उनका तर्क है कि 72 घंटे में कितनी फसल खराब हुई है या होगी, इसका आकलन नहीं किया जा सकता. जब प्राकृतिक आपदा आती है तब किसान खुद को बचाएं या फिर बीमा कंपनी को शिकायत करें. फसल बीमा योजना से संबंधित किसानों की मांग को लेकरचढूनी ने कृषि विभाग, हरियाणा के सलाहकर अमरजीत सिंह मान और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की है. जिसमें बताया गया कि इस योजना में किसान किन-किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं.
चढूनी ने कहा कि बीमा कंपनियों का क्लेम देने की समय सीमा तय हो. किसानों को पता हो कि फसल खराबे की शिकायत से लेकर क्लेम के पैसे खाते में आने तक कितना समय लगेगा. आज ज्यादातर प्रदेशों में किसान इसी पहलू को लेकर आंदोलित हैं.बीमा कंपनियां कई कई साल किसानों को क्लेम जारी नहीं करतीं, जिससे किसान नुकसान में रहता है. उसकी फसल भी खराब हो गई, प्रीमियम का पैसा भी गया और क्लेम भी समय पर नहीं मिला. जिस दिन से प्रदेश में फसल बीमा योजना लागू की गई है तब से अब तक बीमा कंपनियों की तरफ 800 करोड़ रुपये के क्लेम अभी बकाया हैं.
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गुरनाम सिंह चढूनी ने कृषि सलाहकार को बताया कि सोनीपत जिले में उनके सामने एक ऐसा मामला आया है जिसमें बीमा कंपनी ने आधे किसानों को बीमा का क्लेम दे दिया और आधे को छोड़ दिया है. कारण बताया गया कि बाकी किसानों ने मेरी फसल मेरे ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं किया है. पॉलिसी की खामियों का फायदा उठाकर बीमा कंपनियां किसानों को क्लेम देने से मना करती हैं.
कृषि विभाग के सलाहकर अमरजीत सिंह मान ने कहा कि यदि किसी बैंक ने किसान का प्रीमियम काट लिया और उसने बीमा कंपनी को लेट प्रीमियम दिया है तो उस सूरत में विभाग किसान को क्लेम दिलाएगा. प्रदेश में 111 करोड़ रुपये का इस प्रकार कलेम बकाया पड़ा है जिसमें किसानों के खाते और IFSC कोड सही नहीं हैं. किसान बैंक खातों को ठीक करवा लें तो पैसा रिलीज कर दिया जाएगा.
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