केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्री परुषोत्तम रूपाला ने कहा है कि देश में दूध, मक्खन और अन्य डेयरी उत्पादों की न तो कोई कमी है और न इसका आयात किया जाएगा. घरेलू क्षेत्र की मदद से ही आपूर्ति में सुधार किया जाएगा. डेयरी उत्पादों की कमी की बातों में कोई सच्चाई नहीं है. सरकार नियमित रूप से निगरानी कर रही है. मांग बढ़ी है, लेकिन हमारे पास विशाल क्षेत्र है, हम इसका दोहन करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने किसानों और उपभोक्ताओं से भी इस बारे में चिंता नहीं करने का आग्रह किया. डेयरी उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को लेकर कहा कि किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं, चिंता करने की बात नहीं है.
रूपाला शुक्रवार को दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की ओर से पशुओं की सेहत को ठीक रखने के लिए शुरू किए गए अभियान की शुरुआत कर रहे थे. इसके तहत दो प्रोग्राम चलाए जाएंगे, जिसमें एनिमल पेंडेमिक प्रिपेयर्डनेस इनिसिएटिव (APPI) और एनिमल हेल्थ सिस्टम सपोर्ट फॉर वन हेल्थ (AHSSOH) शामिल हैं. दूसरे प्रोग्राम AHSSOH के लिए वर्ल्ड बैंक ने मदद दी है.
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डेयरी मंत्री ने कहा कि पशुओं के हेल्थ पर हमारी और चीजें भी निर्भर हैं. उनकी सेहत खराब होने से हमें मिल्क प्रोडक्शन कम मिलेगा, अंडा और मीट का उत्पादन कम होगा. इसलिए हमें यह सोचकर काम करना है कि इन तीनों महत्चपूर्ण चीजों की वजह से हम उनपे निर्भर हैं. वो हमारे पर निर्भर नहीं हैं. वो हमें खाने वाले प्राणी नहीं हैं, इस बात को हमें विनम्रता से स्वीकार करना होगा. इसलिए फूड सिक्योरिटी के लिए पशुओं की अच्छी सेहत बहुत जरूरी है. इस पर हमें गौर करना होगा. उनकी सेहत ठीक रहेगी तभी आप दूध पीएंगे, तभी आप अंडा और मीट खाएंगे. हम पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर भी ऐसा काम कर रहे हैं जो दुनिया में मिसाल होगा.
रूपाला ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के माध्यम से आयुर्वेद का एक सेंटर भारत को मिला है, जिसे जामनगर में बनाया गया. वो भी इसी दिशा में एक कदम है. एनिमल सेक्टर में भी अब अल्टरनेटिव मेडिसिन का प्रयोग बढ़ाने की आवश्यकता है. इसे भी इस अभियान के साथ जोड़ सकते हैं. हमारे ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं पर अल्टरनेटिव मेडिसिन का प्रयोग कैसे कर सकते हैं और इसके जरिए हम पशुओं की सेहत को कैसे ठीक कर सकते हैं इसे देखना होगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पशुओं के लिए बहुत सही वक्त पर यह पहल की गई है. इतिहास में यह योजना दर्ज होगी कि पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भारत ने इतना बड़ा कदम उठाया.
स्वानइन फ्लू, कोविड, एशियन फ्लू, इबोला, जीका वायरस, एवियन इंफ्लूंजा समेत कई बीमारियां और महामारी पशु-पक्षियों से इंसानों में आई हैं. ऐसे में इन्हें फैलने से रोकने के लिए यह मिशन शुरू किया जा रहा है. इसे इंसानों, घरेलू पशुओं और वाइल्ड लाइफ को ध्यान में रखते हुए चलाया जाएगा. इस मौके पर मत्स्य पालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ एल. मुरुगन, मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार सिंह, संयुक्त सचिव डॉ. ओपी चौधरी, पशुपालन आयुक्त अभिजीत मित्रा और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद सहित कई लोग मौजूद रहे.
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