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महाराष्ट्र के नासिक में इस बार बढ़ेगा खरीफ फसलों का रकबा, जानें कितने हेक्टेयर में होगी सोयाबीन की बुवाई

महाराष्ट्र के नासिक में इस बार बढ़ेगा खरीफ फसलों का रकबा, जानें कितने हेक्टेयर में होगी सोयाबीन की बुवाई

कृषि अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त बीज और उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आगामी सीजन के लिए खरीफ बुवाई क्षेत्रों का अनुमान लगाया है. आईएमडी ने अच्छे मानसून का अनुमान लगाया है.

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नासिक जिले में मक्के का रकबा कितना है. (सांकेतिक फोटो) नासिक जिले में मक्के का रकबा कितना है. (सांकेतिक फोटो)

महाराष्ट्र कृषि विभाग ने आगामी खरीफ सीज़न के लिए नासिक जिले में 6.28 लाख हेक्टेयर में खरीफ खेती का अनुमान लगाया है, जो पिछले साल की तुलना में 2,500 हेक्टेयर अधिक है. पिछले वर्ष राज्य कृषि विभाग ने 6.43 लाख हेक्टेयर में बुआई का अनुमान लगाया था, लेकिन अपर्याप्त वर्षा के कारण वास्तविक बुआई केवल 6.26 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी. खास बात यह है कि नासिक जिले में प्रमुख खरीफ फसलें मक्का, कपास, बाजरा, मूंग, उड़द, सोयाबीन, ज्वार और बाजरा हैं. 

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त बीज और उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आगामी सीजन के लिए खरीफ बुवाई क्षेत्रों का अनुमान लगाया है. आईएमडी ने अच्छे मानसून का अनुमान लगाया है, जिससे इस साल अनुकूल खरीफ सीजन की उम्मीदें बढ़ गई हैं. खरीफ फसलों में, मक्का जिले में खेती के तहत सबसे बड़े क्षेत्र में योगदान देता है, जो कुल खरीफ बुवाई क्षेत्र का 35 फीसदी है. इस साल मक्के की बुआई 2.43 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 2.48 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी.

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सोयाबीन का क्षेत्रफल

मक्का के बाद सोयाबीन जिले की दूसरी प्रमुख फसल है, जिसका बुआई क्षेत्र खरीफ सीजन के लिए 1.22 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है. पिछले वर्ष जिले में सोयाबीन की वास्तविक खरीफ बुआई 2.23 लाख हेक्टेयर थी. धान जिले में तीसरी प्रमुख खरीफ फसल है, इस वर्ष अनुमानित रोपण क्षेत्र 94,000 हेक्टेयर है.

प्याज उत्पादकों की मोर्चाबंदी

वहीं, पिछले महीने खबर सामने आई थी कि नासिक जिले के मालवाड़ी ग्राम पंचायत सहित आसपास के गांवों के सभी प्याज किसान सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे हैं. इन किसानों ने प्याज का सही भाव नहीं मिलने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है और इसे वोट बहिष्कार का जरिया बनाया है. मालवाड़ी के प्याज किसान जो आर्थिक रूप से कठिनाई में हैं, उन्होंने एक साथ आकर गांव-गांव में एक साइन बोर्ड लगाया है. इस बोर्ड पर लिखा है “अब हम तय करेंगे कि हमें वोट देना है या नहीं.

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