हरियाणा में खरीफ फसलों का पंजीकरण शुरू, इस पोर्टल पर किसान करें रजिस्ट्रेशन, ये दस्तावेज हैं जरूरी

हरियाणा में खरीफ फसलों का पंजीकरण शुरू, इस पोर्टल पर किसान करें रजिस्ट्रेशन, ये दस्तावेज हैं जरूरी

फसलों का पंजीकरण कराने के लिए किसानों के पास फैमिली आईडी होना जरूरी है. अधिक जानकारी के लिए वे टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 या संबंधित खंड कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. वहीं, धान की सीधी बिजाई तकनीक अपनाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी मिलेगी.

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हरियाणा में खरीफ फसलों का पंजीकरण शुरू, इस पोर्टल पर किसान करें रजिस्ट्रेशन, ये दस्तावेज हैं जरूरीकिसान इस दिन तक करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन. (सांकेतिक फोटो)

हरियाणा के किसानों के लिए खुशखबरी है. वर्ष 2024 के लिए खरीफ फसलों का पंजीकरण 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर शुरू हो गया है. किसान अपनी फसलों का पंजीकरण असानी से इस पोर्टल पर जाकर करा सकते हैं. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुखदेव सिंह ने बताया कि विभाग द्वारा किसानों के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए फसलों का पंजीकरण अनिवार्य है. 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर पंजीकृत किसान ही अपनी खरीफ फसलों को सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे. इसलिए किसी भी असुविधा से बचने के लिए किसानों को अपनी फसलों का पंजीकरण पोर्टल पर कराना जरूरी है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि फसलों का पंजीकरण कराने के लिए किसानों के पास फैमिली आईडी होना जरूरी है. अधिक जानकारी के लिए वे टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 या संबंधित खंड कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. किसान अपनी खरीफ फसलों का पंजीकरण अपने गांव के कॉमन सर्विस सेंटर या अटल सेवा केंद्र या अपने मोबाइल फोन से fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर करा सकते हैं. हरियाणा कृषि विभाग वर्ष 2024 के खरीफ सीजन के दौरान धान की सीधी बिजाई तकनीक अपनाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी देगा.

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85,000 एकड़ में धान की सीधी बुवाई

इस वर्ष सिरसा जिले के लिए 85,000 एकड़ में धान की सीधी बुवाई करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे उपमंडलवार आवंटित किया गया है. इच्छुक किसान योजना का लाभ उठाने के लिए 10 जुलाई तक 'मेरी फसल-मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं. डॉ. सुखदेव सिंह ने कहा कि धान की सीधी बिजाई तकनीक का उपयोग करके किसान घटते भूजल स्तर को बचाने में मदद कर सकते हैं. साथ ही इससे भूजल दोहन को कम किया जा सकता है.

किसान के बैंक खातों में किया जाएगा भुगतान

उन्होंने कहा कि पारंपरिक तरीकों से धान की बुवाई करने पर पानी की खपत बढ़ जाती है, जबकि धान की सीधी बिजाई तकनीक से पानी का उपयोग 20 प्रतिशत कम हो जाता है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुखदेव सिंह ने कहा कि योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को fasal.haryana.gov.in पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा. उन्होंने कहा कि गांव स्तरीय समिति द्वारा भौतिक सत्यापन के बाद लाभ किसान के बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा.

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