सब्जियों की महंगाई से परेशान सरकार अब दाल की कीमतों को काबू से बाहर नहीं होने देगी. दरअसल, अरहर दाल की कीमत को कंट्रोल में रखने के लिए सरकार अपने बफर स्टॉक से खुले मार्केट में सस्ते दाम में अरहर की दाल की बिक्री करेगी. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक जब तक आयातित अरहर दाल खुले बाजार में नहीं आएगी, तब तक बफर स्टॉक से बिक्री जारी रखी जाएगी. अरहर दाल की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर सरकार का प्रयास है कि इसकी सप्लाई में किसी तरह की रुकावट ना होने दी जाए.
भारत में अरहर दाल का ज्यादातर इंपोर्ट म्यांमार और तंजानिया के साथ ही मोजाम्बिक और सूडान जैसे पूर्वी अफ्रीकी देशों से किया जाता है. इन देशों से अरहर दाल जुलाई-अगस्त में आने का अनुमान है. ऐसे में तब तक अरहर दाल के दाम में आ रही तेजी को रोकने के लिए सरकार ने बफर स्टॉक से खुले बाजार में दाल बेचने का फैसला किया है. इसके लिए सरकार बफर स्टॉक से अरहर दाल को राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) और राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारिता संघ (NCCF) को देगी.
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NAFED और NCCF आगे मिल मालिकों और थोक विक्रेताओं को दाल बेचेंगी, जिससे खुले बाजार में अरहर की दाल की सप्लाई बढ़ाकर ग्राहकों के लिए तैयार अरहर दाल के उपलब्ध स्टॉक को बढ़ाया जा सके. इससे दाल का दाम घटाने में सरकार को मदद मिलेगी और आम लोगों को राहत मिलेगी.
बफर स्टॉक रखने की वजह है कि जरूरत के समय सरकार इसका इस्तेमाल कर सकती है. खासकर सप्लाई घटने और कीमतों को कंट्रोल करने में इस बफर स्टॉक का इस्तेमाल होता है. कीमतों को बेकाबू होने से रोकने के लिए ही सरकार ने दालों के लिए स्टॉक लिमिट भी लागू कर दी है. ऐसे में थोक और खुदरा विक्रेता एक तय सीमा से ज्यादा दालों का स्टॉक नहीं रख सकते हैं. अगर कोई इस सीमा का उल्लंघन करेगा तो उसके विरुद्ध जमाखोरी कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी.
स्टॉक लिमिट लागू होने के बाद राज्य सरकारें राज्यों में कीमतों पर नजर रख रही हैं और स्टॉक लिमिट का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए स्टॉक-होल्डिंग संस्थाओं के स्टॉक की जांच भी कर रही हैं.
अरहर दाल की कीमतों में बीते कुछ समय से लगातार तेजी का आलम बना हुआ है. दो महीने पहले तक अरहर की दाल का दाम 95 से 110 रुपये प्रति किलो था, लेकिन अब ये बढ़कर 130 से 150 रुपये प्रति किलो हो गया है. वैसे भी अरहर दाल की देश में सबसे ज्यादा खपत होती है. देश में दालों की कुल खपत में अरहर और उड़द की दाल की हिस्सेदारी लगभग 60 फीसदी है.
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अगर भारत में इसके उत्पादन और खपत के गणित को समझें तो 2022-23 के फसल सीजन में अरहर दाल का उत्पादन लगभग 37 लाख टन होने का अनुमान है. वहीं देश में इसकी कुल सालाना मांग लगभग 50 लाख टन है. ऐसे में सरकार ने इस गैप को भरने के लिए कई देशों से इसकी खरीद की है और इस सप्लाई के आने तक सरकार अपनी तरफ से दाम को कंट्रोल करने का प्रयास करेगी.
अगर सरकार बफर स्टॉक से खुले बाजार में अरहर दाल की बिक्री नहीं करेगी तो आशंका है कि अगस्त तक अरहर दाल का दाम 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकता है. अगस्त में रक्षा बंधन और गणेश चतुर्थी के अलावा कृष्ण जनमाष्टमी जैसे बड़े त्योहार पड़ते हैं जो एक तरह से फेस्टिव सीजन की शुरुआत माने जाते हैं. त्योहारों के समय अरहर दाल की मांग 20 से 30 फीसदी तक बढ़ जाती है. ऐसे में सरकार आयातित दालों के अगस्त तक भारत में आने से पहले ही इसकी कीमतों को कंट्रोल में करने के लिए जुट गई है.
इस साल कई बड़े राज्यों में और अगले साल देश में आम चुनाव हैं. ऐसे में महंगाई को सरकार काबू से बाहर नहीं जाने देना चाहती है क्योंकि इसका असर चुनावी नतीजों पर भी पड़ सकता है.(आदित्य राणा की रिपोर्ट)
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