काजू के निर्यात में आई गिरावट को देखते हुए सरकार ने कई उपायों की घोषणा की है. सरकार इसके लिए प्रोसेसिंग मशीनरी को अपग्रेड करने के लिए सब्सिडी देगी और विदेशों में कमोडिटी की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए सहायता करेगी. कृषि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और उत्पाद विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष अभिषेक देव ने कहा, ''काजू हमारे फोकस प्रोडक्ट्स में से एक है और हम इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के विकास को आगे बढ़ाएंगे. हम काजू निर्यात को सबसे अधिक महत्व दे रहे हैं."
बेंगलुरू में अखिल भारतीय काजू संघ द्वारा गुरुवार को आयोजित काजू सम्मेलन को संबोधित करते हुए देव ने कहा कि निर्यातकों को अपनी मशीनरी को अपग्रेड करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. मशीनों को अपग्रेड करने की सख्त जरूरत है और हमारी वित्तीय सहायता योजना के माध्यम से हमें उम्मीद है कि उद्योग कुछ हद तक खुद को आधुनिक बनाने के लिए फंड का उपयोग करेगा.
एपीडा के निदेशक (बीईडीएफ) तरुण बजाज ने कहा कि काजू निर्यातकों को 2 करोड़ के स्लैब के साथ मशीनरी लागत पर 40 प्रतिशत की सब्सिडी प्रदान की जाएगी. इससे निश्चित रूप से अधिक दक्षता आएगी प्रतिस्पर्धात्मकता और गुणवत्ता बढ़ेगी और उद्योग को बड़े पैमाने पर अर्थव्यवस्था हासिल करने में मदद मिलेगी. भारतीय काजू सेक्टर आधुनिकीकरण की कमी और बढ़ती श्रम लागत जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसके कारण हाल के वर्षों में इसके निर्यात में भारी गिरावट देखी गई है.
ये भी पढ़ें - काजू की दो नई हाइब्रिड किस्में लॉन्च करेंगे पीएम मोदी, किसानों की उपज और मुनाफा बढ़ेगा, जानिए खूबियां
देव ने कहा कि भारतीय निर्यात 2017-18 में लगभग 917 मिलियन डॉलर से गिरकर 2023-24 में लगभग 368 मिलियन डॉलर रह गया है. उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था, जब हम वैश्विक निर्यात का लगभग 80 प्रतिशत निर्यात कर रहे थे. अब हम हमारी हिस्सेदारी लगभग 8 प्रतिशत है। हम निर्यात में काफी पीछे रह गए हैं.
एपीडा के अध्यक्ष ने काजू विकास निदेशालय से उत्पादन में सुधार लाने पर काम करने का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि हम घरेलू उत्पादन के माध्यम से काजू की आवश्यकता का केवल 50 प्रतिशत ही पूरा कर पा रहे हैं. उत्पादन में सुधार की बहुत गुंजाइश है.
उन्होंने कहा कि एपीडा इस क्षेत्र के विकास के लिए क्लस्टर आधारित एप्रोच पर विचार कर रहा है. क्लस्टर आधारित एप्राेच के लिए एकीकृत विकास को के लिए केरल के कोल्लम और महाराष्ट्र के चांदगढ़ में दो स्थानों की पहचान की गई है, जो एपीडा उद्योग को काजू के निर्यात को बढ़ावा देने में मदद करेगा, जिसे वह 25 स्टार उत्पादों में से एक मानता है.
देव ने कहा ने हम काजू को भारत के वैश्विक उत्पाद के रूप में ब्रांड और बाजार में लाने की योजना बना रहे हैं. हम एक ब्रांडिंग अभियान चलाएंगे. हम एफएसएसएआई और अन्य शोध इकाइयों के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे कि विदेशों में काजू के स्वास्थ्य लाभों को कैसे लोकप्रिय बनाया जाए.
अखिल भारतीय काजू संघ के अध्यक्ष बोला राहुल कामथ ने कहा कि एपीडा के अध्यक्ष द्वारा गुरुवार को घोषित उपायों से निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी. कामथ ने कहा कि वैश्विक काजू व्यापार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 80 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत से भी कम हो गई है, क्योंकि उद्योग को बढ़ती श्रम लागत, मशीनीकरण की कमी और घरेलू उत्पादन में धीमी वृद्धि जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today