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खेती-किसानी कभी आसान काम नहीं रहा है. किसानों को कभी बारिश की मार तो कभी सूखे की स्थिति से निपटना पड़ता है. ऐसी स्थितियों में किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ जाता है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर रखने के लिए योजनाएं चलाती है. इसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है. यही वजह है कि किसानों को फसलों का बीमा करा लेने की सलाह दी जाती है.
दरअसल किसानों के लिए खेती में कीटों के हमले, अनियमित वर्षा और नमी में बदलाव जैसी स्थितियां आम समस्या हैं. इस प्रकार, उपज और उपज-आधारित नुकसान के लिए फसल बीमा के रूप में कवरेज लेना महत्वपूर्ण है. फसल बीमा किसानों के संकट को कम करने और किसानों को बढ़ावा देने का एक तरीका है.
फसल बीमा एक व्यापक उपज-आधारित योजना है, जो उत्पादन समस्याओं के कारण किसानों के नुकसान की भरपाई करने के लिए चलाई गई है. यह योजना चक्रवाती बारिश और वर्षा की कमी के कारण बुवाई से पहले और कटाई के बाद के नुकसान को कवर करती है. इन नुकसानों से फसल की पैदावार में कमी होती है, जिससे किसानों की आय प्रभावित होती है.
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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसान को दो तरह से बीमा क्लेम मिलता है. पहला प्राकृतिक आपदा से फसल नष्ट होने पर और दूसरा,औसत आधार पर फसल कम होने पर. औसत आधार पर फसल कम होने पर किसान के खाते में बीमा कंपनी अपने आप ही पैसे डाल देती है. किसान को कहीं आवेदन करने की जरूरत नहीं होती है.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी 2016 को की थी. इस योजना के तहत फसलों का बीमा होता है. इसमें फसलों का सूखा, आंधी-तूफ़ान, बेमौसम बारिश, बाढ़, ओलावृष्टि, कीट संक्रमण, चक्रवात जैसे दुश्वारियों से बीमा सुरक्षा दी जाती है. किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की स्थिति में किफायती दर पर सरकार की ओर से बीमा मिलता है. इसमें फसल की बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक पूरे फसल चक्र से जुड़ी गतिविधियों के दौरान फसल के नुकसान के ख़िलाफ़ सुरक्षा मिलती है.
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