चंदन का पेड़, जिसे भारत में चंदना के नाम से भी जाना जाता है, उसकी खेती थोड़ी कठिन मानी जाती है. इसका वानस्पतिक नाम सैंटालम एल्बम है. चंदन का पेड़ अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में उगने में सक्षम होता है. यहां तक कि उथली चट्टानी मिट्टी में भी ये आसानी से उग जाता है, लेकिन जलभराव बर्दाश्त नहीं कर सकता. यह बहुत अधिक तापमान सहन कर सकता है. भारतीय चंदन एक छोटा उष्णकटिबंधीय पेड़ है और चंदन के तेल का पारंपरिक स्रोत है. हिंदू धर्म जैसे कुछ धर्मों में इसे पवित्र माना जाता है और कुछ संस्कृतियां इसके सुगंधित गुणों को बहुत महत्व देती हैं.
सफेद चंदन की लकड़ी बहुत महंगी होती है. मार्केट में इसका रेट 8 से 10 हजार रुपये किलो है. जबकि विदेशों में एक किलो सफेद चंदन की कीमत 25 हजार रुपये किलो है. यानी कि इसके एक पेड़ से लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है. तो आइए जानते हैं इसकी खेती के ये सिंपल टिप्स.
अगर आप सफेद चंदन की खेती करना चाहते हैं तो पहले से उपचारित बीजों को मिट्टी में बोया जाता है. फिर उसे पुआल से ढक दिया जाता है, जिसे अंकुर निकलने पर हटा दिया जाता है. जब अंकुर में 04 से 06 पत्तियां आ जाएं, तो पॉलिथीन बैग में डाल दें. उसके बाद आप इसे अपनी खेत में आसानी से लगा सकते हैं.
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भारत में चंदन की कई किस्में उपलब्ध हैं. भारतीय चंदन और ऑस्ट्रेलियाई चंदन बहुत प्रसिद्ध हैं और बाजार में इनका व्यावसायिक मूल्य बहुत अच्छा है. चंदन की पत्तियों का उपयोग पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है. भारत में चंदन सबसे अधिक आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में उगाया जाता है. सफेद चंदन का उपयोग सामान्य सर्दी, खांसी, ब्रोंकाइटिस, बुखार और मुंह और गले में खराश के इलाज के लिए किया जाता है. लकड़ी से प्राप्त तेल और लकड़ी का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है.
सफेद चंदन अपने औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसका उपयोग अगरबत्ती, कंठी माला, साबुन, खिलौने, परफ्यूम और हवन सामग्री बनाने में किया जाता है. चंदन से बने साबुन और परफ्यूम बहुत महंगा बिकता है. अगर किसान सफेद चंदन की खेती करते हैं तो बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
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