उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड हमेशा से पानी के लिए परेशान रहा है. सरकारों के साथ-साथ कई सामाजिक संगठन भी बुंदेलखंड को पानीदार बनाने के लिए धरातल पर काम कर रहे हैं. इसी क्रम में यूपी सरकार ने खेतों में सिचाईं के लिए पानी की सुविधा देने के लिए एक नहर का कायाकल्प किया है. यह नहर ब्रिटिश काल की है और पिछले 6 दशकों से सूखी थी. इसका कायाकल्प करके किसानों तक पानी पहुंचाया गया है, जिससे दर्जनों गांवों के हजारों किसानों के चेहरे खिल गए. इस नहर में पानी आने से खेतों को मानो संजीवनी मिल गई है. अफसरों का कहना है कि अब से रबी और खरीफ की फसलों में किसानों को पर्याप्त पानी मिलेगा.
यह नहर बुंदेलखंड की पैलानी तहसील के अलोना गांव से निवाईच पिपरहरी जैसे एक दर्जन गांवों को पानी मुहैया कराएगी. अलोना नहर से 30 किलोमीटर तक के आसपास गांवों को सिचाईं का पानी देने के लिए केन नदी पर लिफ्ट परियोजना भी शुरू की गई थी. लेकिन यह परियोजना पूरी नहीं हो सकी और देखते-देखते इस नहर का अस्तित्व ही मिट गया था. लोगों ने नहर को अपने खेतों में भी मिला लिया था. लेकिन जल शक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद ने इस नहर का कायाकल्प करने की शुरुआत की.
नहर के कायाकल्प पर 2.70 करोड रुपए खर्च हुए हैं. अलोना गांव स्थित केन नदी में पंप कैनाल से 30 किलोमीटर लंबी नहर की खुदाई और कायाकल्प कर दिया गया. सिर्फ 3 महीने की मेहनत के बाद आखिरकार 30 किलोमीटर तक पानी पहुंचा दिया गया, जिससे तकरीबन एक दर्जन गांवों में 3000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के खेतों की सिंचाई शुरु हो गई है. नहर में पानी आने से किसान बेहद खुश हैं.
इन किसानों का कहना है कि पहले वह बमुश्किल एक फसल ही पैदा कर पाते थे और उसमें भी पैसा देकर निजी नलकूपों से पानी लेना पड़ता था. ज्यादा गर्मी पड़ने पर फसलें सूख जाती थीं. लेकिन अब नहर में लबालब पानी आ चुका है, जिससे वह एक साथ तीन फसलें लगा सकेंगे और वहीं, पानी के लिए अब उन्हें मोटी रकम खर्च नहीं करना पड़ेगी. अलोना गांव से 30 किलोमीटर की दूरी तक के ग्रामीण बेहद खुश हैं.
इस मामले में सिंचाई विभाग के इंजीनियर अरविंद कुमार पांडे ने बताया कि अलोना में केन नहर की परियोजना पूरी हो चुकी है और रजबहा के माध्यम से 30.8 किलोमीटर तक इस नहर की टेल तक पानी पहुंच चुका है. किसानों को अब सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलने लगा है और उनकी सिंचाई की समस्या पूरी तरह से दूर हो चुकी है. जलशक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद का कहना है कि आजादी के बाद 1954 में इस नहर का निर्माण कराया गया था लेकिन पिछले 60 सालों से यह सूखी हुई थी. लेकिन अब नहर के कायाकल्प से किसानों के साथ-साथ सरकार भी बेहद खुश है.
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