वैश्विक महामारी कोविड 19 के बाद देश दुनिया में लोगों की फूड हैबिट्स में बदलाव आया है. फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (बीएमइएल) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार चार में से तीन लोग अब क्षेत्रीय स्वाद को प्राथमिकता दे रहे हैं. लोग ऐसे उत्पादों का उच्च गुणवत्ता वाला मानते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इस वजह से अब क्षेत्र की कई नामचीन कंपनियां विविधता के साथ स्थानीयता पर फोकस कर रही हैं.
यह स्थित कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी वोकल फॉर लोकल और लोकल से ग्लोबल के नारे को साकार करने का एक बेहतरीन अवसर बन सकता है. खासकर उत्तर प्रदेश और यहां के उन किसानों लिए तो और भी जो इस तरह प्राकृतिक/ जैविक उत्पाद तैयार करते हैं. ऐसा इसीलिए भी क्योंकि योगी सरकार ने सात साल पहले जिस एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) की घोषणा की थी उनमें कई उत्पाद खेतीबाड़ी से ही जुड़े हैं. मसलन सिद्धार्थनगर का काला नमक धान, मुजफ्फरनगर और अयोध्या का गुड़, कुशीनगर का केला, प्रतापगढ़ का आंवला आदि.
ओडीओपी योगी सरकार की सफलतम योजनाओं में से एक है. साथ ही प्राकृतिक खेती और जैविक खेती पर सरकार का पूरा फोकस है. बीज से लेकर बाजार तक सरकार ऐसी खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन दे रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के किसानों को देश दुनियां के भोजन के ट्रेंड में आए इस बदलाव का लाभ होना स्वाभाविक है.
फूड और फूड हैबिट्स के क्षेत्र में काम करने वाली एक नामचीन कंपनी इनोवा मार्केटिंग रिसर्च के अनुसार कोविड के बाद स्वास्थ्य के पहलू का अब भोजन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. स्वाद के साथ जो खा रहे हैं उसमें मिलने वाले कैलोरी, फाइबर, मिनरल्स, विटामिन आदि को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. स्वाभाविक है कि जिन चीजों में इनकी उपलब्धता है उनकी मांग भी बढ़ी है. ताजी सब्जियां, मौसमी फल आदि इनमें शामिल हैं. लोगों में स्वास्थ्य के प्रति आई इस जागरकता के कारण कई कंपनियों को अपने उत्पाद में चीनी, फैट और सोडियम की मात्रा कम करनी पड़ी है.
नवी मुंबई के अपोलो हॉस्पिटल की सीनियर स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ (गायकोनॉलिग्स्ट) डॉक्टर तृप्ति दुबे यादव का कहना है कि जैसे जैसे शिक्षा और अर्थव्यवस्था बढ़ेगी लोग सेहत के प्रति भी और जागरूक होते जाएंगे. ऐसे में भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जैविक उत्पादों के लिए तो और भी. चूंकि उत्तर प्रदेश उस इंडो गंगेटिक बेल्ट में आता है जहां की जमीन का शुमार दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में होता है. नौ तरह के एग्रो क्लाइमेट जोन (कृषि जलवायु क्षेत्र) के कारण वहां हर तरह के खाद्यान्न, सब्जियों एवं फलों के की खेती हो सकती है.
उन्होंने कहा कि सरकार का खेतीबाड़ी से लेकर प्राकृतिक खेती पर फोकस भी है. ऐसे में वहां के किसानों को तो लाभ होगा. ऐसे उत्पादों के प्रयोग से लोगों की सेहत संबंधी होने वाला लाभ बोनस होगा.
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