भारत में आलू और शकरकंद का खूब उत्पादन होता है. आलू और शकरकंद की उम्दा किस्मों के उत्पादन के लिए रिसर्च करने वाले दक्षिण अमेरिकी देश पेरू के टॉप रिसर्च सेंटर की विंग को भारत में भी लगाने का रास्ता साफ हो गया है. यह विंग 7 साल पहले चीन में लगाई जा चुकी है. इससे भारतीय आलू और शकरकंद वैश्विक स्तर पर चीन की फसल को पीछे छोड़ देंगी. भारत अभी चीन के बाद दूसरे नंबर पर है. भारत में यह केंद्र उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थापित किया जाएगा और इस पर होने वाले खर्च को केंद्र सरकार और पेरू का संस्थान देगा.
पेरू के अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (CIP) आलू और शकरकंद के विकास पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रमुख अनुसंधान संगठन है. इसका एक क्षेत्रीय केंद्र भारत को मिलने की संभावना है. रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CIP-SARC) उत्तर प्रदेश के आगरा में बनने की उम्मीद है.यह केंद्र न केवल भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे आलू-बेल्ट राज्यों में बल्कि अन्य दक्षिण एशियाई देशों में भी किसानों को लाभ पहुंचाएगा.
अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे में शामिल है. इसे 4 जून को लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद शपथ लेने वाली नई सरकार के लिए तैयार किया जा रहा है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत और पेरू दोनों पक्षों के अधिकारियों ने बातचीत पूरी कर ली है और केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद एक औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.
सूत्रों के अनुासर कृषि मंत्रालय ने अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव व्यय सचिव की अध्यक्षता वाली स्थापना व्यय समिति (सीईई) को भेज दिया है. सीईई की मंजूरी के बाद प्रस्ताव अंतिम मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास जाएगा. इस पर 20 मिलियन डॉलर यानी लगभग 160 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इसमें से भारत 13 मिलियन डॉलर यानी 108 करोड़ रुपये खर्च करेगा, जबकि बाकी रकम CIP-SARC की ओर से दी जाएगी. जबकि, केंद्र को स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार 10 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराएगी.
अधिकारियों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (CIP-SARC) आलू और शकरकंद की नई किस्मों के विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो जलवायु के लिए अनुकूल, रोग मुक्त और प्रॉसेसिंग के लिए होंगी. बेस्ट क्वालिटी की आलू और शकरकंद उत्पादन में भारतीय किसानों को मदद मिलेगी. इससे वैश्विक स्तर पर भारतीय फसलों की मांग को बढ़ावा मिलेगा. जबकि, आलू और शकरकंद की पारंपरिक किस्मों के अलावा किसानों को केंद्र के जरिए ईजाद की जाने वाली नई किस्मों को उगाकर पैदावार बढ़ाने का रास्ता साफ होगा.
वर्तमान में भारत में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के दो केंद्र कंद फसलों पर काम करते हैं. इनमें शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीपीआरआई) काम आलू पर काम कर रहा है. जबकि, तिरुवनंतपुरम स्थित केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सीटीसीआरआई) शकरकंद पर काम कर रहा है. पेरू का अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र आगरा में स्थापित होने से भारतीय किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ मिलने की उम्मीद है.
पेरू के अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र का पहला एशियाई केंद्र चीन में 7 साल पहले 2017 में स्थापित किया गया था. चीन दुनिया का सबसे बड़ा आलू उत्पादक और उपभोक्ता है. चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक और उपभोक्ता है. 2020 में चीन का आलू उत्पादन 78.24 मिलियन टन था, जबकि भारत का 51.30 मिलियन टन था. उम्मीद है कि पेरू के आलू केंद्र का आगरा में स्थापित होने से भारतीय फसलें चीन को पछाड़ देगी.
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