केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज ए.पी. शिंदे सभागृह, पूसा, नई दिल्ली में माही नेशनल को-आपरेटिव फेडरेशन आफ FPO’s द्वारा आयोजित "Strengthening FPOs – Empowering Farmers" कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस अवसर पर शिवराज सिंह ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. किसान अन्नदाता है, सब्जीदाता है, फल दाता है. किसान जीवनदाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में किसानों की सेवा करने का विनम्र प्रयास हम कर रहे हैं. हम सब एक विशिष्ट लक्ष्य की पूर्ति के लिए काम कर रहे हैं.
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारे यहां छोटी जोत के किसान होते हैं. दुनियाभर में अगर देखें तो 5 से से 10 हजार एकड़ के फार्म एक किसान के पास हैं, जबकि हमारे यहां 86% से ज्यादा छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनके लिए आजीविका की गाड़ी चलाना मुश्किल होता है. इनके लिए खेती को फायदे का सौदा बनाने की हमारी 6 सूत्रीय रणनीति है. पहली, प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाना. नंबर दो, उत्पादन लागत घटाना. नंबर तीन, उत्पाद का उचित मूल्य देना. नंबर चार, यदि कोई आपदा आ जाए, तो नुकसान की भरपाई करना. नंबर पांच, कृषि का विविधीकरण और नंबर छह, धरती की सेहत का खयाल रखना.
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शिवराज सिंह ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष बीजों की 109 नई किस्में जारी की हैं. हमारा फोकस है कि टेक्नालॉजी को लैब टू लैंड तक पहुंचाएं, लेकिन हमारी सीमाएं भी हैं. दूसरे देश जीएम सीड से बंपर उत्पादन करते हैं, लेकिन हम अलाऊ नहीं करते. दूसरे देशों में उत्पादन बहुत होता है, लेकिन हमारे यहां कम है, क्योंकि हमें प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना है. अच्छे बीज, मेकेनाइजेशन, किसान के पास लगाने के लिए पूंजी भी हो. हमने केसीसी की राशि की सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रु. की है. लागत घटाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना भी है.
उन्होंने बताया कि फर्टिलाइजर पर सब्सिडी पिछले साल 2 लाख 54 हजार करोड़ रुपये थी. मोदी सरकार ने तय किया है कि डीएपी की बोरी 1350 रुपये में ही मिलेगी और 266 रुपये में यूरिया की बोरी मिलेगी. शिवराज सिंह ने कहा कि एफपीओ का प्रयोग उत्पादन की लागत घटाने का ही उपक्रम है. उन्होंने कहा कि 'संघे शक्ति कलियुगे', एफपीओ का मूलमंत्र है. खाद-बीज खरीदना हो, उत्पाद बेचना, प्रोसेसिंग करना, ये अकेला किसान नहीं, किसानों का संगठन कर सकता है. देशभर में 10 हजार नए एफपीओ बन चुके हैं, जिनमें से कई बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि किसानों को ठीक दाम मिलना भी आवश्यक है. उत्पाद के ठीक दाम देने के लिए एमएसपी की व्यवस्था की है. टमाटर, आलू, प्याज के लिए हमने योजना बनाई है. छोटे शहरों में उत्पाद सस्ता बिकता है, ऐसे में नेफेड या राज्य की एजेंसी, किसान के साथ मिलकर काम करते हुए उनके उत्पाद दूसरे शहर में आएंगे, तो ट्रांसपोर्ट का खर्च सरकार उठाएगी. सब्जियों के रेट यदि पिछले साल से 10% गिर गए तो बाजार हस्तक्षेप मूल्य तय करेंगे. एवरेज प्राइज़ आईसीएआर तय करेगा. उसमें और मार्केट रेट में जितना अंतर है, उसे डीबीटी के माध्यम से किसान के खाते में डालेंगे. इसमें 50% केंद्र और 50% राज्य सरकार देगी.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्याज पर 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी थी, उसे घटाकर 20% की और अब 1 अप्रैल से 0% कर दी है. सोयाबीन की इंपोर्ट ड्यूटी 0% थी, उसे हमने 27.5% कर दिया, ताकि हमारे किसान को बेहतर दाम मिले. इसी तरह, बासमती चावल के निर्यात पर एक्सपोर्ट ड्यूटी हमने 0% कर दी. चौहान ने कहा कि एफपीओ के लिए लाइसेंस नीति सरल और आसान हो, इस पर हम काम करेंगे. केसीसी कार्ड के बारे में भी विचार करेंगे. जहां समस्याएं हैं, वहां जूझेंगे. किसान-खेती बची रहे, उसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
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कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंसाना, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मिश्र, अ.भा. संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी और माही नेशनल को-आपरेटिव फेडरेशन आफ FPO’s के पदाधिकारी, बड़ी संख्या में सैकड़ों एफपीओ के सदस्य किसान भाई-बहन और कृषि वैज्ञानिक आदि उपस्थित थे.
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