मेघालय में ICAR-RC-NE के गोल्डन जुबली और फार्मर्स एक्सपो के उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, आज हमारे लिए प्रसन्नता की बात है कि ICAR-RC-NE के 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं. मेघालय का मतलब है बादलों का घर, लेकिन हमें गुवाहाटी में मेघ ज्यादा दिखे. प्रतिकूल मौसम के कारण हमारी राष्ट्रपति जी नहीं आ पाईं. यहां के पर्वत, हरे-भरे पेड़, यहां की जलवायु, हवा, यहां के सहज-सरल भोले भाले लोग, अद्भुत है मेघालय. हमें गर्व है, यहां जन-संपदा, जल-संपदा, वन-संपदा, बायो डाइवर्सिटी, यहां तो खजाना है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ये फूड और वेजीटेबल का हब बन सकता है. अलग-अलग फल और सब्जियां, अनानास, संतरे, केला और यहां का जिंजर. हल्दी हो या बाकि चीजें हों, सुपारी भी, लेकिन सुपारी संकट में है. नॉर्थ-ईस्ट, मेघालय पूरे हिंदुस्तान में फल और सब्जी की आपूर्ति कर सकता है. यहां फूलों की बहार है. हमने यहां ऑरकिड देखे. ICAR की पूरी टीम को मैं बधाई देता हूं, स्वामीनाथन जी को भी प्रणाम करता हूं. 50 साल पर गर्व है और अगले 50 साल का रोडमैप भी है. कई बार हम ऐसा रोडमैप बना लेते हैं कि जब 50वां साल आएगा, तब देखेंगे. लेकिन हमें 1 साल, 2 साल, 5 साल, 10 साल, 50 साल में क्या करेंगे, ऐसा रोडमैप बनाना है.
मैं ICAR को निर्देश देता हूं, हर तीन महीने में एक बैठक अनिवार्य हो. कोओर्डिनेशन जरूरी है. काम सब जानते हैं लेकिन एक दायें चलता है, एक बाएं चलता है, एक सीधा चलता है. ऐसे काम नहीं होता है. सभी मिलकर एक दिशा में चलें. आप बैठकर साथ में रणनीति बनाएं. सुपारी के पेड़ बचाना है तो उसमें वैज्ञानिक जुटें. ये साथ बैठकर होता है. मुख्यमंत्री कुछ सोचें और हम कुछ और करें, ऐसा न हो. मैं भी ऐसी एक बैठक में आऊंगा. कृषि मंत्री कोई दिल्ली में बैठकर एसी की हवा नहीं खाता, मैं कोशिश करता हूं कि हर राज्य में जाऊं. यहां काला चावल, लाल चावल है, इसकी प्रॉडक्टिविटी कैसे बढ़े.
कृषि मंत्री ने कहा, हमने कृषि का रोडमैप बनाया है. मोदी जी के तीसरे कार्यकाल में 109 बीजों की नई किस्में किसानों को समर्पित की गई हैं. हर जगह की अलग-अलग परिस्थिति है. इसको ध्यान में रखते हुए बीज बनाए गए. उत्पादन की लागत घटाना है. खेती घाटे का सौदा हो जाती है अगर लागत ज्यादा हो. किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए हम काम कर रहे हैं. हमारे फूल-फल अगर ट्रेन से ले जाओ तो गुवाहाटी जाते ही खराब हो जाएं. इंफ्रास्ट्रक्चर की ऐसी व्यवस्था हो, लॉजिस्टिक हब बने. ICAR हर काम नहीं कर सकता है.
मैं एक काम के लिए अटल जी को प्रणाम करता हूं, उन्होंने एक अलग मंत्रालय नॉर्थ ईस्ट के लिए बना दिया. मोदी जी ने निर्देश दिए हैं कि नॉर्थ ईस्ट जाओ. पहले की सरकार में कोई मंत्री नहीं आते थे. अब निर्देश है कि हर एक नॉर्थ ईस्ट जाएगा. सिंधिया जी इस डिपार्टमेंट को देखते हैं, मैं उसने चर्चा करूंगा. बाय एयर ट्रांसपोर्ट पर कैसे बेहतर काम कर सकते हैं, इस पर योजना बनाएंगे. रेल का उपयोग कैसे किया जा सकता है, इस पर हम काम करेंगे. ये समस्या है कि किसान कुछ उत्पादन करता है तो उसका दाम कम होता है लेकिन वही उत्पाद दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में महंगे दामों में बिकता है. ये जो अंतर है मुनाफे में, इस गैप को कम करना पड़ेगा. अगर कोई चीज दिल्ली में 100 रुपये में मिल रही है, उसके किसान को 10-15 रुपये क्यों मिले?
कृषि मंत्री ने कहा, अनानास, संतरा और केले की शेल्फ लाइफ कैसे बढ़े, इस पर ICAR की टीम काम करेगी. ये जरूरी काम है. क्लस्टर डेवलपमेंट का काम भी होगा. वेल्यू एडिशन की जरूरत है. छोटी-छोटी यूनिट यहां आएं, प्रोसेसिंग हो जाए तो किसान को ठीक दाम मिले. संगमा जी ने सही कहा है कि अकेला बेम्बू नॉर्थ ईस्ट के किसानों की तकदीर बदल सकता है. नाश्ते में बेम्बू, सूप में बेम्बू, बेम्बू के घर, फर्नीचर, इतनी चीजें बनती हैं बेम्बू से. यहां नेचुरली बांस लग रहे हैं. मैं आप सभी को दिल्ली आमंत्रित करता हूं, हम मिलकर योजना बनाएंगे.
नई बीमारियों का समय रहते पहचान करना पड़ेगी. लैब में तो रिसर्च हो जाती है लेकिन लैब टू लैंड जल्दी कैसे पहुंचें. हमने आधुनिक कृषि चौपाल शुरू किया है. इसमें किसान और वैज्ञानिक बैठेंगे. इसको और अर्थपूर्ण बनाना होगा. हमारे पास KVK हैं, इनको हमें सशक्त करना है. जो ICAR के पास हैं, उन पर वो ध्यान दें. आज इस गौरवशाली दिन पर मैं आप सभी का एक बार फिर स्वागत करता हूं. इस विश्व को सुविधाजनक बनाने में और आने वाले समय में जो चुनौतियां आ रही हैं, उनका सामना करने में आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है. इस बार जो केंद्र प्रायोजित अलग-अलग योजनाएं हैं, उसके लिए हम लगभग अभी आपको 130 करोड़ रुपये रिलीज कर सकते हैं.
पूर्वोत्तर की विशेषता है शुद्धता. प्राकृतिक खेती का जो मिशन है, उसका अधिकतम लाभ कैसे उठाएं, उस पर काम कीजिए. जैविक और प्राकृतिक खेती की तरफ हम बढ़ें. हम गांव को गरीबी मुक्त गांव बनाएं. हर बहन लखपति क्यों न बने? ये लखपति दीदी अभियान केवल कार्यक्रम नहीं, संकल्प है. पूर्वोत्तर में मां, बहन और बेटियों का बहुत सम्मान है. यहां की माताओं को मैं प्रणाम करता हूं, यहां कई परिवार माताएं और बहनें चलाती हैं. रुरल डेवलपमेंट के अंतर्गत भी जो काम हो सकेंगे, वो हम करेंगे. आज मेरा दिल अभी भरा नहीं है. अगली बार मैं पूरा समय लेकर आऊंगा, फिर बैठेंगे. एक बार फिर सभी को बधाई.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today