उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने और किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए विश्व बैंक के सहयोग से यूपी एग्रीस प्रोजेक्ट शुरू कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत मिर्च, मटर, मूंगफली फसलों के उत्पादन के लिए क्लस्टर बनाकर खेती की जाएगी. प्रोजेक्ट का पहला चरण पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के जिलों में शुरू हो रहा है. इससे सीधे 10 लाख किसानों को फायदा पहुंचेगा. प्रोजेक्ट के जरिए 4 हजार करोड़ रुपये 5 साल में खर्च किए जाने हैं.
कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और कृषि आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार कृषि विकास और ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण (UP-AGREES) परियोजना शुरू करने जा रही है. इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बीते सप्ताह विश्व बैंक के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की. इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए बीते सप्ताह 25.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इस रकम को बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों पर सिंचाई व्यवस्था, मॉडर्न खेती के तरीकों को बेहतर करने पर खर्च किया जाएगा.
यूपी एग्रीज प्रोजेक्ट के तहत सूखे की स्थिति से पीड़ित रहने वाले बुंदेलखंड के 7 जिलों के सभी विकास खंडों में गौ आधारित प्राकृतिक खेती योजना के लिए 11.25 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. बुंदेलखंड में बड़े स्तर पर होने वाली दलहन फसलों के लिए सिंचाई व्यवस्था पर 9 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इस रकम से खेत तालाब विकसित करने और स्प्रिंकलर सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी. इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर और बारिश पर निर्भर रहने वाले कृषि क्षेत्र यानी रेनफेड एरिया डेवलपमेंट कार्यक्रम के तहत 502 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे.
कृषि विकास और ग्रामीण उद्यमिता सुदृढ़ीकरण (UP-AGREES) परियोजना का पहला चरण पूर्वी उत्तर प्रदेश के 21 जिलों और बुंदेलखण्ड के 7 जिलों में शुरू होगा. इसके तहत सभी 28 जिलों में सिंचाई व्यवस्था मजबूत करने समेत मटर, मूंगफली और मिर्च की खेती क्लस्टर बनाकर की जाएगी. प्रोजेक्ट के जरिए 10 लाख किसानों को सीधे सहायता मिलेगी, जिनमें से 30 फीसदी महिला किसान होंगी. इसके अलावा 1 लाख से अधिक मत्स्य पालक परिवारों को सहायता दी जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के अनुसार 6 साल का एग्रीज प्रोजेक्ट लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत वाला है और यह सीधे किसानों, किसान समूहों, मछली पालकों और कृषि से जुड़ी एमएसएमई यूनिट को लाभ देगा. इसके अलावा 500 किसानों को मॉडर्न कृषि तकनीकों के बारे में जानने के लिए विदेश ले जाया जाएगा. किसानों को आधुनिक खेती और आय बढ़ाने के तरीके बताए जाएंगे.
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