राजस्थान में बिजली एक बार फिर से महंगी हो गई है. इससे घरेलू उपभोक्ताओं को अगले तीन महीने 100 यूनिट पर 45 रुपये फ्यूल सरचार्ज के तौर पर देने होंगे. हालांकि सरकार ने किसानों को इससे राहत दी है. राज्य सरकार ने कृषि कनेक्शनों पर फ्यूल सरचार्ज वसूलने से छूट दी है. साथ ही घरेलू बिजली उपभोक्ताओं में जिन परिवारों ने 50 यूनिट से ज्यादा बिजली उपयोग की है, उनसे ही सरचार्ज की राशि ली जाएगी.
ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव और डिस्कॉम्स के अध्यक्ष भास्कर ए सावंत ने बताया कि विद्युत विनियामक आयोग की ओर से निर्धारित गणना प्रक्रिया के अनुसार उपभोक्ताओं से वसूली योग्य फ्यूल सरचार्ज की राशि 45 पैसे प्रति यूनिट निर्धारित की गई है. यह राशि अप्रैल से जून, 2022 के उपभोग पर वसूली जा रही है.
हालांकि इससे प्रदेश के किसानों को राहत दी गई है. सावंत ने बताया कि किसानों की उपभोग की गई बिजली पर फ्यूल सरचार्ज नहीं लिया जाएगा. उनकी राशि को राजस्थान सरकार अनुदान के रूप में वहन करेगी. इससे किसी भी किसान पर बिल की बढ़ी हुई राशि का प्रभाव नहीं पड़ेगा.
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इसके अलावा 50 यूनिट प्रतिमाह बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के ऊपर आने वाले फ्यूल सरचार्ज के भार को भी राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. बता दें कि फ्यूल सरचार्ज की गणना विद्युत विनियामक आयोग के डायरेक्शन में स्वतंत्र ऑडिटर करता है और वेरिफिकेशन के बाद ही इसे लागू किया जाता है. स्वतंत्र ऑडिटर की ओर से वेरिफाइड रिपोर्ट एवं फ्यूल सरचार्ज की गणना का विवरण निगम की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है.
सावंत बताते हैं कि डिस्कॉम विद्युत आपूर्ति के लिए विभिन्न स्त्रोतों से राजस्थान राज्य विद्युत विनियामक आयोग की ओर से निर्धारित स्थायी एवं परिवर्तनीय दर से बिजली खरीदी जाती है. विद्युत विनियामक आयोग के टैरिफ विनियम-2019 के प्रावधान के अनुसार विद्युत खरीद की अनुमोदित परिवर्तित दर एवं विद्युत खरीद की वास्तविक परिवर्तित दर का अन्तर फ्यूल सरचार्ज के रूप में तीन महीने के आधार पर विद्युत निगमों की ओर से विद्युत उपभोक्ताओं से वसूल करने का प्रावधान है.
विद्युत खरीद की वास्तविक परिवर्तित दर अधिक होने का मुख्य कारण कोयले की दरों में वृद्धि, मालभाडे़ में वृद्धि एवं विभिन्न करों में बदलाव है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से कोयला नहीं मिलने के कारण महानदी कोल माइंस से कोयला लेना पड़ा. यह अपेक्षाकृत महंगा और कम गुणवत्ता का है.
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राज्य सरकार भारत सरकार के निर्देशानुसार छह प्रतिशत आयातित कोयला उपयोग में लेना है, यह भी महंगा है. इन सब कारणों के कारण आगे की तिमाहियों में फ्यूल सरचार्ज की राशि में और बढ़ोतरी होने की संभावना है. सावंत कहते हैं कि यह बढ़ोतरी रोकना विद्युत निगम या राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं है.
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