Nano Fertilizer: नैनो डीएपी से किसानों को होगा लाभ, फर्टिलाइजर सब्सिडी भी होगी कम

Nano Fertilizer: नैनो डीएपी से किसानों को होगा लाभ, फर्टिलाइजर सब्सिडी भी होगी कम

केंद्रीय गृह और सहकार‍िता मंत्री अम‍ित शाह ने कहा क‍ि नैनो डीएपी की कीमत 600 रुपये है जो कि डीएपी के सामान्य बोरी के दाम से आधे से भी कम है. इसकी 500 एमएल की एक बोतल पारंपरिक डीएपी के लगभग एक बोरी की आवश्यकता को पूरा कर सकती है. बीस साल तक तरल यूरिया और तरल डीएपी की कहीं भी बिक्री होने पर 20 फीसदी रॉयल्टी इफको को मिलेगी.  

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Nano Fertilizer: नैनो डीएपी से किसानों को होगा लाभ, फर्टिलाइजर सब्सिडी भी होगी कमनैनो डीएपी के लोकार्पण कार्यक्रम में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Photo-IFFCO)

केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि नैनो डीएपी लिक्विड के 500 एमएल की बोतल में नाइट्रोजन 8% एवं फास्फोरस 16% है, जिसकी वजह से यह लगभग एक बोरे पारंपरिक डीएपी को रिप्लेस करेगा. इफको द्वारा नैनो डीएपी की 18 करोड़ बोतल के उत्पादन के द्वारा वर्ष 2025-26 तक 90 लाख मीट्रिक टन पारंपरिक डीएपी को कम किया जा सकता है. नैनो डीएपी के प्रयोग से जहां एक तरफ खेती में लाभ होगा एवं किसान आत्मनिर्भर होगा वहीं दूसरी तरफ लगभग उर्वरक सब्सिडी की भी बचत होगी. नैनो डीएपी का भी पहला सयंत्र कलोल, गुजरात से चालू होगा. अधिकतर फसलों में नैनो डीएपी की 500 मिली की एक बोतल पारंपरिक डीएपी के लगभग 1 बोरी की आवश्यकता को पूरा कर सकती है.

शाह बुधवार को नई दिल्ली के साकेत स्थित इफको सदन में इफको नैनो डीएपी लिक्विड को राष्ट्र को समर्पित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि देश में उर्वरक का कुल उत्पादन 384 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है. जिसमें से सहकारी समितियों ने 132 लाख मीट्रिक टन का योगदान दिया है. इसमें से भी 90 लाख मीट्रिक टन खाद का उत्पादन अकेले इफको ने किया है. लिक्विड डीएपी की मदद से किसान न केवल मिट्टी की रक्षा कर सकता है, बल्कि पारंपरिक खादों से मानव स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे को भी कम कर सकता है. उन्होंने कहा कि इफको ने नैनो यूर‍िया और नैनो डीएपी के ल‍िए लगभग 20 वर्ष का पैटेंट रजिस्टर किया है, जिससे पूरे विश्व में 20 साल तक तरल यूरिया और तरल डीएपी की कहीं भी बिक्री होने पर 20 फीसदी रॉयल्टी इफको को मिलेगी.  

नैनो यूर‍िया की सफलता का फायदा 

शाह ने कहा क‍ि अगस्त 2021 में नैनो यूरिया की मार्केटिंग शुरू हुई थी और मार्च 2023 तक लगभग 6.3 करोड़ बोतलों का निर्माण किया जा चुका है. इससे  6.3 करोड़ यूरिया के बैग की खपत और इनके आयात को कम कर दिया गया है. देश के राजस्व व फॉरेन करेंसी की बचत हुई है. यह बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम और एक बड़ी सफलता की कहानी है. देश में 2021-22 में यूरिया का आयात भी सात लाख मीट्रिक टन कम हुआ है. देश में 18 करोड़ तरल डीएपी की बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। 

डीएपी का कहां होता है ज्यादा इस्तेमाल

शाह ने कहा कि हमारे देश के ऐसे बहुत राज्य है जहां किसानों  द्वारा पारंपरिक डीएपी का अत्यधिक मात्रा में प्रयोग होता है, जैसे की अगर हम आलू की बात करें तो पंजाब, हरियाणा, बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि में लगभग 6-8 बोरे प्रति एकड़ प्रयोग होते हैं. इसी तरह तमिलनाडु में धान की फसल में भी पारंपरिक डीएपी की टॉप ड्रेसिंग की जाती है. साथ ही कर्नाटक, बिहार जैसे राज्यों में मक्का, गन्ना एवं सब्जियों में अत्यधिक डीएपी का प्रयोग होता है. नैनो डीएपी द्वारा इन समस्त राज्यों के किसान भाइयों को खेती में लाभ मिलेगा. क्योंकि इसकी उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत से अधिक है. नैनो डीएपी  की कीमत 600 रुपये है जो कि डीएपी के बोरी के दाम से आधे से भी कम है. यह भी मुझे अवगत कराया गया है कि नैनो डीएपी के कारण किसानो को 6 से 20 प्रतिशत तक फसलवार खर्चे में कमी आई है.

नैनो डीएपी राष्ट्र को समर्प‍ित करते केंद्रीय सहकार‍िता मंत्री अम‍ित शाह, इफको के चेयरमैन द‍िलीप संघानी, एमडी यूएस अवस्थी.


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खाद के क्षेत्र में भारत बनेगा आत्मनिर्भर 

अमित शाह ने इफको द्वारा तैयार किए गए इफको नैनो डीएपी की तारीफ करते हुए कहा कि इफको नैनो डीएपी फर्टिलाइजर भारत को खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण शुरुआत है. इससे पहले नैनो यूरिया बन चुका है. उन्होंने कहा कि नैनो फर्ट‍िलाइजर को क‍िसानों ने स्वीकार कर ल‍िया है, लेक‍िन क‍िसान दाने वाला यूर‍िया भी डालते हैं. इससे फसल और म‍िट्टी को नुकसान होता है. ये वैज्ञान‍िक तौर पर प्रमाण‍ित है क‍ि नैनो यूर‍िया के साथ दानेदार यूर‍िया की जरूरत नहीं है. क‍िसान इसका प्रयोग न करें. इस मौके पर इफको के चेयरमैन दिलीप संघानी और प्रबंध निदेशक डॉ. यूएस अवस्थी भी मौजूद रहे.

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आत्मनिर्भर कृषि का सपना साकार करेगा नैनो फर्टिलाइजर

शाह ने कहा कि हमारे देश को विकासशील देश से विकसित देश बनाने के लिए हमे कृषि को लाभप्रद बनाना होगा और इसमें नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी. मृदा स्वास्थ में सुधार, कृषि लागत मे कमी, जलवायु एवं पर्यावरण प्रदूषण में कमी नैनो उर्वरकों के माध्यम से ही पूरी की जा सकती है. भारत एक कृषि प्रधान देश है और यह विश्व में खादों की खपत का भी सबसे बड़ा बाज़ार है. परंतु जब भी किसानों को उर्वरकों की आवश्यकता होती है तब विदेशों में इसके दाम बढ़ने लगते हैं. नैनो खादों के माध्यम से आत्मनिर्भर कृषि एवं आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना साकार होती है.

 

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