पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकारों की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. खास कर कृषि कार्य में छोटे और सीमांत किसानों के लिए परेशानी नहीं हो और वे अपनी छोटी जोत की जमीन के लिए पशुओं का इस्तेमाल आसानी से कर सकें, इसके लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसे देखते हुए झारखंड सरकार की तरफ से छोटे और सीमांत किसानों के लिए जोड़ा बैल योजना चलाई जा रही है. छोटे किसानों की खेती की लागत में कटौती करना और उन्हें खेती के लिए आसानी से गोबर उपलब्ध कराना, इस योजना का उद्देश्य है.
योजना के तहत जिलावार किसानों को लाभ देने का लक्ष्य तय किया गया है. इसके अनुसार गढ़वा (41), पलामू (51),चतरा (38), हजारीबाग (50), कोडरमा (27), गिरिडीह (80), देवघर (98), धनबाद (48), बोकारो (51), रामगढ़ (31), गोड्डा (4) में लाभार्थी किसानों को बैल देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अलावा, जनजातीय उपयोजना के तहत लोहरदगा (29), साहेबगंज (35), पाकुड़ (32), दुमका (95), जामताड़ा (30), लोहरदगा (20), गुमला (40), खूंटी (28), रांची (77), सिमडेगा (24), चाईबासा (55), सरायकेला (39), जमशेदपुर (5) में लाभुकों को योजना का लाभ दिया जाएगा.
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जोड़ा बैल योजना के तहत राज्य के छोटे और सीमांत किसानों को एक जोड़ा बैल की खरीद पर 90 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी. किसानों को बैल की आपूर्ति करने के लिए एजेंसी का चयन सरकार की तरफ से किया जाएगा. किसान उस ऐजेंसी से जाकर बैल खरीद सकते हैं. सप्लायर के लिए राज्य सरकार की तरफ से नियम तय किए गए हैं. इसके अनुसार बैल की उम्र कम से कम 2-3 वर्ष की होनी चाहिए. बैल रोग मुक्त होना चाहिए और उसका वैक्सीनेशन किया हुआ होना चाहिए. बैल दिए जाने से पहले उसके स्वास्थ्य की पूरी जानकारी जिला पशु चिकित्सक के द्वारा दी जाएगी.
योजना के तहत 90 फीसदी का लाभ दिया जाएगा. किसान को योजना का लाभ लेने किए ग्राम सभा के माध्यम से आवेदन करना होगा. ग्राम सभा की अनुशंसा के बाद पूरा भरा हुआ आवेदन फॉर्म प्रखंड ऑफिस में जमा करा दें. इसके बाद सभी प्रखंडों से एक चयन समिति जिला पशुपालन अधिकारी के पास जाकर लाभार्थियों का चयन करेगी. इस योजना की अधिक जानकारी के लिए जिला पशुपालन अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.
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योजना के तहत किसानों को 90 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी. एक जोड़ा बैल की कीमत राज्य सरकार की तरफ से 40 हजार रुपये तय की गई है. योजना के लिए लाभार्थी का चयन होने के बाद बैल की खरीद करने के समय उसे चार हजार रुपये की राशि देनी होगी. जबकि 36,000 रुपये सरकारी की तरफ से बैल आपूर्तिकर्ता एजेंसी के खाते में दिए जाएंगे. अगर किसान बाहर से उसी कीमत में बैल खरीदते हैं तो फिर यह राशि उसके खाते में जमा कर दी जाएगी.
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