झारखंड में लगातार बैक टू बैक सूखे के कारण किसानों की परेशानी बढ़ गई है. इस परेशानी से किसानों को राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार ने फसल राहत योजना चला रही है. योजना का लाभ लेने के लिए झारखंड के 14 लाख 28 हजार 187 किसानों ने आवेदन दिया है. आवेदन करने वाले किसान ऐसे किसान जिनकी फसल खेत में सूख गई क्योंकि समय पर राज्य में बारिश नहीं हुई. इन किसानों को राहत दिलाने के लिए विभाग की तरफ से पहल की जा रही है और जिन किसानों ने फसल राहत योजना के तहत आवेदन किया है उनका सत्यापन किया जा रहा है. इस प्रक्रिया के तहत अब तक साढ़े 6 लाख किसानों का सत्यापन किया जा चुका है.
इस योजना के तहत राज्य के सभी जिलों के किसानों ने आवेदन किय़ा पर सबसे अधिक आवेदन देवघर जिले से आए हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यहां से 273984 किसानों ने आवेदन दिया है. वहीं दूसरे नंबर पर गढ़वा है,यहां के 136647 किसानों ने आवेदन किया है. जबकि जामताड़ा जिले से सभी छह प्रखंडो 30 नंवबर तक 93 हजार 611 किसानों ने आवेदन किया था. वहीं गोड्डा जिले से मात्र सात हजार किसानों ने ही फसल राहत योजना के तहत आवेदन किया है. इस बार यहां पर दूसरे जिलों की अपेक्षा अच्छी बारिश हुई थी.
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योजना के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 नवंबर तक रखी गई थी. इसके तहत राज्य भर के 14 लाख से अधिक किसानों ने आवेदन किया था. फसल राहत योजना के तहत आवेदन करने के लिए पहली बार में किसानों 40 रुपये का भुगतान करना पड़ता है, जबकि दूसरी बार नवीनीकरण करने के लिए 10 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. अपने नजदीकी प्रज्ञा केंद्र में जाकर किसान अपना निबंधन करा सकते हैं. राज्य भर में अब तक 6.50 लाख किसानों का सत्यापन हो चुका है. वहीं जामताड़ा जिले में 18432 आवेदनों को विभिन्न कारणों के चलते रद्द कर दिया गया है.
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झारखंड में किसानों को दिए जा रहे फसल राहत योजना के नियमानुसार अगर किसी किसान को फसल 50 प्रतिशत या इससे अधिक फसल का नुकसान होता है तो उसे प्रति एकड़ चार हजार रुपये, जबकि 50 प्रतिशत से कम नुकसान पर तीन हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा. इसके तहत लाभ लेने के लिए किसान को न्यूनतम 10 डिसमिल और अधिकतम पांच एकड़ जमीन पर ही नुकसान होने पर मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है.
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