कर्नाटक के 31 में से 24 जिलों में पानी की किल्लत, पैदावार में आ सकती है भारी गिरावट, बढ़ जाएगी महंगाई

कर्नाटक के 31 में से 24 जिलों में पानी की किल्लत, पैदावार में आ सकती है भारी गिरावट, बढ़ जाएगी महंगाई

फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफकेसीसीआई) के अध्यक्ष रमेश चंद्र लाहोटी ने कहा कि चावल और दालों की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत का अंतर होगा. जब तक नई फसल बाजार में नहीं आ जाती तब तक कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी.

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कर्नाटक के 31 में से 24 जिलों में पानी की किल्लत, पैदावार में आ सकती है भारी गिरावट, बढ़ जाएगी महंगाईकर्नाटक में औसत से काफी कम बारिश हुई है. (सांकेतिक फोटो)

अल नीनो का असर सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत में भी देखने को मिल रहा है. कर्नाटक में इस साल औसत से काफी कम बारिश हुई है. इससे कई इलाकों में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. जून से सितंबर के दौरान राज्य में 839 मिलीमीटर की तुलना में 633 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है. वहीं, अक्टूबर से दिसंबर के दूसरे सप्ताह तक, सामान्य 188 मिलीमीटर की तुलना में 113 मिलीमीटर बारिश ही बारिश हुई है. इससे कर्नाटक में सिंचाई के लिए पानी की किस्सत हो गई है. हालांकि पिछले कुछ दिनों में कुछ बारिश हुई थी. प्रदेश के 31 में से 24 जिलों में किसान पानी के लिए जूझ रहे हैं.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल प्रदेश में 148 लाख मीट्रिक टन अनाज का उत्पादन होने की संभावना है. लेकिन सूखे के कारण इसमें 60 लाख मीट्रिक टन की कमी भी आ सकती है. क्योंकि राज्य के कई हिस्सों में अभी तक कई रबी फसलों की बुआई नहीं हो पाई है. खास बात यह है कि जहां पर बुआई हुई भी है, वहां पर फसलें पानी के अभाव में सूख गईं या खराब हो गई हैं. वहीं, जानकारों का कहना है कि अगर अनाज के उत्पादन में गिरावट आती है, तो महंगाई भी बढ़ जाएगी.

आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है

एक अधिकारी ने कहा कि तुअर दाल, जो 7000 रुपये प्रति क्विंटल बिकती थी, अब उसकी कीमत बढ़कर 12000 रुपये क्विंटल हो गई है. अधिकारी ने कहा कि तुअर दाल की कीमत और बढ़ने की उम्मीद है. उनकी माने तो महंगाई की वजह से 70 रुपये किलो बिकने वाली तुअर दाल अब 120 रुपये किलो से भी ज्यादा महंगा बिक रही है. इसी तरह उड़द दाल की कीमत 85 रुपये किलो से बढ़कर 130 रुपये हो गई है. अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की उम्मीद है.

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इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है

फेडरेशन ऑफ कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एफकेसीसीआई) के अध्यक्ष रमेश चंद्र लाहोटी ने कहा कि चावल और दालों की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत का अंतर होगा. जब तक नई फसल बाजार में नहीं आ जाती तब तक कीमतों में बढ़ोतरी जारी रहेगी. लाहोटी ने कहा कि होटल और रेस्तरां, जिन्होंने पहले ही खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ा दी हैं, आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि के आधार पर और बढ़ोतरी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम इसके लिए सिर्फ सूखे को जिम्मेदार ठहरा सकते हैं. हमारे पास अगले मानसून का इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

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