प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही हिमाचल सरकारहिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार बनाने की दिशा में तेज कदम बढ़ा दिए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य की बड़ी आबादी गांवों में रहती है और आज भी खेती-किसानी ही प्रदेश की रीढ़ है, इसलिए सरकार की पहली प्राथमिकता ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है. मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल की करीब 90 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और लगभग 54 प्रतिशत लोग सीधे खेती और उससे जुड़े कामों पर निर्भर हैं. ऐसे में किसानों की आय बढ़ाना और खेती को टिकाऊ बनाना सरकार का मुख्य लक्ष्य है.
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार का लक्ष्य 9.61 लाख परिवारों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का है. इस दिशा में अब तक 2.22 लाख से ज्यादा किसान और बागवान पूरी या आंशिक रूप से प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं. राज्य में करीब 38 हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में यह खेती हो रही है, जिससे लागत कम हो रही है, मिट्टी की सेहत सुधर रही है और किसानों की आय बढ़ रही है.
सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई नई पहल शुरू की हैं. प्राकृतिक तरीके से उगाई गई फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP दिया जा रहा है. सेब उत्पादकों के हितों को देखते हुए यूनिवर्सल कार्टन को अधिसूचित किया गया है, ताकि उन्हें बाजार में नुकसान न हो. इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों के लिए खास सब्सिडी योजनाएं और गोबर खरीदने जैसी पहल भी शुरू की गई है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिल सके.
सरकार द्वारा की गई खरीद का पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में DBT के जरिए भेजा जा रहा है. अब तक प्राकृतिक मक्का, गेहूं और कच्ची हल्दी की खरीद पर करोड़ों रुपये किसानों को दिए जा चुके हैं. प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी इनपुट तैयार करने पर प्रति ड्रम 750 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. एक परिवार को तीन ड्रम तक का लाभ मिल सकता है. इसके अलावा गोशालाओं के सुधार के लिए 8 हजार रुपये तक की मदद और देशी गाय खरीदने पर 25 हजार रुपये तक की सब्सिडी भी दी जा रही है.
राज्य में ‘हिम उन्नति’ नाम से क्लस्टर आधारित योजना भी लागू की जा रही है, जिसके तहत 2600 क्लस्टर बनाए जाएंगे. साथ ही चंबा, लाहौल-स्पीति और किन्नौर जैसे ऊंचाई वाले इलाकों में केसर और हींग की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी कदम हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने और प्राकृतिक खेती में अग्रणी राज्य बनाने की दिशा में अहम साबित होंगे. (पीटीआई)
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