प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगा महाराष्ट्रप्राकृतिक खेती एक ऐसी खेती है जिसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक और महंगे बीजों का बहुत कम या बिल्कुल उपयोग नहीं किया जाता. इसमें गाय के गोबर, गोमूत्र, खेत में मिलने वाली घास-फूस और प्राकृतिक तरीकों से बनी खाद का इस्तेमाल किया जाता है. इससे मिट्टी ज़हरीली नहीं होती और फसल भी स्वस्थ रहती है. यह खेती प्रकृति के नियमों को समझकर की जाती है, इसलिए इसे प्राकृतिक खेती कहा जाता है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि राज्य सरकार प्राकृतिक खेती को और तेज़ी से आगे बढ़ाएगी. उन्होंने कहा कि अगले दो साल में महाराष्ट्र की 25 लाख हेक्टेयर ज़मीन को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा. यह बात उन्होंने नागपुर के लक्ष्मीनारायण प्रौद्योगिकी संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में कही. मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार इस मिशन को पूरी ईमानदारी से लागू करेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज किसानों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मिट्टी की ताकत कम हो रही है, खेती का खर्च बढ़ता जा रहा है और मौसम भी ठीक नहीं रहता. प्राकृतिक खेती से किसानों को बहुत फायदा होगा. इसमें खाद और दवा पर कम पैसा लगेगा, जिससे लागत घटेगी. मिट्टी फिर से उपजाऊ बनेगी और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होगी. इससे किसानों की आमदनी बढ़ सकती है.
महाराष्ट्र में प्राकृतिक खेती की शुरुआत साल 2014 में हुई थी. धीरे-धीरे किसान इस खेती को अपनाने लगे. अब तक राज्य में करीब 14 लाख हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती की जा रही है. साल 2023 में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सरकार और विधायकों से अपील की कि प्राकृतिक खेती को एक मिशन की तरह चलाया जाए. इसके बाद सरकार ने इस योजना को और बड़ा रूप देने का फैसला किया.
मुख्यमंत्री फडणवीस ने बताया कि ज़्यादा रासायनिक खाद और हाइब्रिड बीजों के इस्तेमाल से मिट्टी कमजोर हो गई है. इससे खेती का खर्च भी बहुत बढ़ गया है. कई बार फसल भी खराब हो जाती है. रासायनिक खेती से ज़मीन धीरे-धीरे बंजर होने लगती है. प्राकृतिक खेती इन सभी समस्याओं का अच्छा समाधान है क्योंकि इसमें स्थानीय और सस्ते साधनों का उपयोग किया जाता है.
आज मौसम तेजी से बदल रहा है. कभी ज़्यादा बारिश, कभी सूखा और कभी ओलावृष्टि से खेती को नुकसान होता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्राकृतिक खेती बहुत ज़रूरी है. यह खेती मिट्टी में पानी रोकने की ताकत बढ़ाती है और फसलों को मजबूत बनाती है. इससे खेती लंबे समय तक सुरक्षित रह सकती है.
प्राकृतिक खेती हमें सिखाती है कि हमें प्रकृति के साथ मिलकर काम करना चाहिए. जब हम मिट्टी, पानी और हवा का ध्यान रखते हैं, तो धरती हमें अच्छा अन्न देती है. महाराष्ट्र सरकार का यह कदम किसानों, बच्चों और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत फायदेमंद है. इससे खेती भी बचेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा.
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