देशभर में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिल रहा है. केंद्र और राज्य सरकारें योजनाएं चलाकर किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. ऐसे में हरियाणा सरकार की एक योजना किसानों के लिए वरदान बन सकती है. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथन के अनुसार गंगा की स्वच्छता, गाय के संवर्धन को लेकर लगतार काेशिश कर रही है. मुख्यमंत्री ने इंद्रधनुष ऑडिटोरियम में आयोजित बृज रस कथा के अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने गौ सेवा का बजट 40 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 400 करोड रुपए किया है. इसके अलावा अपने घरों में गाय पालने वाले किसानों को सरकार 30,000 रुपये की राशि दे रही है. ऐसे में किसान सरकार की मदद से प्राकृतिक खेती अपनाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.
प्राकृतिक खेती में शुरुआत साल में उत्पादन थोड़ा कम होता है, लेकिन दूसरे साल से उत्पादन भरपूर होने के साथ महंगे दाम पर बिकता है. केंद्र सरकार की अलग-अलग योजनाओं के तहत सरकार प्राकृतिक उत्पाद किसानों से लेकर एक्सपोर्ट करती है. अब प्राकृतिक खेती से जुड़ी चीजों के बारे में जानिए…
दरअसल, प्राकृतिक खेती देसी गाय पर आधारित है, जिसमें रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इसलिए खेती की लागत कम होती है. प्राकृतिक खेती में देसी गाय के गोबर से बनी खाद और अन्य प्राकृतिक तरीके से बनाए गए कीटनाशी आदि का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उपजे उत्पाद स्वास्थ्य के लिए किसी वरदान की तरह माने जाते हैं.
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यही वजह है कि प्राकृतिक उत्पादों की मांग बहुत होती है और महंगे दामों पर बिकते हैं. लेकिन, अभी प्राकृतिक खेती से उत्पादन बेहद कम होता है. प्राकृतिक खेती का आधार देसी गाय इसलिए है, क्योंकि देसी गाय के एक ग्राम गोबर में 300 से 500 करोड़ तक सूक्ष्म जीवाणु मौजूद होते हैं. इसकी तुलना में विदेशी गाय के एक ग्राम गोबर में काफी कम सूक्ष्म जीवाणु पाएं जाते है, जिनकी संख्या करीब 78 लाख है.
सीएम नायब सैनी ने कहा कि हमारी सरकार की कोशिशों के चलते प्रदेश में 500 से ज्यादा गौशालाएं हो गई हैं. इन गौशालाओं में सरकार ने चारे की व्यवस्था करने का भी प्रावधान किया है. समाज के अनेक दानी सज्जन गायों के अभियान में भरपूर सहयोग करते हैं. सीएम ने कहा कि अब पंचायती भूमि पर भी गौशालाएं खोली जा सकती हैं. इसके अलावा जो कोई गौशाला के लिए भूमि देगा, उसकी सीएलयू की भी जरूरत नहीं है. गौशाला में शेड बनाने का भी प्रावधान सरकार द्वारा किया जा रहा है.
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